देहरादूनः उत्तराखंड वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण के लिए तकनीकी मदद ले रहा है. इस दौरान नए प्रयोगों के जरिए वनाग्नि रोकथाम के प्रयास भी किए जा रहे हैं. इस कड़ी में सूचना प्रबंधन प्रणाली को डिजिटलाइज करते हुए विभाग ने फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप विकसित किया. जिसे संचालित करने के लिए राज्य भर में वन कर्मियों को प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय किया गया है.
उत्तराखंड में जंगलों की आग पर रोकथाम के लिए रिस्पांस टाइम को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए विभाग ने हाल ही में फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप विकसित किया है. इस एप के माध्यम से विभाग का दावा है कि वनाग्नि के दौरान रिस्पांस टाइम में बेहद कमी लाई जा सकेगी. फिलहाल विभाग के अधिकारी मोबाइल एप के बेहतर प्रयोग को वन विभाग के कर्मचारियों तक पहुंचाने के प्रयास कर रहे हैं.
उत्तराखंड वन विभाग फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल एप को संचालित करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने जा रहा है. इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग के कार्यक्रम भी तय किए गए हैं. इसके तहत हरिद्वार के डीएफओ वैभव कुमार मोबाइल एप के संचालन हेतु मास्टर कंट्रोल रूम ऑपरेटर/मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण देंगे. राज्य में प्रत्येक वन प्रभाग से दो मास्टर ट्रेनर, एक कंप्यूटर ऑपरेटर और एक मास्टर कंट्रोल रूम कर्मचारी को नामित किया गया है.
गढ़वाल और भागीरथी वृत के अंतर्गत कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. इसी तरह शिवालिक वृत्त में 14 नवंबर, उत्तरी कुमाऊं वृत में 16 नवंबर, दक्षिणी कुमाऊं वृत में 18 नवंबर, पश्चिम वृत में 19 नवंबर और 20 नवंबर को कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस दौरान रिस्पांस टाइम को देखने के लिए भी दो वाहनों में जीपीएस लगाकर फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड मोबाइल ऐप के जरिए ट्रैक किया जाएगा. ताकि मोबाइल ऐप के माध्यम से घटना के बाद रिस्पांस टाइम की स्थिति को देखा जा सके.
इसके अलावा जंगलों में आग के अलर्ट जल्द से जल्द मिल सके, इसके लिए मिशन मोबाइल पर अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही ग्राम प्रधानों, पंचायत सरपंचों के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी एफएसआई द्वारा विकसित फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ने की कार्रवाई की जाएगी.
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