कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में आग की सबसे अधिक घटनाएं सामने आती हैं. यहां पर ग्रामीण इलाकों की सुरक्षा तो दूर कुल्लू शहर में पांच वार्ड ऐसे हैं, जहां पर अगर आग लग गई तो आग को बुझा पाना मुश्किल होगा. इसमें बालाबेहड़ में अगर आग लग जाए तो यहां पर बाइक तक नहीं जाती है. फिर आग कैसे बुझा पाएंगे. यहां पर दोनों ओर से रास्ता सिकुड़ गया है. यहां पर मकान आपस में सटे हुए हैं. आग की एक चिंगारी से कई मकान चपेट में आ सकते हैं. इससे निपटने के लिए न ही सरकार और न स्थानीय स्तर पर प्रयास हुए हैं. इन जगहों पर कोई भी हाइड्रेंट नहीं लगे हैं. कुछ जगह ऐसी हैं, जहां पर आग लगने पर जिले में फायर हाइड्रेंट काम ही नहीं करते हैं, ऐसे में आग पर काबू कैसे पाया जाएगा. यह दमकल विभाग के लिए चिंता का कारण बना है. कुल्लू जिले में आग लगने की अधिक घटनाएं पेश आती है.
एक साल में 61 आगजनी की घटनाएं
पिछले एक साल में कुल्लू जिले में 61 आगजनी की घटनाएं पेश आई हैं. इसमें से 28 मकान जल चुके हैं. इसमें कई परिवारों के पहनने तक के कपड़े नहीं बच पाए हैं. कुल्लू दमकल विभाग के अधिकारी प्रेम भारद्वाज ने बताया कि आग लगने की घटना से जिले में 3 करोड़ 5 लाख 7 हजार रुपए के नुकसान का आकलन किया गया है. हर जगह फायर ब्रिगेड के दस्ते काे पानी की समस्या से जूझना पड़ा. दमकल विभाग की गाड़ी का पानी खत्म हाे गया ताे फिर टंकी भरने के लिए उसे काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
कुल्लू जिले में 112 फायर हाइड्रेंट
दमकल अधिकारी प्रेम भारद्वाज ने बताया कि पूरे कुल्लू जिले में कुल 112 फायर हाइड्रेंट लगे हुए हैं. इसमें से कुल्लू शहर में 60 फायर हाइड्रेंट लगे हैं. जबकि मनाली जैसे बड़े शहर जहां पर लाखों पर्यटकों की आबादी रहने को आती है, वहां पर महज 29 फायर हाइड्रेंट लगे हैं. इसके अलावा बंजार में दो फायर हाइड्रेंट हैं. पतलीकूहल, आनी, सैंज में एक भी फायर हाइड्रेंट नहीं लगा है. यहां पर आग लगने पर दमकल विभाग को खड्ड से पानी भर कर लाना पड़ता है.
कुल्लू दमकल विभाग के अधिकारी प्रेम भारद्वाज ने बताया, "दिवाली को देखते हुए दमकल विभाग ने तैयारियां पूर्ण कर ली है. सभी जगह पर लगे फायर हाइड्रेंट की जांच की गई है. कुल्लू शहर में तंग गलियों के बारे में समय रहते कार्य करना होगा. कभी आग की घटना पेश आई तो बड़ी मुश्किल होगी."