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होटल के सुईट में नहीं सामान्य रूम में ठहरते थे रतन टाटा, सिर्फ ड्राइवर के साथ करते थे सफर

बिना सिक्योरिटी के 50 वर्ष पुरानी मर्सडिसीज से चलते थे, पूर्व आईपीएस और मंत्री असीम अरुण ने साझा किया अपना अनुभव

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

असीम अरुण और रतन टाटा.
असीम अरुण और रतन टाटा. (Etv Bharat)

लखनऊ : देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर हर कोई उनके साथ बिताये गए लम्हो को याद कर रहा है. इन्ही में से एक हैं यूपी के मंत्री और पूर्व आईपीएस अफसर असीम अरुण, जिन्होंने रतन टाटा के साथ कुछ समय बिताया था. जो उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया है. बता दें कि असीम अरुण अपनी पुलिस सेवा के दौरान कई अहम पदों पर रहे हैं. यूपी कैडर के आईपीएस रहे असीम अरुण एसपीजी में तैनाती के दौरान प्रधानमंत्री के मुख्य सुरक्षा अधिकारी रह चुके हैं. इसके अलावा एटीएस चीफ, पुलिस कमिशनर के साथ ही अन्य कई पदों पर रहे है. असीम अरुण ने रतन टाटा के निधन के बाद सोशल मीडिया में उनके साथ बिताये कुछ पलों के विषय में लिखा है.

होटल के प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं सामान्य रूम में रुके थे टाटा
असीम अरुण X पोस्ट पर लिखा कि वर्ष 2007 या 2008 को जब वो एसपीजी में प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में थे. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, ‘जीरो एरर’ यानि ‘त्रुटी शून्य’ और एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार मंथन और उस पर कार्रवाई चलती भी रहती है. इसी क्रम में एक लेक्चर आयोजित किया गया, जिसमें रतन टाटा को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था. एसपीजी में ऐसे अवसरों पर सामान्य शिष्टाचार होता है कि एक अधिकारी मुख्य अतिथि को लेने के लिए जाता है और सौभाग्य से उस दिन यह जिम्मेदारी मुझे मिली. निश्चित समय पर मैं रतन टाटा को एस्कार्ट करने के लिए नई दिल्ली के ताज मान सिंह होटल पहुंच गया. मालूम हुआ कि टाटा जी जब भी दिल्ली में होते हैं तो यहीं रुकते हैं. प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं, बल्कि एक सामान्य कमरे में. उनको ले कर जब हम निकलने लगे तो उन्होंने, मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया और यहां शुरु हुआ मेरे जीवन का एक सुंदर पन्ना.



50 साल पुरानी मर्सिडीज में अपने साथ बैठाया
पूर्व आईपीएस असीम लिखते है कि, रतन टाटा ले कर जब हम निकलने लगे तो उन्होंने, मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया. करीब 50 साल पुरानी मर्सिडीज और केवल ड्राइवर के साथच लते थे वे. मैंने पूछा सर आपके साथ कोई सुरक्षा क्यों नहीं है, तो सहजता से बोले मुझे भला किससे ख़तरा हो सकता है? मैंने फिर पूछा कि सर कोई सहयोगी कर्मी तो होना चाहिए जो आपके फोन संभालने जैसे काम करे तो बोले मुझे कभी ऐसी आवश्यकता ही नहीं, महसूस हुई.

एसपीजी की गाड़ी हटवा कर ही माने थे असीम अरुण ने आगे लिखा कि 'रास्ता दिखाने के लिए पायलट करने के लिए उनकी गाड़ी के आगे एक एसपीजी की टाटा सफारी मैंने लगा रखी थी. जब उनका ध्यान इस गाड़ी पर गया तो बहुत असहज हो गए और बोले इसे हटवा दीजिए. एसपीजी का पायलट पाने कोई भी आदमी अपना कालर खड़ा कर लेगा लेकिन जब तक पायलट हटा नहीं, टाटा जी को चैन नहीं आया.
असीम अरुण को जारी किया था लेटर.
असीम अरुण को जारी किया था लेटर. (Photo Credit; X Post)


