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जेल से रिहा होकर दो दिन में दिल्ली पहुंचेंगे पूर्व प्रोफेसर जीएन साईं बाबा, समर्थक प्रोफेसरों ने की उनकी बहाली की मांग

Former DU professor GN Sai Baba: मुंबई हाईकोर्ट ने डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईं बाबा को माओवादियों से संबंध रखने के मामले में बरी कर दिया है. अब उनके बचाव के लिए बनी डिफेंस कमेटी के सदस्यों ने उनकी बहाली की मांग शुरू कर दी है.

Former DU professor GN Sai Baba
Former DU professor GN Sai Baba
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 7, 2024, 10:18 AM IST

पूर्व प्रोफेसर जीएन साईं बाबा

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के रामलाल आनंद कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईं बाबा को माओवादियों से संबंध रखने के आरोप से मुक्त करते हुए मंगलवार को मुंबई हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. उनके के बरी होने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में उनके समर्थक छात्रों ने कहा कि प्रोफेसर को 10 साल जेल में रखकर उनके साथ अन्याय किया गया. वह पहले से ही 90% दिव्यांग थे. हम लोगों ने पहले ही कहा था कि उन पर लगे आरोप साबित नहीं होंगे और वही हुआ.

सुदीप नामक एक छात्र ने कहा कि 90 प्रतिशत दिव्यांग आदमी को जेल के अंडा सेल में रखा गया, जबकि उनको इस तरह सेल में रखने की जरूरत नहीं थी. वहीं प्रोफेसर जीएन साईं बाबा की गिरफ्तारी के समय उनके बचाव के लिए बनी डिफेंस कमेटी की सदस्य एवं सेंट स्टीफंस कॉलेज की प्रोफेसर केरेन गेब्रियल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द पूर्व प्रोफेसर जीएन साईं बाबा हमारे बीच होंगे. उनके परिवार ने बहुत कड़ा संघर्ष किया है, लेकिन उनका संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. अब जब कोर्ट ने उनको सबूत के अभाव में बरी कर दिया है तो रामलाल आनंद कॉलेज को उनकी नौकरी भी बहाल करनी होगी. हम इसके लिए लड़ाई लड़ेंगे.

उन्होंने कहा कि जब कॉलेज ने पूर्व प्रोफेसर की सेवाएं समाप्त की थी, उस समय भी हमने प्रोटेस्ट किया था और यह मांग रखी थी कि अभी मामला न्यायालय में विचाराधीन है और उनको सजा नहीं हुई है. इसलिए उनकी नौकरी को खत्म न किया जाए. इससे उनका परिवार खराब आर्थिक स्थिति में चला जाएगा, लेकिन इसकी सुनवाई नहीं हुई. जेल में रहने की वजह से पूर्व प्रोफेसर कई बीमारियों से ग्रस्त हो गए हैं. उनके सिर में सिस्ट है और वह ठीक से दोनों हाथ भी नहीं चला पाते हैं. पहले वह बहुत अच्छे से लिख लेते थे, लेकिन अब शारीरिक अक्षमता और अन्य बीमारियों के कारण वह लिखने में असमर्थ हो गए हैं.

प्रोफेसर गेब्रियल ने कहा कि पूर्व प्रोफेसर साईं बाबा की पत्नी वसंता रिहाई की तमाम प्रक्रियाओं को पूरी करने के लिए नागपुर पहुंच गई हैं. जल्द उन्हें दिल्ली लाकर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा. जब उनको गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था, उस समय भी उन्हें कोर्ट ने रिहा कर दिया था. राज्य सरकार ने उन्हें फिर से जेल भेज दिया था.

वहीं, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) की अध्यक्ष डीयू की पूर्व प्रोफेसर डॉ. नंदिता नारायण ने कहा कि पूर्व प्रोफेसर के जेल से रिहा होने पर हमें बड़ी राहत मिली है. उनको और उनके परिवार को पहले से यह राहत देनी चाहिए थी. हम रामलाल आनंद कॉलेज प्रशासन से भी मांग करते हैं कि उनकी नौकरी को जल्द बहाल किया जाए और 10 साल का समय जो उन्होंने जेल में बिताया है. इस अवधि का उनका पूरा वेतन और सभी भत्ते की धनराशि भी जाए.

