Langurs Freed in Agra: ताजनगरी में वन विभाग की टीम ने शिकायत पर सदर क्षेत्र स्थित कंपनी गार्डन से नौ लंगूर मुक्त कराए हैं. इनमें छह मादा और दो नर के साथ ही एक बच्चा शामिल था. वन विभाग की टीम ने वाइल्ड लाइफ एसओएस की टीम के साथ बंदर भागने के लिए कैद करके रखे गए लंगूरों को मुक्त कराकर जंगल में में छोड़ा दिया.
![लंगूरों को बंदर भगाने के लिए कैद करके रखा गया था](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-04-2024/up-agr-05-agra-forest-news-photo-7203925_23042024191347_2304f_1713879827_121.jpg)
बता दें कि, वन विभाग को शिकायत मिली थी कि सदर क्षेत्र में एक आवासीय कॉलोनी में नौ लंगूरों को बांधकर रखा जा रहा है. ये लंगूर बंदर भगाने के लिए रखे जा रहे हैं. इस पर वन विभाग ने कार्रवाई की. पहले मौके पर वन विभाग की टीम पहुंची. डीएफओ आगरा आदर्श कुमार ने बताया कि कॉलोनी से जो आठ लंगूर मुक्त कराए हैं. वे भारतीय ग्रे लंगूर हैं. इन्हें वाइल्ड लाइफ एसओएस की टीम ने अलग-अलग पिंजरों में बंद किया. इनको सुरक्षित रूप से जंगल में स्थानांतरित कर दिया. अदालत से अनुमति से प्राकृतिक आवास में लंगूरों को छोड़ दिया गया.
![लंगूरों को प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-04-2024/up-agr-05-agra-forest-news-photo-7203925_23042024191347_2304f_1713879827_352.jpg)
डीएफओ आदर्श कुमार बताते हैं कि यह एक अवैध व्यापार है. हम कई लोगों को ट्रैक करने और इस प्रथा को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. लंगूर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-II के तहत संरक्षित हैं. हम लोगों को समझा रहे हैं. उन्हें जागरुक कर रहे हैं. जंगली जानवरों को रखना अवैध है.
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स बैजूराज एमवी बताते हैं कि, संस्था दो दशक से मानव-वन्यजीव संघर्ष और जंगली जानवरों की अवैध खरीद कम करने पर वन विभाग के साथ काम रही है. संस्था का बडा वन्यजीव अस्पताल है. वहां पर जानवरों की जांच की सुविधा है. इसलिए जंगल में छोड़ने से पहले लंगूरों की अच्छी तरह से चिकित्सकीय जांच की गई.
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