नई दिल्ली/गाजियाबाद: हर साल 4 मई को अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाया जाता है. अपनी जान को दाव पर लगाकर लोगों की जान बचाने वाले फाइटरों को सम्मानित करना इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है. आग को बुझाना बेहद मुश्किल भरा काम है, लेकिन फायरफाइटर पूरी जिम्मेदारी के साथ न सिर्फ इस काम को करते हैं बल्कि आग में फंसे लोगों को भी सुरक्षित निकालते हैं. अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस पर हम आपको ऐसे फायरफाइटर्स की कहानी सुना रहे हैं, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए सैकड़ों जिंदगियां बचाई है.
फायरमैन के पद पर तैनात पीयूष कुमार बीते 8 सालों में सैकड़ों जिंदगियां बचा चुके हैं. पीयूष बताते हैं, "2019 में गाजियाबाद के इंदिरापुरम के शक्तिखंड क्षेत्र में तीन मंजिला इमारत में आग लगी थी. बिल्डिंग में 14 लोग फंसे थे. इसमें पांच बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे. बाहर निकालने के साथ-साथ बिल्डिंग में फंसे लोगों को पैनिक ना होने देना सबसे बड़ी चुनौती थी. बिल्डिंग की ऊपरी दोनों मंजिल पर फंसे लोगों को छत पर लेकर गए और फिर बराबर वाली बिल्डिंग की छत के माध्यम से नीचे उतारा. जबकि, कुछ लोगों को ग्राउंड फ्लोर पर लाकर बाहर निकाला. कड़ी मशक्कत के बाद टीम ने सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला था. जांबाजी के लिए टीम को प्रेसिडेंट मेडल से भी सम्मानित किया गया था."
फायरमैन आयुष्मान शर्मा बताते हैं, "बीते चार सालों में तकरीबन 400 से अधिक फायर कॉल्स को अटेंड कर चुके हैं. 1 अगस्त 2023 को इंदिरापुरम स्थित एक निजी अस्पताल में भीषण आग लग गई थी. अस्पताल में बड़ी संख्या में मरीज थे. कई मरीज तो ऐसे थे जो वेंटिलेटर पर थे. अस्पताल की आईसीयू में भी काफी मरीज थे. एक टीम अस्पताल से मरीज को बाहर निकल रही थी. वहीं दूसरी टीम आग पर काबू पाने की जद्दोजहद में जुटी थी. घंटों मशक्कत के बाद हमने सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया था."
अग्निशमन विभाग की आग बुझाने वाली गाड़ियों को समय पर घटनास्थल तक पहुंचने में चालक की भूमिका अहम होती है. पदम सिंह फायर स्टेशन वैशाली में चालक के पद पर तैनात हैं. वह बताते हैं कि आग लग जाने की घटना या फिर रेस्क्यू करने के लिए तुरंत फायर स्टेशन से गाड़ी लेकर निकलना पड़ता है. जितनी जल्दी गाड़ी घटनास्थल पर पहुंचेगी उतनी जल्दी आग बुझाने की कार्यवाही शुरू हो सकेगी. रास्ते में कई बार ट्रैफिक मिलता है, कई बार लोग होटल और सायरन सुनकर भी साइड नहीं देते हैं. बावजूद उसके हमारी कोशिश होती है जल्द से जल्द घटनास्थल तक पहुंचाने की.
मुख्य अग्निशमन अधिकारी राहुल पाल का कहना है कि प्रत्येक कॉल में नए प्रकार की चुनौती होती है. समय-समय पर स्टाफ की ट्रेनिंग कराई जाती है. मंगलवार और शुक्रवार को कर्मचारियों की निरंतर ट्रेनिंग कराई जाती है. विभिन्न प्रकार के सिनेरियो क्रिएट कर कर्मचारियों को किस तरह से रेस्क्यू ऑपरेशन चलना है. इसके बारे में बताया जाता है. विभिन्न प्रकार के उपकरणों को संचारित करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. समय-समय पर गाड़ियों और उपकरणों का इंस्पेक्शन भी किया जाता है. टीम को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न अवार्ड से सम्मानित किया जाता है. कई ऐसे कर्मचारी और अधिकारी मौजूद हैं, जिन्हें प्रेसिडेंट अवॉर्ड भी मिल चुका है.