कानपुर: आईआईटी कानपुर कैम्पस के अंदर 2 साल से टहल रहा तेंदुआ 15 दिन पहले फिर से दिखाई दिया. तेंदुए के बार-बार दिखने और पकड़े नहीं जाने से वन विभाग के अफसरों की नींद उड़ी हुई है. वन विभाग के अफसरों की ओर से तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजड़ा लगाने से लेकर कई और कवायदें की गईं लेकिन, अभी तक तेंदुआ पकड़ा नहीं जा सकता है.
तेंदुआ के कैम्पस में चहलकदमी करने से जहां छात्र और प्रोफेसर दहशत में हैं, वहीं अब यह मामला प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव तक पहुंच गया है. 18 नवंबर को वह खुद कानपुर आए थे और उन्होंने आईआईटी कानपुर कैम्पस पहुंचकर तेंदुए के पदचिह्नों व वन विभाग के अफसरों की तैयारियों को परखा था.
हालांकि, अंदरखाने चर्चा इस बात की है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव ने कानपुर के अफसरों को फटकार लगाई और तेंदुआ न पकड़ने का कारण पूछा तो अफसरों ने कहा- तेंदुआ अपने प्राकृतिक वास में है. इसलिए उसे जबरदस्ती नहीं पकड़ा जा सकता. इससे उसके आबादी क्षेत्र में पहुंचने की संभावना है.
मि. इंडिया बन जाता है तेंदुआ: आईआईटी कानपुर से लेकर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के फार्मिंग एरिया (खेतों तक) में तेंदुए की चहलकदमी पिछले दो साल से है. सर्दी के सीजन में तेंदुआ लगातार दिखता रहा है. हालांकि, अचानक ही वह गायब हो जाता है और लोग कहते हैं तेंदुआ मि. इंडिया बन गया.
वन विभाग के अफसरों का कहना है कि अब शहर में कई तेंदुए हो चुके हैं. लेकिन, कोई इसका ठोस दावा नहीं कर रहा है. मुख्य वन संरक्षक केके सिंह का कहना है कि जब तेंदुआ किसी को हानि नहीं पहुंचा रहा तो उसके लिए सबसे सुरक्षित स्थान प्राकृतिक वास ही है. तेंदुआ पकड़ने के लिए थर्मल इमेजिंग कैमरे का उपयोग किया गया है. इसे ड्रोन में लगाया गया है.
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल का कहना है कि तेंदुए को पकड़ने के लिए हमने मुख्य वन संरक्षक समेत अन्य जिम्मेदारों को पत्र भेज रखा है. तेंदुआ के कैम्पस में रहने से सभी को डर लगना लाजिमी है.
कानपुर मंडल के मुख्य वन संरक्षक केके सिंह का कहना है कि तेंदुआ पकड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. हालांकि, जब तेंदुआ दिखेगा तभी पकड़ा जा सकेगा. जंगल में वह अपने प्राकृतिक वास की तरह रहता है. इसलिए किसी वन्यजीव को बेवजह हानि भी नहीं पहुंचाई जा सकती है.
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