यह भी पढ़ें-पुलिसकर्मी की हत्या करने के दोषियों ने कोर्ट में आय संबंधी हलफनामा दाखिल किया

अन्य एक्टिविस्ट की रिहाई की रखी मांग: इस मौके पर वामपंथी छात्र संगठनों ने डीयू आर्ट फैकल्टी के बाहर प्रदर्शन कर उनके साथ जेल में बंद हुए अन्य एक्टिविस्टों की रिहाई की भी मांग की. उन्होंने जेल में बंद सरजील इमाम, उमर खालिद, खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा, सोमा सेन, मिरान हैदर, गौतम नवलखा, रोना विल्सन सहित तमाम एक्टिविस्टों की और राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग की. साथ ही मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

यह भी पढ़ें-नहीं रहे दिल्ली के पूर्व मेयर पृथ्वीराज साहनी, लम्बे समय से चल रहे थे बीमार

पूर्व प्रोफेसर जीएन साईं बाबा

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के रामलाल आनंद कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईं बाबा को माओवादियों से संबंध रखने के आरोप से मुक्त करते हुए मंगलवार को मुंबई हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. उनके के बरी होने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में उनके समर्थक छात्रों ने कहा कि प्रोफेसर को 10 साल जेल में रखकर उनके साथ अन्याय किया गया. वह पहले से ही 90% दिव्यांग थे. हम लोगों ने पहले ही कहा था कि उन पर लगे आरोप साबित नहीं होंगे और वही हुआ.

सुदीप नामक एक छात्र ने कहा कि 90 प्रतिशत दिव्यांग आदमी को जेल के अंडा सेल में रखा गया, जबकि उनको इस तरह सेल में रखने की जरूरत नहीं थी. वहीं प्रोफेसर जीएन साईं बाबा की गिरफ्तारी के समय उनके बचाव के लिए बनी डिफेंस कमेटी की सदस्य एवं सेंट स्टीफंस कॉलेज की प्रोफेसर केरेन गेब्रियल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द पूर्व प्रोफेसर जीएन साईं बाबा हमारे बीच होंगे. उनके परिवार ने बहुत कड़ा संघर्ष किया है, लेकिन उनका संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. अब जब कोर्ट ने उनको सबूत के अभाव में बरी कर दिया है तो रामलाल आनंद कॉलेज को उनकी नौकरी भी बहाल करनी होगी. हम इसके लिए लड़ाई लड़ेंगे.

उन्होंने कहा कि जब कॉलेज ने पूर्व प्रोफेसर की सेवाएं समाप्त की थी, उस समय भी हमने प्रोटेस्ट किया था और यह मांग रखी थी कि अभी मामला न्यायालय में विचाराधीन है और उनको सजा नहीं हुई है. इसलिए उनकी नौकरी को खत्म न किया जाए. इससे उनका परिवार खराब आर्थिक स्थिति में चला जाएगा, लेकिन इसकी सुनवाई नहीं हुई. जेल में रहने की वजह से पूर्व प्रोफेसर कई बीमारियों से ग्रस्त हो गए हैं. उनके सिर में सिस्ट है और वह ठीक से दोनों हाथ भी नहीं चला पाते हैं. पहले वह बहुत अच्छे से लिख लेते थे, लेकिन अब शारीरिक अक्षमता और अन्य बीमारियों के कारण वह लिखने में असमर्थ हो गए हैं.

प्रोफेसर गेब्रियल ने कहा कि पूर्व प्रोफेसर साईं बाबा की पत्नी वसंता रिहाई की तमाम प्रक्रियाओं को पूरी करने के लिए नागपुर पहुंच गई हैं. जल्द उन्हें दिल्ली लाकर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा. जब उनको गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था, उस समय भी उन्हें कोर्ट ने रिहा कर दिया था. राज्य सरकार ने उन्हें फिर से जेल भेज दिया था.

वहीं, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) की अध्यक्ष डीयू की पूर्व प्रोफेसर डॉ. नंदिता नारायण ने कहा कि पूर्व प्रोफेसर के जेल से रिहा होने पर हमें बड़ी राहत मिली है. उनको और उनके परिवार को पहले से यह राहत देनी चाहिए थी. हम रामलाल आनंद कॉलेज प्रशासन से भी मांग करते हैं कि उनकी नौकरी को जल्द बहाल किया जाए और 10 साल का समय जो उन्होंने जेल में बिताया है. इस अवधि का उनका पूरा वेतन और सभी भत्ते की धनराशि भी जाए.

यह भी पढ़ें-पुलिसकर्मी की हत्या करने के दोषियों ने कोर्ट में आय संबंधी हलफनामा दाखिल किया

अन्य एक्टिविस्ट की रिहाई की रखी मांग: इस मौके पर वामपंथी छात्र संगठनों ने डीयू आर्ट फैकल्टी के बाहर प्रदर्शन कर उनके साथ जेल में बंद हुए अन्य एक्टिविस्टों की रिहाई की भी मांग की. उन्होंने जेल में बंद सरजील इमाम, उमर खालिद, खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा, सोमा सेन, मिरान हैदर, गौतम नवलखा, रोना विल्सन सहित तमाम एक्टिविस्टों की और राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग की. साथ ही मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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