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फाइव पोंड स्कीम से बदली करनाल के सुल्तानपुर गांव की स्कीम, पर्यटन स्थल से कम नहीं नजारा

करनाल के सुल्ततानपुर गांव को फाइव पोंड सिस्टम से आकर्षक बनाया गया है. इस गांव की तस्वीर ही बदल गई है.

Five Pond Scheme
Five Pond Scheme (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

करनाल: हरियाणा के करनाल का सुल्तानपुर गांव अपनी खासियत के लिए हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. ये गांव संरक्षण की मिसाल बना हुआ है. साल 2020 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT की शिकायत व कोर्ट के आदेश पर जो गांव का वेस्ट व गन्दा पानी सीधा ड्रेन में जा रहा था. उसको पंचायती राज ने बाईपास किया और 5 पौंड स्कीम के तहत जल का संरक्षण किया. वहीं, पानी आज खेती के लिए उपयोग किया जा रहा है. आज के मौजूदा समय में यहां का नजारा बहुत ही सुंदर बना हुआ है.

पर्यटन स्थल से कम नहीं फाइव पोंड सिस्टम: करनाल का सुल्तानपुर गांव की दो एकड़ जमीन पर बना फाइव पोंड सिस्टम पर आधारित तालाब पर्यटन स्थल से कम नहीं है. नीलोखेड़ी विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सुल्तानपुर गांव ने स्वच्छता, सुरक्षा, जल एवं उर्जा संरक्षण के मामलों में कई शहरों को भी पीछे छोड़ दिया है. खास बात यह भी है कि इस गांव में कोई गुटबाजी नही है. आज तक इस गांव में किसी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं हुई है. गांव के विकास की बात आती है, तो हर कोई एक साथ खड़े होकर सहयोग करता है. गांव सुल्तानपुर जल संरक्षण में एक अलग ही मिसाल कायम कर चुका है.

संघर्षों के बाद बदली गांव की तस्वीर: गांव में पहले गंदा पानी सीधा ड्रेन में जा रहा था, जो कि कोर्ट के आदेशों की आवेलना भी माना जा रहा था. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद साल 2020 के तत्कालीन सरपंच की सूझबूझ और गांव वासियों की कड़ी मेहनत और पंचायती राज के सहयोग से गांव की तस्वीर ही बदल गई. ग्रामीणों ने सरकार द्वारा निकाली गई.

फाइव पोंड स्कीम का फायदा उठाया और जिस गंदे पानी से गंदगी, बीमारियां और असुविधा थी. उसे कुछ इस तरह से विकसित कर दिखाया कि मानो यह कोई पर्यटन स्थल हो. करीब दो एकड़ भूमि पर खूबसूरत पार्क के बीच चार सरोवर बना दिए गए. जो आपस में जुड़े हुए है और आज के मौजूदा समय में यहां का नजारा बहुत ही सुंदर है. 2021 में यह प्रोजेक्ट बन कर पूर्ण रूप से तैयार हो गया. इस प्रोजेक्ट की वजह से गांव सुल्तानपुर की हर जगह तारीफ हो रही है.

Karnal Sultanpur Village (Etv Bharat)

क्या है फाइव पोंड स्कीम?: पंचायती राज के अधीक्षक अभियंता परमिंदर ने बताया कि ने फाइव पोंड स्कीम यह गांव का बेस्ट व गंदा पानी को साफ करने की प्रणाली है. अन एरोबिक स्लज बायोडिग्रेडेबल इसका साइंटिफिक नाम है. अनएरोबिक एक बैक्टीरिया होता है. पानी में गंदगी को यह पहले और दूसरे पौंड में गैस और खाद में बदल देता है. तीसरे और चौथे पौंड में पानी का संयोजन होता है. पानी में सभी प्रकार के भारी पदार्थ नीचे बैठ जाते हैं और उसके बाद पांचवें पौंड में बिल्कुल साफ पानी आ जाता है. जिसको हम खेती के लिए उपयोग कर सकते हैं.

