आगरा: ताजनगरी आगरा समेत प्रदेश के ज्यादातर जिलों में गुरुवार बारिश का दौर चल रहा है. जिससे शहर से लेकर देहात तक जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. आगरा जिले में गुरुवार शाम तक 36 घंटे में 151 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई है. जो 85 साल के रिकॉर्ड में दूसरी बार हुई है. सन 1939 में 286 एमएम सर्वाधिक बारिश 24 घंटे में रिकॉर्ड हुई थी.
मूसलाधार बारिश की वजह से गलियां, सड़क और हाईवे पर जलभराव हो गया है. नगर निगम और नगर पालिका की टीमें जलभराव को लेकर दौड़ती रहीं. जिला प्रशासन की ओर से बारिश में मकान गिरने के साथ ही फसलों के नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है.
आगरा में 3 दिन का हाई अलर्ट: आगरा दिल्ली हाईवे पर तीन से चार फीट तक पानी गुरुवार देर रात तक रहा. पानी निकालने के लिए पंप लगे रहे. जलभराव से हाईवे पर कई किलोमीटर लंबा जमा लग गया. पुलिस ने यातायात डायवर्ट करके वाहनों को निकाला. कई स्थानों पर पेड़ गिरने से भी वाहनों का आवागमन बाधित हुआ. मौसम विभाग ने आगरा में तीन दिन का हाई अलर्ट घोषित किया है.
शहर और देहात में गिरे 55 से अधिक मकान: जिले में बुधवार दोपहर से गुरुवार देर शाम तक हुई बारिश से आम जनजीवन की रफ्तार थाम दी. रिमझिम और तेज बारिश की वजह से जिले में 55 से अधिक मकान गिरे हैं. जिनमें 20 से 25 लोग चोटिल भी हुई हैं. शहर की बात करें तो शाहगंज के सोरों कटरा में, पीपल मंडी में, कश्मीरी बाजार में मकान ढहे.
गांव भड़कोल में गजेंद्र सिंह, जमीला, मूलचंद जाटव, सुरेंद्र सिंह, बृजमोहन, रामेंद्र सिंह व चौधरी के घर गिरे हैं. गांव तेहरा रावत में वीरेंद्र, गीतम के मकान की दीवारें गिरी हैं. गांव डाबर में लाखन, थान सिंह, सुनील कुमार और तेज सिंह समेत अन्य के मकान गिरे हैं. शिवपुरी में सद्दाम घर गिरा है.
महुअर में गिरी स्कूल की इमारत: बारिश में महुअर के सरकारी विद्यालय की भवन धमाके के साथ गिर गया. महुअर निवासी अजय शर्मा ने बताया कि 15 साल पहले भवन बना था. भवन का बरामदा गिरा है. स्कूल के पास बना कलुआ का मकान भी धंस गया. गांव लादूखेड़ा में द्वारिका प्रसाद, कुंदन सिंह के मकान की दीवारें गिर गईं.
कोटा के पानी से आगरा में बाढ़ का खतरा: आगरा में चंबल नदी उफान पर है. राजस्थान के कोटा बैराज से 3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. जिससे चंबल नदी का जलस्तर प्रति घंटा 30 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है. जिससे जिले के पिनाहट में गुरुवार रात चंबल नदी का जलस्तर 125 मीटर छू गया है. जो चेतावनी निशान से महज दो मीटर दूर है. चंबल नदी का जलस्तर बढ़ने से जिले के करीब 40 से अधिक गांव में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.
आगरा के इन गांवों में बाढ़ का खतरा: चंबल नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी के तटवर्ती गांव रेहा, बरेड़ा, कछियारा, पिनाहट घाट, क्योरी बीच का पुरा, क्योरी ऊपरी पुरा, उमरेठा पुरा, झरनापुरा, पुरा डाल, पुरा शिवलाल, गुडा, गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा, भगवानपुरा, सिमराई गॉसिल, धोबूपुरा, नदगवां समेत 40 गांव में बाढ़ का खतरा है. इन गांवों के रास्ते में चंबल का पानी पहुंच गया है.
चंबल नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते जिला प्रशासन ने नदी के तटवर्ती गांवों में राजस्व टीमें तैनात करके मुनादी कराने की तैयारी की है. लोगों से सुरक्षित स्थान पर जाने और यमुना नदी के किनारे नहीं जाने की अपील की जा रही है. जिला प्रशासन ने चंबल नदी के कैंजरा घाट पर स्टीमर के संचालन बंद कर दिया. एसडीएम बाह सृष्टि सिंह ने बताया कि, चंबल नदी के तटवर्टी गांवों में बाढ़ चौकियां स्थापित कर दी गईं हैं. पिनाहट घाट पर स्टीमर का संचालन बंदकर दिया गया है.
गांवों में मगरमच्छों के घुसने का खतरा: चंबल नदी का जलस्तर बढ़ने से निकटवर्ती गांवों के रास्ते, खेत और खादरों में पानी भर गया है. किसानों की बाजरे और अन्य फसलें डूबने लगी हैं. चंबल नदी के बढ़ते जलस्तर व तेज बहाव से मगरमच्छ और घड़ियाल भी खेत, खादरों से गांव तक पहुंचने की आशंका है. जिससे ग्रामीण भयभीत हैं. बाढ़ की आशंका से ग्रामीणों ने अपने जरूरी सामान लेकर ऊंचे स्थान पर पहुंचाना शुरू कर दिया है.
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