आगरा : आगरा-दिल्ली हाईवे स्थित कीठम झील में मछलियों की मौत का मामला लखनऊ तक पहुंच गया है. अब इस पूरे मामले की जांच करने लखनऊ से रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज की टीम आएगी. वन विभाग, रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज और नीरी मिलकर कीठम में साफ पानी की सप्लाई के लिए प्रोजेक्ट तैयार करेंगे. इस मामले में सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम फिर से कीठम झील से सैंपल लेगी. चंबल सैंच्युरी प्रोजेक्ट ने सिंचाई विभाग से साफ पानी पहुंचाने की मांग की है. इसके साथ ही गंदा पानी भी यमुना में छोड़ा जाएगा.
बता दें कि दो दिन पहले कीठम झील में सैंकड़ों मछलियां मरी मिलीं थी. इस पर चंबल सैंच्युरी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने कहा कि कीठम झील में आगरा नहर लोअर लेक साइड सिंचाई विभाग के दो सैल्यूस गेट लगे हैं. ये 20 दिन पहलेटूट गए थे. सिंचाई विभाग ने सूचना के बाद भी गेटों की मरम्मत नहीं की गई. इससे गंदा पानी कीठम झील में आ गया. इससे मछलियां मर गईं. इस पर चंबल सैंच्युरी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने प्रारंभिक तौर पर सैंड बैग्स डालकर पानी को रोकने के अस्थायी इंतजाम किए हैं. मगर, पानी लगातार यमुना से आने वाले पानी को प्रदूषित कर रहा है. इससे कीठम झील के पानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है.
कीठम झील के पानी में बन रहे थे झाग : चंबल सैंच्युरी प्रोजेक्ट की डीएफओ आरुषि मिश्रा ने बताया कि यमुना से आने वाला पानी ज्यादा प्रदूषित है. झील में लंबे समय से झाग भी बन रहा था. इस बारे में सिंचाई विभाग को जानकारी दी गई थी. लेकिन, प्रदूषित पानी तब तक झील के पानी को भी प्रदूषित कर चुका था. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने पानी का सैंपल लिए हैं. आशंका है कि कीठम झील के पानी में हैवी मेटल्स की मात्रा अधिक होने के कारण मछलियां मरी होंगी. मगर, ये रिपोर्ट संतुष्ट करने वाली नहीं है. इसलिए, सोमवार को टीम दोबारा से सैंपल लेगी. ये सैपल्स लखनऊ में जांच के लिए भेजे जाएंगे. जिसकी तीन दिन बाद रिपोर्ट आएगी.
काफी पुरानी है समस्या : चंबल सैंच्युरी प्रोजेक्ट की डीएफओ आरुषि मिश्रा ने बताया कि, कीठम झील में प्रदूषित पानी की समस्या कई साल से बनी हुई है. इसकी वजह से हर साल मछलियां मरती हैं. सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी झील में पानी के स्तर को मेंटेन रखने की है. गंदा पानी न आए इसकी जिम्मेदारी भी सिंचाई विभाग की है. सिंचाई विभाग से साफ पानी की मांग की गई है. जिससे गंदा पानी यमुना में छोड़ा जाए. झील में 18 फीट पानी होना चाहिए. अभी पानी को ज्यादा छोड़ा नहीं जा रहा है. क्योंकि, अभी बर्ड्स भी बहुत आई हुईं हैं.
एसटीपी बने तो बने बात : चंबल सैंच्युरी प्रोजेक्ट के अधिकारियों की मानें तो साफ पानी के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने को सरकार से फंडिंग की बात चल रही है. नगर निगम से एसटीपी बनाने पर भी काम किया जा रहा है. जिससे पानी को साफ करने में थोड़ी मदद मिलेगी.
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