प्रयागराज: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी ने पद छोड़ने की वजह राज्यसभा टिकट में पिछड़े और अल्पसंख्यकों की अनदेखी किये जाने की वजह से पार्टी में पद से इस्तीफा दिया. हालांकि अभी तक उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है.
इसी के साथ सलीम शेरवानी ने यह भी कहा कि अभी उन्हें किस पार्टी में जाना है, यह तय नहीं किया है . भाजपा समेत जिस भी दल मुख्य नेताओं से बातचीत होगी, वह उसमें शामिल हो सकते हैं. उन्होंने अभी सपा में रहने के रास्ते भी बंद नहीं किए हैं. अगर अखिलेश यादव से उनकी सकारात्मक बातचीत होती है, तो वह सपा में भी रह सकते हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी से 3 पीढ़ियों से संबंध होने की बात कही.
शिवपाल यादव की मदद करेंगे: सलीम शेरवानी की नाराजगी के बाद बदायूं में लोकसभा का प्रत्याशी बदले जाने के सवाल पर पूर्व मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी ने कहा है कि मेरी धर्मेंद्र यादव से कोई ज्यादती नाराजगी नहीं है. कल तक भी वह मेरे संपर्क में थे. धर्मेंद्र यादव ने मुझे मनाने की भी कोशिश की, लेकिन मैंने उन्हें साफ कर दिया है कि मैं अपना फैसला नहीं बदलता.
वहीं समाजवादी पार्टी में बने रहने के सवाल पर कहा है कि अगर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव मुझे बातचीत के लिए बुलाएंगे, तो मैं उनसे मिलने जरूर जाउंगा. सलीम शेरवानी ने कहा है कि कांग्रेस के मध्यम दर्जे के नेताओं ने उनसे संपर्क भी किया है. लेकिन किसी भी दल के शीर्ष नेता अगर उन्हें बातचीत के लिए बुलाएंगे, तो वह जरूर जाएंगे. पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी ने कहा कि अब तक किसी भी पार्टी के बड़े नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया है.
भाजपा में भी जा सकते हैं सलीम शेरवानी: पूर्व मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी ने कहा कि अभी तक भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने उसने संपर्क नहीं किया है. लेकिन अगर भाजपा के लोग भी उनसे संपर्क करेंगे और उनके मुद्दों पर बातचीत बनती है तो वो भाजपा में जाने का फैसला भी ले सकते हैं. उसके लिए जरूरी है कि भाजपा में जाने से वो किस तरह से अपने लोगों के हित के लिए क्या क्या कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अभी उन्हें चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है, लेकिन समाज और लोगों की सेवा जिस दल में रहकर वो कर सकेंगे उसी में शामिल होंगे.
राहुल प्रियंका गांधी बात करेंगे, तो कांग्रेस में भी जा सकते हैं: पूर्व मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी ने कहा कि पिछले 40 सालों राजनीतिक सफर में उन्हें कई बार सांसद और केंद्रीय मंत्री तक रह चुके हैं. इसलिए उनके मन में अब राजनीति में ज्यादा कुछ पाने की इच्छा नहीं है. पूर्व मंत्री ने कहा कि किसी भी दल में जाने का फैसला वो अपने लोगों से सलाह लिए बिना नहीं लेंगे. अभी वो सपा में रुकने के साथ ही भाजपा, कांग्रेस बसपा में से जिस दल से बेहतर बातचीत और तालमेल बनेगा उसी में शामिल हो सकते हैं. अभी तक सपा के साथ ही बसपा और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने संपर्क किया है.
किसी भी दल में मुस्लिमों का रहनुमा नहीं: पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी ने कहा है कि देश में मुसलमानों का कोई रहनुमा नहीं बचा है. मुसलमानों का रहनुमा किसी मुसलमान से बेहतर कोई हिंदू नेता बन सकता है, जो मुसलमानों की समस्याओं पर आवाज़ उठाए. उन्होंने कहा है कि अगर मैं एक मुसलमान की हैसियत से यह महसूस करता हूं कि मैं अपने आप को सुरक्षित महसूस करता हूं, तो इसका पूरा क्रेडिट 80 फ़ीसदी हिंदुओं को ही जाता है.
नकी वजह से हम यह महसूस कर रहे हैं कि हम सुरक्षित हैं. वहीं भाजपा के सबका साथ सबका विकास के नारे पर उन्होंने कहा कि कहने और करने में अंतर होता है. भाजपा ने जो नारा दिया है, उसे करके दिखाएं तो बात बनेगी. उन्होंने कहा कि अब तक जो भी रिपोर्टे आई हैं, उसमें मुसलमानों के देश में हालत दलितों से भी खराब है.
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