जयपुर. राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पिच पर सरकार और विपक्ष के बीच पिछले कुछ दिनों से जारी घमासान सोमवार को चरम पर है. वैभव गहलोत के आरसीए अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इनकी क्रिकेट के प्रति कोई भावना नहीं है. ये आरसीए पर कब्जा करना चाहते हैं. इस पर खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पलटवार किया है. उनका कहना है कि आरसीए एसएमएस स्टेडियम जैसी सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल करता है. उसका लाभ जनता को मिलना चाहिए या किसी प्राइवेट क्लब को मिलना चाहिए? लाखों-करोड़ों की इस संपत्ति से राजस्थान के खिलाड़ियों को कोई लाभ नहीं हो रहा है. कोई आमदनी नहीं हो रही है. उल्टा टूट-फूट हो रही है.
जो व्यवहार किया वह उचित नहीं : पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार बदलने के बाद हमारे साथ जो व्यवहार किया जा रहा है, वह उचित नहीं है. आरसीए का 15 साल का एमओयू खत्म हो गया तो उसकी भी एक प्रक्रिया है. हमारी सरकार चाहती तो एमओयू को 15 साल और बढ़ा सकती थी, लेकिन हमने नहीं बढ़ाया क्योंकि यह रूटीन है.
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एक दिन में सामान बाहर किया : अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार आने के बाद आप एमओयू बढ़े या नहीं बढ़े, आपकी मर्जी, लेकिन आपको प्रॉपर तरीके से नोटिस देना चाहिए. इसका जवाब दिया जाता. समय मिलना चाहिए था. ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि एक-दो दिन में सारा सामान बाहर चला गया या भेजा गया या फिर ले जाया गया. ऐसी स्थिति बन गई कि पता नहीं सात दिन बाद क्या हो जाएगा. जिस तरह का व्यवहार किया गया, वह उचित नहीं था.
सरकार के व्यवहार से वैभव भी व्यथित : उन्होंने कहा कि सरकार के व्यवहार से वैभव खुद भी व्यथित हैं. आईपीएल मैच जयपुर लेकर आए, अंतर्राष्ट्रीय मैच लेकर आए, वेदांता ग्रुप से बात करके 300-400 करोड़ रुपए स्वीकृत करवाए. इसमें से 60 करोड़ रुपए तो लग भी चुके हैं. जयपुर में एक नया स्टेडियम बन रहा है, जो दुनिया का तीसरा बड़ा स्टेडियम होगा. जोधपुर का स्टेडियम तैयार हो गया. वहां मैच होने लगे हैं. उदयपुर में स्टेडियम बन गया है. एक तरह से अच्छा माहौल नौजवानों के लिए बन रहा था. अब जिस तरह इतना दबाव डाला जा रहा, उसकी कोई जरूरत ही नहीं थी. अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोई जरूरत ही नहीं थी.
आप कह देते तो इस्तीफा दे देता : पूर्व सीएम ने कहा कि आप खुद ही अपनी भावना व्यक्त कर देते. कह देते कि इस्तीफा दो, तो इस्तीफा दे देते. सरकार बदल गई तो अब नया अध्यक्ष कौन बने, कैसे हम कब्जा करें, इसकी राजनीति चल रही. यह तो कब्जे वाली बात है, यह कब्जा करना चाहते हैं. इनके दिमाग में क्रिकेट के प्रति कोई भावना नहीं है. अगर होती तो प्रॉपर तरीके से कार्रवाई होती. इसके मायने यह है कि आपने जिस तरह से कार्रवाई की है. उसे उचित नहीं की कहा जा सकता है.
मंत्री राज्यवर्धन सिंह ने दिया यह जवाब : आरसीए को लेकर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि जैसे मेरे लिए बाकी फेडरेशन हैं, वैसे ही आरसीए है. न ये किसी फेडरेशन से ऊंची है और न ही नीची, लेकिन अगर आरसीए एसएमएस स्टेडियम जैसी सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल करता है, तो उसका लाभ जनता को मिलना चाहिए या किसी प्राइवेट क्लब को? लाखों करोड़ों की इस संपत्ति से राजस्थान के खिलाड़ियों को कोई लाभ नहीं हो रहा है. कोई आमदनी नहीं हो रही है. उल्टा टूट-फूट हो रही है.
चार साल से बिजली का बिल तक नहीं दिया: खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह ने आरोप लगाया कि आरसीए ने बिजली का खर्चा पिछले चार साल से नहीं दिया. जितना पैसा बनता है, वो भी नहीं दिया. क्या आरसीए इतनी गरीब है? हर छह महीने में अपने खातों का ऑडिट देना होता, वह भी नहीं दिया जा रहा है. क्रीड़ा परिषद के सचिव ने रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी को कहा कि आप इनसे पूछिए कि अभी तक इन्होंने अपने अकाउंट का ऑडिट क्यों नहीं दिया? बकाया क्यों नहीं दिया? कानून स्पष्ट है कि किन बातों पर फेडरेशन को निरस्त किया जा सकता है. ऑडिट में छेड़छाड़ है तो यह भी कारण बन सकता है.