हर सवाल की सरलता से देते थे जवाब
असीम अरुण आगे लिखते हैं कि लेक्चर का विषय था 'संस्था में उत्कृष्टता का विकास’. लेक्चर समाप्त हुआ, टाटा जी अपनी 50 साल पुरानी मर्सिडीज में बैठे तो मैंने पूछा कि सर, क्या आपके साथ एयरपोर्ट तक चलूं. यदि आपके पास कोई और काम नहीं है तो चलिए. एक घंटे मैं उनके साथ रहा, हर तरह के सवाल पूछे. उनके जवाबों में गज़ब की सरलता थी और मुद्दों को समझने और हल करने की क्षमता. मैंने उनसे पूछा, “एक्सीलेंस यानि उत्कृष्टता विकसित करने का क्या फार्मूला है?” वो बोले, “आपकी कंपनी या विभाग जो काम करता है उसे ‘sub-processes’ में बांटे और हर अंश को पक्का करें, प्रक्रिया बनाएं और क्वालिटी कंट्रोल का सशक्त सिस्टम बनाएं. अंतिम परिणाम तभी मुकम्मल होगा जब उसको फीड करने वाले अंग भी पर्फेक्ट होंगे.

BMW से टक्कर लेने के लिए सफारी को किया था अपग्रेड
टाटा मोटर्स ने एसपीजी के लिए ख़ास बुलेट प्रूफ कार और एस्कार्ट कार तैयार की थीं. रिसर्च पर बहुत खर्च भी किया था, लेकिन उस समय एसपीजी ने BMW भी खरीदना शुरू कर दिया था. मैंने पूछा, “सर आपको इससे निराशा होगी क्या”? बोले, “नहीं, मुझे बिल्कुल निराशा नहीं होगी. अगर टाटा मोटर्स को मार्केट में रहना है तो प्रतियोगिता में शामिल रहना होगा. एसपीजी बेस्ट कार ही लेगी. मुझे अपनी सफारी को बेस्ट बनाना होगा. मैं अपनी टीम को तुरंत लगाऊंगा कि बीएमडब्लू को स्टडी करें, उनके फीचर्स को सफारी में शामिल करें और आगे बढ़ें. उत्कृष्टता की यात्रा निरंतरता की है.”

इसे भी पढ़ें-जब रतन टाटा ने मैक्सिकन दोस्तों संग निहारा था ताजमहल, 45 मिनट तक रुके थे, विजिटर बुक में लिखी थी ये बड़ी बात

लखनऊ : देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर हर कोई उनके साथ बिताये गए लम्हो को याद कर रहा है. इन्ही में से एक हैं यूपी के मंत्री और पूर्व आईपीएस अफसर असीम अरुण, जिन्होंने रतन टाटा के साथ कुछ समय बिताया था. जो उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया है. बता दें कि असीम अरुण अपनी पुलिस सेवा के दौरान कई अहम पदों पर रहे हैं. यूपी कैडर के आईपीएस रहे असीम अरुण एसपीजी में तैनाती के दौरान प्रधानमंत्री के मुख्य सुरक्षा अधिकारी रह चुके हैं. इसके अलावा एटीएस चीफ, पुलिस कमिशनर के साथ ही अन्य कई पदों पर रहे है. असीम अरुण ने रतन टाटा के निधन के बाद सोशल मीडिया में उनके साथ बिताये कुछ पलों के विषय में लिखा है.

होटल के प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं सामान्य रूम में रुके थे टाटा
असीम अरुण X पोस्ट पर लिखा कि वर्ष 2007 या 2008 को जब वो एसपीजी में प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में थे. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, ‘जीरो एरर’ यानि ‘त्रुटी शून्य’ और एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार मंथन और उस पर कार्रवाई चलती भी रहती है. इसी क्रम में एक लेक्चर आयोजित किया गया, जिसमें रतन टाटा को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था. एसपीजी में ऐसे अवसरों पर सामान्य शिष्टाचार होता है कि एक अधिकारी मुख्य अतिथि को लेने के लिए जाता है और सौभाग्य से उस दिन यह जिम्मेदारी मुझे मिली. निश्चित समय पर मैं रतन टाटा को एस्कार्ट करने के लिए नई दिल्ली के ताज मान सिंह होटल पहुंच गया. मालूम हुआ कि टाटा जी जब भी दिल्ली में होते हैं तो यहीं रुकते हैं. प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं, बल्कि एक सामान्य कमरे में. उनको ले कर जब हम निकलने लगे तो उन्होंने, मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया और यहां शुरु हुआ मेरे जीवन का एक सुंदर पन्ना.



