मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : मनेन्द्रगढ़ के ग्राम पंचायत डंगौरा के ग्राम बिछली में रहने वाले राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र इन दिनों मुश्किल में हैं.क्योंकि इन सीधे साधे लोगों को प्राइवेट फाइनेंस कंपनी ने अपने जाल में फंसा लिया है. विशेष बैगा जनजाति के कई परिवार इन दिनों प्राइवेट माइक्रो लोन के जाल फंसने के कारण अपना घर छोड़कर जंगलों में रह रहे हैं.क्योंकि बैंक के एजेंट शराब के नशे में उनके घर में आकर गाली गलौच करते थे. बैगा परिवार का आरोप है कि फाइनेंस कंपनी के एजेंट शराब के नशे में रात के समय घर पहुंचे और परिवार की महिलाओं के साथ गाली-गलौज करने के बाद घर का सामान उठा कर ले गए.
क्या है प्राइवेट फाइनेंस बैंक का कहना ? :इस संबंध में जब हमारी टीम ने माइक्रो फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों से जानकारी ली तो कंपनी ने अपना पक्ष रखा.
''कंपनी से बिछली के सात लोगों ने समूह बनाकर लोन लिया था. कुछ लोग लोन की राशि जमा कर रहे थे और कुछ लोग किस्त की राशि जमा नहीं कर पा रहे थे. इसके बाद उनकी सहमति से धान मशीन उठाकर बैंक लाया गया है. किस्त की राशि जमा होने के बाद उन्हें दे दिया जाएगा.'' नितेश कुमार, कर्मचारी फाइनेंस कंपनी
अनुदान के झांसे में लोन : आपको बता दें कि बैगा जनजाति विशेष संरक्षित वर्ग में आती है.जिन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है.विशेष बैगा जनजाति के ज्यादातर लोग अशिक्षित होने के कारण पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं. ये किसी भी तरह का रोजगार करने में असमर्थ होते हैं. जिसके कारण कमाई के साधन नहीं होते.यही कारण है कि भारत सरकार समेत छत्तीसगढ़ सरकार इनके संरक्षण के लिए विशेष जनजाति का दर्जा देकर सौ प्रतिशत अनुदान देती है.
प्राइवेट एजेंटों के डर से भागे बैगा आदिवासी : बैगा जनजाति के लोगों ने पहले अनुदान समझकर लोन लेकर तीस हजार की धान मशीन खरीद ली.लेकिन जब उनसे लोन का पैसा मांगा जाने लगा तो वो घबरा गए.हद तो तब हो गई जब फाइनेंस कंपनी के प्राइवेट एजेंट गुंडागर्दी पर उतर आए.जिसके बाद बैगा जनजाति के लोगों को डर के कारण अपना घर परिवार छोड़ना पड़ा.अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इन विशेष जनजाति बैगा परिवार का संरक्षण किस प्रकार से करती है.ताकि जंगल में छिपे परिवार वापस अपने घर आ सके.