आगरा : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद अब गणेश उत्सव की धूम है. श्रद्धालु अपने घर में गणपति बप्पा को विराजमान करने की तैयारी लगे हैं. ऐसे में मूर्तिकार भी गणेशजी की तरह तरह की प्रतिमाएं गढ़ने में जुटे हैं. आगरा में स्थानीय मूर्तिकारों के साथ ही कोलकाता से आए मूर्तिकारों ने विभिन्न मुद्राओं वाली ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बनाई हैं. इनमें रामलला, शिव और कान्हा, विष्णु का विराट स्वरूप, लालबाग के राजा आदि हैं. ये प्रतिमाएं 30 मिनट में पानी में घुल जाएंगी.
गणेश चतुर्थी सात सितंबर (शनिवार) को है. जिसको लेकर खूब तैयारी चल रही हैं. आगरा में विभिन्न क्षेत्रों में आकर्षक पंडाल सजेंगे. पंडालों के साथ घरों में भी भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित होंगी. इसके लिए मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने मैं जुटे हैं. मूर्तियों को वेशभूषा और शृंगार करके आकर्षक बनाया जा रहा है. जिससे श्रद्धालुओं को गणपति बप्पा के अलग अलग स्वरूप की मूर्तियां आकर्षक और पसंद आएं.
खास मुद्राओं वाली गणेश प्रतिमाएं : मूर्तिकारों ने इस बार गणेशजी के रामलला, बाघंबर पोशाक धारण किए शिवजी, लालबाग के राजा, श्रीकृष्ण रूप, भगवान विष्णु का विराट रूप, नाग देवता के स्वरूपों के आकर्षक मूर्ति बनाई हैं. साथ ही गणेशजी के रथ, चूहे, कमल, के साथ ही घोड़े पर विराजमान स्वरूप की मूर्ति बनाई हैं.
कोलकाता के मूर्तिकारों की मूर्तियों की डिमांड ज्यादा : नामनेर स्थित मां दुर्गा विद्या मंदिर में कोलकाता के मुर्शिदाबाद से श्रीनिमाई मूर्ति कला केंद्र के 14 मूर्तिकार जून 2024 से मूर्ति निर्माण में लगे है. केंद्र निदेशक विकास दास बताते हैं कि इस बार जून में आए थे. अपने साथ कोलकाता से मिट्टी लेकर आए हैं. जिससे मूर्तियों का चेहरा और आकर्षक हो जाता है. हमने एक फीट से लेकर 25 फीट तक की करीब 100 से अधिक मूर्तियां तैयार की हैं. जिनकी कीमत 1500 रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक है. हर साल की तरह इस बार भी ईको फ्रेंडली मूर्ति की खूब डिमांड है.
ईको फ्रेंडली मूर्ति में यूं बनाई : मूर्तिकार आकाश दास ने बताया कि ईको फ्रेंडली मूर्ति बनाने के लिए सबसे पहले लकड़ी और घास फूस से एक फ्रेम तैयार किया जाता है. जिस पर यमुना की मिट्टी, चिकनी मिट्टी, जौ, पूजन सामग्री समेत अन्य का प्रयोग करके स्टेप बाई स्टेप में मूर्ति बनाई जाती है. हमारी बनाई ईको फ्रेंडली मूर्ति विर्सजन के बाद महज 30 मिनट में पानी में घुल जाएगी. मूर्ति के शृंगार में जो कलर उपयोग किए हैं. वे भी ईको फ्रेंडली हैं. इनसे पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं होगा.
कमला नगर और नौलक्खा में सजेगी विशालकाय मूर्ति
आगरा में कई स्थानों पर गणेश उत्सव के पंडाल सजेंगे. शहर में सबसे बड़े दो पंडाल होते हैं. जो कमला नगर-बल्केश्वर और नौलक्खा में सजेंगे. दोनों स्थानों पर करीब 25-25 फीट की भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती हैं. कमला नगर-बल्केश्वर पंडाल में इस बार लाल बाग के राजा की थीम पर मूर्ति तैयार कराई जा रही है. जबकि, नौलक्खा, तांगा स्टैंड पर सजने वाले पंडाल में नाग देवता की थीम पर गणेश जी विराजमान होंगे.