प्रोजेक्ट में आई लाखों रुपये की लागत: मुख्य तौर पर जल संरक्षण करना ही इस स्कीम का उद्देश्य है. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को बनाने में लगभग रु 35 लाख 76 हजार की लागत आई थी. तालाब के चारों तरफ बनाए गए पार्क गांव के बच्चों के खेलने और बुजुर्गों व महिलाओं आदि के सैर करने के लिए काम आता है. इस प्रोजेक्ट का फायदा ये भी हुआ कि इसकी वजह से भूजल संरक्षण भी हो रहा है. किसान जरूरत पड़ने पर अपने खेतों में इस पानी को कृषि के लिए भी उपयोग कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024: उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के 26 शिल्पकारों ने लगाई स्टॉल, हैंडीक्राफ्ट मेले में उमड़ रही भारी भीड़

ये भी पढ़ें: उत्तर भारत के किसान भी कर सकेंगे चंदन की खेती, 50 पेड़ 15 साल बाद बना देंगे करोड़पति, खास शोध जारी

करनाल: हरियाणा के करनाल का सुल्तानपुर गांव अपनी खासियत के लिए हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. ये गांव संरक्षण की मिसाल बना हुआ है. साल 2020 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT की शिकायत व कोर्ट के आदेश पर जो गांव का वेस्ट व गन्दा पानी सीधा ड्रेन में जा रहा था. उसको पंचायती राज ने बाईपास किया और 5 पौंड स्कीम के तहत जल का संरक्षण किया. वहीं, पानी आज खेती के लिए उपयोग किया जा रहा है. आज के मौजूदा समय में यहां का नजारा बहुत ही सुंदर बना हुआ है.

पर्यटन स्थल से कम नहीं फाइव पोंड सिस्टम: करनाल का सुल्तानपुर गांव की दो एकड़ जमीन पर बना फाइव पोंड सिस्टम पर आधारित तालाब पर्यटन स्थल से कम नहीं है. नीलोखेड़ी विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सुल्तानपुर गांव ने स्वच्छता, सुरक्षा, जल एवं उर्जा संरक्षण के मामलों में कई शहरों को भी पीछे छोड़ दिया है. खास बात यह भी है कि इस गांव में कोई गुटबाजी नही है. आज तक इस गांव में किसी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं हुई है. गांव के विकास की बात आती है, तो हर कोई एक साथ खड़े होकर सहयोग करता है. गांव सुल्तानपुर जल संरक्षण में एक अलग ही मिसाल कायम कर चुका है.

संघर्षों के बाद बदली गांव की तस्वीर: गांव में पहले गंदा पानी सीधा ड्रेन में जा रहा था, जो कि कोर्ट के आदेशों की आवेलना भी माना जा रहा था. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद साल 2020 के तत्कालीन सरपंच की सूझबूझ और गांव वासियों की कड़ी मेहनत और पंचायती राज के सहयोग से गांव की तस्वीर ही बदल गई. ग्रामीणों ने सरकार द्वारा निकाली गई.

फाइव पोंड स्कीम का फायदा उठाया और जिस गंदे पानी से गंदगी, बीमारियां और असुविधा थी. उसे कुछ इस तरह से विकसित कर दिखाया कि मानो यह कोई पर्यटन स्थल हो. करीब दो एकड़ भूमि पर खूबसूरत पार्क के बीच चार सरोवर बना दिए गए. जो आपस में जुड़े हुए है और आज के मौजूदा समय में यहां का नजारा बहुत ही सुंदर है. 2021 में यह प्रोजेक्ट बन कर पूर्ण रूप से तैयार हो गया. इस प्रोजेक्ट की वजह से गांव सुल्तानपुर की हर जगह तारीफ हो रही है.

Karnal Sultanpur Village (Etv Bharat)

क्या है फाइव पोंड स्कीम?: पंचायती राज के अधीक्षक अभियंता परमिंदर ने बताया कि ने फाइव पोंड स्कीम यह गांव का बेस्ट व गंदा पानी को साफ करने की प्रणाली है. अन एरोबिक स्लज बायोडिग्रेडेबल इसका साइंटिफिक नाम है. अनएरोबिक एक बैक्टीरिया होता है. पानी में गंदगी को यह पहले और दूसरे पौंड में गैस और खाद में बदल देता है. तीसरे और चौथे पौंड में पानी का संयोजन होता है. पानी में सभी प्रकार के भारी पदार्थ नीचे बैठ जाते हैं और उसके बाद पांचवें पौंड में बिल्कुल साफ पानी आ जाता है. जिसको हम खेती के लिए उपयोग कर सकते हैं.

प्रोजेक्ट में आई लाखों रुपये की लागत: मुख्य तौर पर जल संरक्षण करना ही इस स्कीम का उद्देश्य है. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को बनाने में लगभग रु 35 लाख 76 हजार की लागत आई थी. तालाब के चारों तरफ बनाए गए पार्क गांव के बच्चों के खेलने और बुजुर्गों व महिलाओं आदि के सैर करने के लिए काम आता है. इस प्रोजेक्ट का फायदा ये भी हुआ कि इसकी वजह से भूजल संरक्षण भी हो रहा है. किसान जरूरत पड़ने पर अपने खेतों में इस पानी को कृषि के लिए भी उपयोग कर सकते हैं.

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Last Updated : 2 hours ago
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