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फूलों की तरह बरसेगा आपके घर भी धन, श्रीनगर, सुहासिनी, रेखा बनाएगी मालामाल - Become rich by cultivating Tuberose

शादी विवाह और त्योहार के मौसम में फूलों की जबरदस्त डिमांड होती है. छत्तीसगढ़ में ज्यादातर फूल बाहर से आते हैं. छत्तीसगढ़ के किसान भी अपने यहां फूलों की खेती शुरु करें तो अपनी आमदनी का जरिया बढ़ा सकते हैं. रजनीगंधा की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

Become rich by cultivating Tuberose
फूलों से बरसेगा धन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 6, 2024, 3:10 PM IST

रायपुर: ज्यादातर किसान धान और साग सब्जी की खेती करते हैं. फूलों की खेती भी आजकल फायदे का सौदा साबित हो सकती है. फूलों की खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है. रजनीगंधा भी एक ऐसा फूल है जिसकी खेती प्रदेश के किसान आसानी से कर सकते हैं. रजनीगंधा की खेती करके प्रदेश के किसान लाखों की आमदनी भी ले सकते हैं. कारोबार की नजर से प्रदेश के किसान वल्व विधि से रजनीगंधा फूल की खेती करते हैं तो मुनाफा कई गुना कमा सकते हैं. रंजनीगंधा की खेती आपकी न सिर्फ कमाई बढ़ाता है बल्कि आपको रिस्क फ्री खेती भी करना सिखाता है.

फूलों से बरसेगा धन (ETV Bharat)

श्रीनगर, सुहासिनी, रेखा बनाएगी मालामाल: शादी विवाह से लेकर धार्मिक आयोजनों में फूलों की भारी डिमांड सालों भर होती है. बर्थ डे पार्टी से लेकर स्टेज शो तक के कार्यक्रम में फूलों की सजावट की जाती है. कुल मिलाकर कहें तो फूलों का बिजनेस सालों भर चलता है. प्रदेश के किसान अब अनाज और साग सब्जी के साथ फूलों की खेती भी करने में जुटे हैं. रजनीगंधा फूल और रजनीगंधा फूल के तेल को एक्सपोर्ट भी किया जाा रहा है. प्रदेश के किसान रजनीगंधा की खेती वल्व के माध्यम से कर सकते हैं, इसके लिए बलवी दोमट मिट्टी अच्छी रहती है.



"रजनीगंधा की खेती करते समय ध्यान रखना है कि कतार से कतार की दूरी और पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 1 फ़ीट हो. रजनीगंधा के किस्म की बात की जाए तो रजनीगंधा की किस्म में प्रसिद्ध किस्म रजत रेखा, श्रीनगर, सुहासिनी प्रमुख हैं. इन किस्मों में फ्लावर अच्छा होने के साथ कलरफुल रेशे भी निकलते हैं. इन किस्मों को लगाकर प्रदेश के किसान अच्छा उत्पादन लेने के साथ ही लाखों की आमदनी कमा सकते हैं. रजनीगंधा की खेती करने वाले किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि जल जमाव की स्थिति नहीं होनी चाहिए. नहीं तो इसका सीधा असर रजनीगंधा के फूलों पर दिखता है. रजनीगंधा की खेती करते समय कीड़ों का प्रकोप भी देखने को मिलता है. ज्यादा उमस और ज्यादा नमी होने पर फफूंद जनित बीमारियां होती हैं. कीटनाशक का प्रयोग कर इसे नियंत्रित किया जा सकता है." - आर एल खरे, कुलसचिव, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, रायपुर


कैसे करें फूलों की खेती: रजनीगंधा फूल का अच्छा उत्पादन चाहिए तो कम से कम 14 घंटे सनशाइन जरूरी है. रजनीगंधा में बड़ निकलने के पूर्व अगर धूप कम मिले तो या फूल अच्छे से विकसित होगा. वल्व के माध्यम से प्रदेश के किसान रजनीगंधा की खेती करते हैं, तो इसका ग्रोथ बहुत जल्दी होता है. बीज के माध्यम से किसान रजनीगंधा फूलों की खेती करते हैं तो फूल आने में काफी समय लग जाता है. वल्व के माध्यम से रजनीगंधा की खेती करते हैं तो किसानों को 3 महीने में रजनीगंधा के फूल का उत्पादन मिलने लगता है.

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श्रीनगर, सुहासिनी, रेखा बनाएगी मालामाल: शादी विवाह से लेकर धार्मिक आयोजनों में फूलों की भारी डिमांड सालों भर होती है. बर्थ डे पार्टी से लेकर स्टेज शो तक के कार्यक्रम में फूलों की सजावट की जाती है. कुल मिलाकर कहें तो फूलों का बिजनेस सालों भर चलता है. प्रदेश के किसान अब अनाज और साग सब्जी के साथ फूलों की खेती भी करने में जुटे हैं. रजनीगंधा फूल और रजनीगंधा फूल के तेल को एक्सपोर्ट भी किया जाा रहा है. प्रदेश के किसान रजनीगंधा की खेती वल्व के माध्यम से कर सकते हैं, इसके लिए बलवी दोमट मिट्टी अच्छी रहती है.



"रजनीगंधा की खेती करते समय ध्यान रखना है कि कतार से कतार की दूरी और पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 1 फ़ीट हो. रजनीगंधा के किस्म की बात की जाए तो रजनीगंधा की किस्म में प्रसिद्ध किस्म रजत रेखा, श्रीनगर, सुहासिनी प्रमुख हैं. इन किस्मों में फ्लावर अच्छा होने के साथ कलरफुल रेशे भी निकलते हैं. इन किस्मों को लगाकर प्रदेश के किसान अच्छा उत्पादन लेने के साथ ही लाखों की आमदनी कमा सकते हैं. रजनीगंधा की खेती करने वाले किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि जल जमाव की स्थिति नहीं होनी चाहिए. नहीं तो इसका सीधा असर रजनीगंधा के फूलों पर दिखता है. रजनीगंधा की खेती करते समय कीड़ों का प्रकोप भी देखने को मिलता है. ज्यादा उमस और ज्यादा नमी होने पर फफूंद जनित बीमारियां होती हैं. कीटनाशक का प्रयोग कर इसे नियंत्रित किया जा सकता है." - आर एल खरे, कुलसचिव, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, रायपुर


कैसे करें फूलों की खेती: रजनीगंधा फूल का अच्छा उत्पादन चाहिए तो कम से कम 14 घंटे सनशाइन जरूरी है. रजनीगंधा में बड़ निकलने के पूर्व अगर धूप कम मिले तो या फूल अच्छे से विकसित होगा. वल्व के माध्यम से प्रदेश के किसान रजनीगंधा की खेती करते हैं, तो इसका ग्रोथ बहुत जल्दी होता है. बीज के माध्यम से किसान रजनीगंधा फूलों की खेती करते हैं तो फूल आने में काफी समय लग जाता है. वल्व के माध्यम से रजनीगंधा की खेती करते हैं तो किसानों को 3 महीने में रजनीगंधा के फूल का उत्पादन मिलने लगता है.

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