लखनऊ: आजमगढ़ स्थित हरिहरपुर घराने के सुर और साज को विश्व पटल पर लाने के लिए प्रदेश सरकार ने इस बजट में हरिहरपुर के लिए 10 करोड़ से अधिक का बजट निर्धारित किया है. इस बजट से प्रदेश में पहले म्यूजिक डिग्री कॉलेज की स्थापना हरिहरपुर में की जाएगी. पर्यटन विभाग पहले ही यहां पर इस कॉलेज के संचालन के लिए बिल्डिंग का निर्माण लगभग कर चुकी है. अब इसके संचालन के लिए बजट मिलने के बाद इसे शुरू करने की तैयारी की जा रही है. प्रदेश के पहले म्यूजिक कॉलेज के रूप में हरिहरपुर को शुरू करने के लिए इसे भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय के अधीन किया गया है. यहां पर वाद्य यंत्रों और संगीत से जुड़े विषयों की पढ़ाई इसी विश्वविद्यालय के अधीन कराई जाएगी. प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने कहा कि अगले सत्र से प्रदेश का यह पहला म्यूजिक डिग्री कॉलेज शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया, कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल इस कॉलेज को अब एक आकार दिया गया है.
हरिहरपुर संगीत घराना करीब 400 साल पुराना: प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मिश्रा ने बताया, कि आजमगढ़ के हरिहरपुर गांव को बनारस घराने के समान ही हरिहरपुर घराने के नाम से जाना जाता है. इस गांव में हर एक घर में संगीत की साधना होती है. उन्होंने बताया, कि इस घराने का सफर लगभग 400 साल पुराना है. प्रमुख सचिव ने बताया, कि प्रयागराज के हंडिया से दो सगे भाई पंडित हरिराम दास और सारी नाम दास घर बार छोड़कर आजमगढ़ के हरिहरपुर गांव में आकर बसे थे. उसकी एक शीला भी यहां लगी है. जब आजमगढ़ में बसने वाले आजम शाह के पूर्वजों ने संगीत कला से खुश होकर 989 बीघा जमीन इन्हें दान में दी थी. दोनों भाइयों ने गायन से हरिराम का कुनबा बढ़ता गया. यह पूरा गांव हरिहरपुर के नाम से जाना गया, जो आगे चलकर हरिहर पर घराने के नाम से जाना गया.
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गांव में कजरी ठुमरी दादरा और होली गीत के साथ ही कई तरह के वाद्य यंत्र भी प्रसिद्ध है: प्रमुख सचिव ने बताया कि हरिहरपुर गांव में हर घर में कोई ना कोई व्यक्ति शास्त्रीय संगीत और हमारे वाद्य यंत्रों को बजाने में निपुण है. उन्होंने बताया, कि यहां के घर-घर में कजरी, ठुमरी, दादरा होली के गीतों के साथ ही जो हमारे पुराने वाद्य यंत्र है. उन्हें हर घर में बजाया जाता है. साथ ही उसके सिखाने वाले साधक भी आज भी मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि हरिहरपुर में ही पद्मभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र को विश्व पोर्टल पर पहचान दिलाई थी. इसके अलावा राष्ट्रपति अवार्ड पंडित योगेश मिश्रा, वीरेंद्र मिश्र, उदय शंकर मिश्रा, दुर्गेश मिश्रा, हृदय नारायण मिश्रा, त्रिपुरारी मिश्रा आदि लोगों ने अलग-अलग विधाओं और गीत संगीत के क्षेत्र में न केवल देश, बल्कि विदेशों तक अपना नाम बनाया है.
इंटर कॉलेज के लेवल पर बच्चों को दी जाती है संगीत शिक्षा: प्रमुख सचिव ने बताया, कि इस गांव को हरिहरपुर संगीत घराने के नाम से काफी प्रसिद्धि मिली है. इस गांव में रहने वाले विशेष तौर पर ब्राह्मण परिवार के बच्चों को पढ़ाई के साथ ही संगीत की शिक्षा भी दी जाती है. इस गांव में जो इंटर कॉलेज है, वहीं पर अभी अलग से संगीत का विद्यालय चलता है. अब यहां पर प्रदेश का पहला म्यूजिक डिग्री कॉलेज बनाकर पूरी तरह से तैयार है. यहां पर अगले ही सत्र से स्नातक और परचनातक के साथ ही शोध की भी पढ़ाई संगीत विषयों में शुरू होगी.
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