50 साल पुरानी मर्सिडीज में अपने साथ बैठाया
पूर्व आईपीएस असीम लिखते है कि, रतन टाटा ले कर जब हम निकलने लगे तो उन्होंने, मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया. करीब 50 साल पुरानी मर्सिडीज और केवल ड्राइवर के साथच लते थे वे. मैंने पूछा सर आपके साथ कोई सुरक्षा क्यों नहीं है, तो सहजता से बोले मुझे भला किससे ख़तरा हो सकता है? मैंने फिर पूछा कि सर कोई सहयोगी कर्मी तो होना चाहिए जो आपके फोन संभालने जैसे काम करे तो बोले मुझे कभी ऐसी आवश्यकता ही नहीं, महसूस हुई.

एसपीजी की गाड़ी हटवा कर ही माने थे असीम अरुण ने आगे लिखा कि 'रास्ता दिखाने के लिए पायलट करने के लिए उनकी गाड़ी के आगे एक एसपीजी की टाटा सफारी मैंने लगा रखी थी. जब उनका ध्यान इस गाड़ी पर गया तो बहुत असहज हो गए और बोले इसे हटवा दीजिए. एसपीजी का पायलट पाने कोई भी आदमी अपना कालर खड़ा कर लेगा लेकिन जब तक पायलट हटा नहीं, टाटा जी को चैन नहीं आया.
असीम अरुण को जारी किया था लेटर.
असीम अरुण को जारी किया था लेटर. (Photo Credit; X Post)


हर सवाल की सरलता से देते थे जवाब
असीम अरुण आगे लिखते हैं कि लेक्चर का विषय था 'संस्था में उत्कृष्टता का विकास’. लेक्चर समाप्त हुआ, टाटा जी अपनी 50 साल पुरानी मर्सिडीज में बैठे तो मैंने पूछा कि सर, क्या आपके साथ एयरपोर्ट तक चलूं. यदि आपके पास कोई और काम नहीं है तो चलिए. एक घंटे मैं उनके साथ रहा, हर तरह के सवाल पूछे. उनके जवाबों में गज़ब की सरलता थी और मुद्दों को समझने और हल करने की क्षमता. मैंने उनसे पूछा, “एक्सीलेंस यानि उत्कृष्टता विकसित करने का क्या फार्मूला है?” वो बोले, “आपकी कंपनी या विभाग जो काम करता है उसे ‘sub-processes’ में बांटे और हर अंश को पक्का करें, प्रक्रिया बनाएं और क्वालिटी कंट्रोल का सशक्त सिस्टम बनाएं. अंतिम परिणाम तभी मुकम्मल होगा जब उसको फीड करने वाले अंग भी पर्फेक्ट होंगे.

BMW से टक्कर लेने के लिए सफारी को किया था अपग्रेड
टाटा मोटर्स ने एसपीजी के लिए ख़ास बुलेट प्रूफ कार और एस्कार्ट कार तैयार की थीं. रिसर्च पर बहुत खर्च भी किया था, लेकिन उस समय एसपीजी ने BMW भी खरीदना शुरू कर दिया था. मैंने पूछा, “सर आपको इससे निराशा होगी क्या”? बोले, “नहीं, मुझे बिल्कुल निराशा नहीं होगी. अगर टाटा मोटर्स को मार्केट में रहना है तो प्रतियोगिता में शामिल रहना होगा. एसपीजी बेस्ट कार ही लेगी. मुझे अपनी सफारी को बेस्ट बनाना होगा. मैं अपनी टीम को तुरंत लगाऊंगा कि बीएमडब्लू को स्टडी करें, उनके फीचर्स को सफारी में शामिल करें और आगे बढ़ें. उत्कृष्टता की यात्रा निरंतरता की है.”

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