नई दिल्ली/गाजियाबाद: ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को प्रत्येक वर्ष श्री गंगा दशहरा का पुण्य उत्सव मनाया जाता है. इस बार श्री गंगा दशहरा रविवार, 16 जून 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और मानस योग बन रहा है. इससे इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस दिन गंगा स्नान करने का बहुत बड़ा महत्व है.
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक पुराणों में वर्णित उल्लेख के अनुसार श्री गंगा सप्तमी (वैशाख शुक्ल सप्तमी) को गंगा जी स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आई थी. उसकी तीव्र धारा पृथ्वी के अंदर न समा जाए, इसलिए महाराज भागीरथ की प्रार्थना पर भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा जी को धारण कर लिया. ज्येष्ठ शुक्ल दशमी गंगा दशहरे के दिन भगवान शिव की जटाओं से निकल कर धीरे-धीरे कलकल की आवाज करती हुई गंगा गंगोत्री के उद्गम स्थल से निकल कर अपने लक्ष्य की ओर चली. तब ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि थी. तभी से गंगा दशहरा उत्सव मनाने का आरंभ हुआ. ऐसा कहते हैं कि गंगा दशहरा को गंगा स्नान का बड़ा महत्व है.
० गंगा दशहरा का महत्व: इस दिन गंगा स्नान तीनों प्रकार के पाप, कायिक (शरीर द्वारा किए गए पाप), वाचिक (वाणी संबंधी किए गए पाप)और मानसिक (मन से किए गए पाप) पाप को नष्ट कर देता है. इसके साथ-साथ अपने पितरों की मुक्ति के लिए पितृ शांति के लिए इस दिन गंगा स्नान कर पितरों को जलांजलि देना बहुत उत्तम होता है. घर में रहकर स्नान के जल में गंगाजल और काले तिल मिलाकर स्नान करके पितरों को जल देना चाहिए. उनके निमित्त अन्न, जल, भोजन का उचित पात्र को दान करना बहुत ही कल्याणकारी होता है. शाम के समय पितरों के निमित्त गंगा जी में दीपदान करना एवं घर के द्वारों पर भी दीप जलाना बहुत कल्याणकारी माना गया है. अधम लोकों में अधम गति को प्राप्त हुए हमारे पितर देव दीपदान से मुक्त होकर के स्वर्ग आदि पवित्र लोकों में चले जाते हैं.
० पूजा विधि: प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर गंगा स्नान करें. गंगा स्नान, गंगा जी अथवा तीर्थक्षेत्र में जाकर पवित्र नदियों में स्नान करें. अगर वहां जाना संभव नहीं है तो घर में ही स्नान के जल में गंगाजल, काले तिल मिलाकर स्नान करें. पितरों को काले तिल युक्त जल से जलांजलि दें. ईश्वर से उनकी मुक्ति के लिए प्रार्थना करें, पितृ सूक्त का पाठ करें और पितरों से प्रार्थना करें कि वे अपने परिवार के कल्याण के लिए कृपा बनाए रखें.
पूजा के समय गंगा मैया की आरती करें. हो सके तो योग्य सत्पात्र को भोजन कराएं. उनको जलीय वस्तुओं का दान करें. पंखा, छतरी, जल, शरबत, खीरा, तरबूज, खरबूज, फल व मिष्ठान आदि दान करें. इससे गंगा दशहरा के उत्सव का पुण्य फल प्राप्त होता है.
ये भी पढ़ें: गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी से लेकर अपरा एकादशी, ये रही जून के त्योहारों की पूरी लिस्ट
Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. ईटीवी भारत खबर में दी गई किसी भी जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लेने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है.