नई दिल्ली: गाजियाबाद में नि:शुल्क बुक एक्सचेंज मेला परिवारों के चेहरे पर मुस्कान की वजह बन गया है. इस मेले में जिन परिवारों को अपने बच्चों के लिए नए सेशन की किताबें मिली है, उन परिवारों की खुशी का ठिकाना नहीं है. शास्त्री नगर के हॉकी स्टेडियम में गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर यह बुक एक्सचेंज मेले का आयोजन किया गया. बुक एक्सचेंज प्रोग्राम का उद्घाटन अपर जिला अधिकारी नगर गंभीर सिंह ने किया.
इसका मकसद मध्यम वर्गीय परिवार का आर्थिक बोझ कम करना है. नए सेशन में नई किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को हर साल पांच से दस हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं. जबकि बुक एक्सचेंज प्रोग्राम में अभिभावकों को पुरानी किताबें देकर नए सेशन के लिए किताबें मिल जा रही हैं. हालांकि जिन अभिभावकों के पास पुराने सेशन की किताबें नहीं है, वो भी इस बुक एक्सचेंज प्रोग्राम में शामिल होकर नए सेशन की किताबें हासिल कर सकते हैं.
किताबें पाकर हुए खुश: मेले में पहुंची संजय नगर निवासी शुमाना के मुताबिक, मध्यवर्गीय परिवार के ऊपर नए सेशन में काफी आर्थिक बोझ पड़ जाता है. यूनिफॉर्म, स्कूल बैग सभी खरीदने होते हैं. बुक एक्सचेंज प्रोग्राम में अपने दोनों बच्चों के लिए नए सेशन की किताबें पाकर वो काफी खुश हैं. उन्हें करीब 6 हजार रुपये की बचत हुई है. उन्होंने इस पहल के लिए गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन का धन्यवाद किया है.
कम हुआ बोझ: उनके अलावा न्यू पंचवटी कॉलोनी की रहने वाली सुमन बताती हैं कि, बाजार में नए कोर्स के किताबों की कीमत करीब 10 हजार रुपये है. नए सेशन पर स्कूल वाले नई किताबों की लिस्ट दे देते हैं, लेकिन नई किताबें खरीदना मध्यम वर्गीय परिवार के लिए एक तरह का आर्थिक बोझ है. उन्होंने बताया कि उनका बच्चा सातवीं कक्षा में आया है और उन्होंने छठी कक्षा की पुरानी किताबें जमा कर सातवीं कक्षा की किताबें लेंगी.
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पर्यावरण संरक्षण में मिल रही मदद: अपर जिलाधिकारी गंभीर सिंह ने बताया कि जहां एक तरफ लोगों को बुक एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आर्थिक लाभ पहुंच रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन का ये कदम पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान निभा रहा है. कई देशों में पहले से इस तरह के प्रोग्राम चल रहे हैं. अमेरिका समेत कई देशों में पुरानी किताबों के उपयोग करने का चलन है. वहीं गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिशन की ओर से कहा गया कि इस एक्सचेंज प्रोग्राम के जरिए वो शिक्षा के व्यापारीकरण पर लगाम लगाना चाहते हैं. वो चाहते हैं कि हर बच्चा पढ़ सके और उसे किताबें भी मिले.
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