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4 दिन से धू-धूकर जल रहे उत्तरकाशी के जंगल, वन विभाग बेखबर, चुनाव आयोग ने बढ़ाई विभाग की उलझन - Forest Fire in Uttarakhand

Forest Fire in Uttarkashi उत्तरकाशी के मुखेम रेंज के जंगल में लगी आग से वन विभाग बेखबर है. पिछले 4 दिनों से वनाग्नि ने लाखों की संपदा राख कर दी है. जबकि वन विभाग के रजिस्टर में एक भी घटना दर्ज नहीं है.

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फोटो-ईटीवी भारत
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 27, 2024, 3:30 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू हो चुका है. जगह-जगह से फॉरेस्ट फायर की घटनाएं भी वन विभाग के रजिस्टर में दर्ज होने लगी है. उत्तरकाशी के डांग, पोखरी, साल्ड गांव के साथ ही बाड़ाहाट और मुखेम रेंज के जंगल पिछले 4 दिनों से धू-धूकर जल रहे हैं. बीते रात मंगलवार को भी मुखेम रेंज के जंगल सुलगते रहे. लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि वन विभाग के रिकॉर्ड में वनाग्नि की एक भी घटना दर्ज नहीं है. इससे उत्तरकाशी वन प्रभाग के वनाग्नि नियंत्रण पर ही सवाल उठ रहे हैं.

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2021 के अनुसार, उत्तरकाशी जिले में 37.88 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वनाच्छादित है. विगत कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन से तापवृद्धि के चलते वनाग्नि की घटनाएं बढ़ती जा रही है. इस साल तो 15 फरवरी से 15 जून तक चलने वाले फायर सीजन से पूर्व ही वनाग्नि की घटनाएं शुरू हो गई थी. अब तक कई जगह बड़े पैमाने पर वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं. इससे अमूल्य वन संपदा के साथ वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

बीते दिनों ही जिला मुख्यालय से लगे डांग और पोखरी गांव के जंगल करीब चार दिनों तक धू-धूकर जलते रहे थे. बाद में डिप्टी रेंजर महावीर खरोला के नेतृत्व में भी वन कर्मियों की टीम वनाग्नि नियंत्रण के लिए मौके पर पहुंची थी. इससे पूर्व जसपुर गांव के ऊपर भी जंगल जला. वहीं, धरासू रेंज के बढ़ेथ बीट में जंगल जले. वन विभाग के कोटबंगला कार्यालय से महज चार से पांच किमी दूर बाड़ाहाट रेंज के महिडांडा क्षेत्र वाला जंगल भी जला. लेकिन वन विभाग के रिकॉर्ड में वनाग्नि की एक भी घटना दर्ज नहीं हो पाई है. हालांकि, विभाग घटनाओं पर नजर रखने के लिए मास्टर कंट्रोल रूम संचालित करने की बात कह रहा है.

"वनाग्नि की कुछ घटनाएं तो हुई हैं. हो सकता है कि रेंज से जानकारी न आई हो, इस कारण दर्ज नहीं हो पाई हों. इसकी जानकारी ली जाएगी." -डीपी बलूनी, डीएफओ उत्तरकाशी वन प्रभाग

चुनाव ड्यूटी में कर्मचारी, कैसे बचेगा जंगल: लोकसभा चुनाव के चलते इस बार वन विभाग के शत-प्रतिशत कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया गया है. ऐसे में वनाग्नि नियंत्रण भी विभाग के चलते चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. डीएफओ डीपी बलूनी ने बताया कि उच्चाधिकारियों ने फायर सीजन के चलते वन विभाग के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने की अपील की थी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू हो चुका है. जगह-जगह से फॉरेस्ट फायर की घटनाएं भी वन विभाग के रजिस्टर में दर्ज होने लगी है. उत्तरकाशी के डांग, पोखरी, साल्ड गांव के साथ ही बाड़ाहाट और मुखेम रेंज के जंगल पिछले 4 दिनों से धू-धूकर जल रहे हैं. बीते रात मंगलवार को भी मुखेम रेंज के जंगल सुलगते रहे. लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि वन विभाग के रिकॉर्ड में वनाग्नि की एक भी घटना दर्ज नहीं है. इससे उत्तरकाशी वन प्रभाग के वनाग्नि नियंत्रण पर ही सवाल उठ रहे हैं.

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2021 के अनुसार, उत्तरकाशी जिले में 37.88 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वनाच्छादित है. विगत कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन से तापवृद्धि के चलते वनाग्नि की घटनाएं बढ़ती जा रही है. इस साल तो 15 फरवरी से 15 जून तक चलने वाले फायर सीजन से पूर्व ही वनाग्नि की घटनाएं शुरू हो गई थी. अब तक कई जगह बड़े पैमाने पर वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं. इससे अमूल्य वन संपदा के साथ वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

बीते दिनों ही जिला मुख्यालय से लगे डांग और पोखरी गांव के जंगल करीब चार दिनों तक धू-धूकर जलते रहे थे. बाद में डिप्टी रेंजर महावीर खरोला के नेतृत्व में भी वन कर्मियों की टीम वनाग्नि नियंत्रण के लिए मौके पर पहुंची थी. इससे पूर्व जसपुर गांव के ऊपर भी जंगल जला. वहीं, धरासू रेंज के बढ़ेथ बीट में जंगल जले. वन विभाग के कोटबंगला कार्यालय से महज चार से पांच किमी दूर बाड़ाहाट रेंज के महिडांडा क्षेत्र वाला जंगल भी जला. लेकिन वन विभाग के रिकॉर्ड में वनाग्नि की एक भी घटना दर्ज नहीं हो पाई है. हालांकि, विभाग घटनाओं पर नजर रखने के लिए मास्टर कंट्रोल रूम संचालित करने की बात कह रहा है.

"वनाग्नि की कुछ घटनाएं तो हुई हैं. हो सकता है कि रेंज से जानकारी न आई हो, इस कारण दर्ज नहीं हो पाई हों. इसकी जानकारी ली जाएगी." -डीपी बलूनी, डीएफओ उत्तरकाशी वन प्रभाग

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