गोरखपुर: राप्ती नदी के जलस्तर में वृद्धि और इसके साथ चौतरफा होते जल फैलाव से गोरखपुर के 48 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं. लोगों तक जिला प्रशासन राहत और बचाव कार्य पहुंचकर करने में जुटा है, फिर भी चारों तरफ से पानी से घिर जाने के कारण लोगों का जीवन नारकीय हो गया है.
सबसे बड़ी समस्या शुद्ध पीने के पानी की उत्पन्न हो रही है तो पशुओं के लिए चारा भी संकट बना है. ऐसे में जिला प्रशासन, आपदा और स्वास्थ्य विभाग अपनी भूमिका निभाने में जुटा है. कहीं-कहीं इन नदियों के उफान पर होने से उनके किनारे के बड़े गड्ढे भी जल से भरकर जानलेवा बन गए हैं.
छह बच्चों की कम्पियरगंज क्षेत्र में ऐसी जगहों पर नहाने के प्रयास और फिसलकर गिरने से डूबकर मौत हो चुकी है. जिलाधिकारी, कमिश्नर, डीआईजी सभी नाव पर सवार होकर बाढ़ प्रभावित लोगों तक पहुंचकर उन्हें मदद पहुंचाने में जुटे हैं. करीब 60 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है.
पशुओं के लिए भूसा भी बाढ़ शिविर तक पहुंचाया जा रहा है तो पानी से घिरे लोग अपने परिवार को ससुराल और रिश्तेदार के यहां पहुंचाने में लगे हैं. जिलाधिकारी कृष्ण करूनेश ने बताया कि बाढ़ बचाव और राहत सामग्री में कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी. शुद्ध पीने के पानी के लिए नगर निगम, सभी नगर पालिका, नगर पंचायत के द्वारा टैंकर बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचा जा रहा है. अब तक 35000 से अधिक रहात सामग्री किट को वितरित किया जा चुका है.
बाढ़ राहत में एनडीआरएफ की टीम भी पूरी मुस्तैदी से जुटी है. लोगों तक मदद पहुंचा रही है, जिन्हें रेस्क्यू करके दूसरे स्थान पर पहुंचाना है उस कार्य को भी वह बखूबी अंजाम दे रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बाढ़ प्रभावितों को जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में राहत सामग्री का वितरण हो रहा है.
राप्ती नदी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है. केंद्रीय जल आयोग के कर्मचारी यहां मौजूद रहकर लगातार नदी के जलस्तर की निगरानी कर रहे हैं और रिपोर्ट जिला प्रशासन और शासन को भेज रहे हैं.
जिलाधिकारी ने बताया कि घाघरा के जलस्तर में कमी आने के साथ राप्ती नदी का भी जलस्तर धीरे-धीरे नीचे जाएगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है. बहरामपुर के अर्जुन और सुनीता ने बताया कि पानी घर में घुस चुका है. इसलिए परिवार के 10 सदस्यों के साथ सभी लोग तिरपाल डालकर छत पर रात-दिन गुजार रहे हैं.
राप्ती नदी तट के दोनों छोर पर रामघाट और गुरु गोरखनाथ घाट बढ़ते जलस्तर की वजह से डूबता जा रहा है. शवदाह गृह तक पहुंचने में भी लोगों को दिक्कत हो रही है. बता दे कि गोरखपुर के आस-पास का क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आता है तो उसमें बड़ा रोल नेपाल का होता है.
पहाड़ों से होकर आने वाला पानी तो इसमें संकट पैदा करता ही है. ताजा मामले की बात करें तो यहां की प्रमुख नदी राप्ती, रोहिन खतरे का निशान पार कर कई गांवों में बाढ़ की स्थिति ला दी है.
सदर तहसील अंतर्गत बहरामपुर उत्तरी 40 घर, बहरामपुर दक्षिणी के 22 घर, शेरगढ़ के 5 घर, नाहरपुर के 70 घर, राप्ती नदी के पानी से प्रभावित हुए हैं. इन गांव में नाव लगा दी गई हैं. इन प्रभावित गांव में लाइव जैकेट का भी वितरण कर दिया गया है.
बाढ़ आपदा प्रभावित गांव बहरामपुर, खिरवनिया, मंझरिया, बिस्टौर, अजवनिया, चकरा अव्वल और चकरा दोयम में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व विनीत सिंह के साथ, आदर्श सिंह, प्रमुख, प्रतिनिधि कौडीराम ने राहत सामग्री का वितरण किया है.
गोला तहसील के बड़हलगंज के बगहा देवार क्षेत्र में भी सरयू नदी का पानी गांव में घुस गया है. कमिश्नर अनिल ढींगरा अधिकारियों के साथ यहां का निरीक्षण कर चुके हैं. साथ ही विधायक राजेश त्रिपाठी भी अपने लोगों के साथ क्षेत्र के भ्रमण पर हैं.
कंपियरगंज में रघुनाथपुर गांव के कई घर राप्ती नदी के पानी में डूब गए हैं. चौरी चौरा क्षेत्र के तटबंधों का निरीक्षण भी किया जा रहा है. यहां बंधे में रिसाव की खबर मिली है. जिले के प्रभावित गांवों में अब तक 54 नाव लगाई गई हैं. सुरक्षा के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जिसमें दो टेलिफोन नंबर सक्रिय हैं. लोग 0551- 2201776 और 9454416252 इस पर संपर्क कर सकते हैं.
नेपाल के पानी में फंसे बहराइच के 100 किसान: बहराइच जनपद के मोतीपुर क्षेत्र अंतर्गत जंगल से सटे सरयू नदी के पास खेत में बुवाई करने गए 100 से अधिक लोग पानी का जलस्तर बढ़ने से फंस गए, जिसके बाद एनडीआरएफ की टीम ने सफलता पूर्वक सभी का रेस्क्यू किया. नेपाल से छोड़े गए पानी के चलते एक बार फिर से बहराइच जिले में जंगल से सटे गांवों में बाढ़ की स्थिति बन गई है जिसके चलते चहलवा गांव के करीब सैकड़ों ग्रामीण पानी के बीच फंस गए थे सूचना पर पहुंची एनडीआरएफ की टीम ने सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए हैं.
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