नैनीताल: उत्तराखंड में वन विभाग जंगलों की आग को लेकर बड़ी चुनौती से जूझ रहा है. नैनीताल के जंगलों में लगी आग आने वाले खतरे को भी बयां कर रही है. खास बात ये है कि वन विभाग इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए अब शरारती तत्वों से कड़ाई के साथ निपटने का फैसला कर चुका है. दरअसल उत्तराखंड में वन विभाग ने अब तक 196 केस दर्ज किए हैं. यह केस जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं. इसमें कुल 23 आग की घटनाएं ऐसी हैं, जिन्हें लगाने वालों का वन विभाग ने पता लगा लिया है.
इन मामलों में कुल 29 लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 176 केस अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं.खास बात यह है कि इस बार वन विभाग ने जंगलों में आग के लिए सीधे तौर पर डीएफओ को जिम्मेदार बताया है. साथ ही जंगलों में लगने वाली आग के लिए डीएफओ को खुद मौके पर जाने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, उत्तराखंड में आग की घटना से अब तक दो लोग झुलस चुके हैं. जिसमें से एक व्यक्ति की मौत की खबर है. हालांकि अभी विभाग इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है.
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि फिलहाल नैनीताल में जंगलों में लगी आग के लिए सेना ने मोर्चा संभाला है और आग को काबू में लाने के प्रयास किया जा रहे हैं, लेकिन राज्य में विभिन्न जगहों पर जंगलों में लगी आग के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग करने से वन विभाग परहेज कर रहा है, क्योंकि हेलीकॉप्टर के उपयोग से आग बुझाने का काम बहुत सफल प्रक्रिया नहीं है. उल्टा हेलीकॉप्टर की पंखड़ियों से निकलने वाली हवा से आग फैलने का खतरा बढ़ जाता है.
उन्होंने कहा कि बिना लोगों की सहभागिता के जंगलों की आग बुझाना नामुमकिन है, इसलिए लोगों को जंगलों से जोड़ने और उनका सहयोग लेने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए तमाम समितियां को सम्मानित करने और उन्हें इनाम देने तक के भी कार्य वन विभाग द्वारा किए जा रहे हैं.
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