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14 माह के शिशु की मौत, झोलाछाप डॉक्टर पर गलत इलाज का आरोप, दो दिन पहले ही क्लिनिक करवाया था बंद - Quack Doctor Fearless In Alwar

अलवर जिले के राजगढ़ उपखंड क्षेत्र में बड़ी संख्या में झोलाछाप डॉक्टरों के अवैध क्लिनिक संचालित हो रहे हैं. बुधवार को भी एक झोलाछाप के इलाज के कारण चौदह माह के एक शिशु की मौत हो गई.

Quack Doctor Fearless In Alwar
चौदह माह के शिशु की मौत (Photo ETV Bharat Alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 2, 2024, 9:56 PM IST

अलवर: राजगढ़ उपखंड क्षेत्र में बड़ी संख्या में झोलाछाप डॉक्टर अवैध रूप से अपने क्लीनिक संचालित कर रहे हैं. ये मौत का कारण भी बन रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बुधवार को कस्बे के रैणी क्षेत्र में देखने को मिला. यहां 14 माह के बालक का उसके परिजनों ने एक झोलाछाप डॉक्टर के क्लिनिक में उपचार कराया था. उपचार के बाद बालक की तकलीफ बढ़ गई और परिजन उसे सरकारी अस्पताल लेकर भी गए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो गई. खास बात यह है कि जिस निजी क्लिनिक में परिजनों ने बालक का उपचार कराया, उसे दो दिन पहले ही सीएमएचओ की टीम ने बंद किया था.

रैणी सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि 2 अक्टूबर को वे इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात थे. इस दौरान 14 माह के बालक देवेंद्र को उसके परिजन उपचार के लिए लाए. बालक की जांच करने पर पता लगा कि उसकी पल्स नहीं चल रही है.

चौदह माह के शिशु की मौत, झोलाछाप डॉक्टर पर गलत इलाज का आरोप. (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें: तीन माह के मासूम की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, पिता का झोलाछाप डॉक्टर पर आरोप

बालक को सीपीआर व जरूरी जीवन रक्षक दवाइयां भी दी गई, लेकिन कोई हलचल नहीं हुई. इस पर उसे मृत घोषित कर दिया गया. परिजनों ने डॉ दीपक शर्मा को बताया कि बालक चार से पांच दिन से बीमार था. उसे मंगलवार रात को क्षेत्र के किसी निजी क्लीनिक में उपचार के लिए लेकर गए. बुधवार को भी रैणी अस्पताल आने से पहले निजी क्लीनिक में बालक को उपचार के लिए लेकर गए. वहां कथित चिकित्सक ने बालक के जो इंजेक्शन लगाए, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई. आनन फानन में परिजन बालक को रैणी सीएचसी लेकर पहुंचे.

डाक्टर के मना करने के बावजूद माता पिता देने लगे सीपीआर: चिकित्सकों ने जैसे ही परिजनों को बालक के मृत होने की सूचना दी. अस्पताल में ही बालक के माता पिता बिलखने लगे और बालक को सीपीआर देने लगे. उसके मुंह में पानी डालने लगे. घटना के बाद से परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है. परिजनों व स्थानीय लोगों का कहना था कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान बंद होनी चाहिए. उन्होंने चिकित्सा विभाग से झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.

यह भी पढ़ें: झोलाछाप डॉक्टर ने ली तीन मासूमों की जान, फर्जी चिकित्सक गिरफ्तार

दो दिन पहले ही बंद किया था क्लिनिक, फिर शुरू किया: चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि जिस अस्पताल में 14 माह के बालक देवेंद्र का इलाज करवाया गया था. उस निजी क्लीनिक को दो दिन पहले अलवर सीएमएचओ की टीम ने बंद करवा दिया था, लेकिन चिकित्सा विभाग की टीम के जाते ही चिकित्सक ने फिर से अपनी दुकान खोल ली. इसके बाद यह घटना हुई.

अलवर: राजगढ़ उपखंड क्षेत्र में बड़ी संख्या में झोलाछाप डॉक्टर अवैध रूप से अपने क्लीनिक संचालित कर रहे हैं. ये मौत का कारण भी बन रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बुधवार को कस्बे के रैणी क्षेत्र में देखने को मिला. यहां 14 माह के बालक का उसके परिजनों ने एक झोलाछाप डॉक्टर के क्लिनिक में उपचार कराया था. उपचार के बाद बालक की तकलीफ बढ़ गई और परिजन उसे सरकारी अस्पताल लेकर भी गए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो गई. खास बात यह है कि जिस निजी क्लिनिक में परिजनों ने बालक का उपचार कराया, उसे दो दिन पहले ही सीएमएचओ की टीम ने बंद किया था.

रैणी सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि 2 अक्टूबर को वे इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात थे. इस दौरान 14 माह के बालक देवेंद्र को उसके परिजन उपचार के लिए लाए. बालक की जांच करने पर पता लगा कि उसकी पल्स नहीं चल रही है.

चौदह माह के शिशु की मौत, झोलाछाप डॉक्टर पर गलत इलाज का आरोप. (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें: तीन माह के मासूम की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, पिता का झोलाछाप डॉक्टर पर आरोप

बालक को सीपीआर व जरूरी जीवन रक्षक दवाइयां भी दी गई, लेकिन कोई हलचल नहीं हुई. इस पर उसे मृत घोषित कर दिया गया. परिजनों ने डॉ दीपक शर्मा को बताया कि बालक चार से पांच दिन से बीमार था. उसे मंगलवार रात को क्षेत्र के किसी निजी क्लीनिक में उपचार के लिए लेकर गए. बुधवार को भी रैणी अस्पताल आने से पहले निजी क्लीनिक में बालक को उपचार के लिए लेकर गए. वहां कथित चिकित्सक ने बालक के जो इंजेक्शन लगाए, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई. आनन फानन में परिजन बालक को रैणी सीएचसी लेकर पहुंचे.

डाक्टर के मना करने के बावजूद माता पिता देने लगे सीपीआर: चिकित्सकों ने जैसे ही परिजनों को बालक के मृत होने की सूचना दी. अस्पताल में ही बालक के माता पिता बिलखने लगे और बालक को सीपीआर देने लगे. उसके मुंह में पानी डालने लगे. घटना के बाद से परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है. परिजनों व स्थानीय लोगों का कहना था कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान बंद होनी चाहिए. उन्होंने चिकित्सा विभाग से झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.

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दो दिन पहले ही बंद किया था क्लिनिक, फिर शुरू किया: चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि जिस अस्पताल में 14 माह के बालक देवेंद्र का इलाज करवाया गया था. उस निजी क्लीनिक को दो दिन पहले अलवर सीएमएचओ की टीम ने बंद करवा दिया था, लेकिन चिकित्सा विभाग की टीम के जाते ही चिकित्सक ने फिर से अपनी दुकान खोल ली. इसके बाद यह घटना हुई.

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