शिमला: मुहावरा है-तीन में न तेरह में. इस मुहावरे का अर्थ है जो कहीं का न हो, लेकिन हिमाचल के सियासी परिदृश्य में तेरह तारीख को तीन विधायक चुने जाएंगे, जो पहाड़ की पूरी राजनीति को प्रभावित करेंगे. अब सवाल ये है कि क्या तेरह तारीख को जनता सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस सरकार के साथ चलेगी या फिर होशियार, आशीष और केएल ठाकुर का रुतबा कायम रहेगा? ये चुनाव इसलिए भी रोचक है क्योंकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर देहरा से चुनाव लड़ रही हैं.
सीएम सुक्खू को अपने गृह जिला में जीत दिलाने की चुनौती: वहीं, सीएम के लिए अपने ही गृह जिला हमीरपुर में भी चुनौती है. यहां हमीरपुर सदर सीट से आशीष शर्मा भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. देहरा में कमलेश ठाकुर के मुकाबले होशियार सिंह चुनावी मैदान में हैं. होशियार सिंह के लिए धरती पुत्र का नारा लगता रहा है. वहीं, कमलेश ठाकुर देहरा को मायका बता रही हैं और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी उनके प्रचार में पसीना बहा चुके हैं. इसी प्रकार नालागढ़ में केएल ठाकुर का मुकाबला बावा हरदीप सिंह से है. केएल ठाकुर पहले भाजपा में थे. वर्ष 2022 के चुनाव में टिकट नहीं मिला तो भाजपा से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा.
13 जुलाई को जनता किसके झोली में डालेगी जीत: वहीं, नालागढ़ से भाजपा ने कांग्रेस से आए लखविंदर राणा को चुनाव लड़वाया था. लखविंदर राणा के पक्ष में पीएम नरेंद्र मोदी ने रैली भी की थी, लेकिन केएल ठाकुर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत गए. ये बात आम चुनाव की है, लेकिन उपचुनाव में स्थितियां अलग होती हैं. यहां सत्ताधारी दल को अमूमन जनता का समर्थन मिलता है. अब यही देखना है कि क्या 13 जुलाई को जनता कांग्रेस की झोली में सभी तीनों सीटें डालती हैं या फिर भाजपा प्रत्याशियों का निजी रसूख उनका बेड़ा पार करता है. कांग्रेस और भाजपा के दावों की यहां पड़ताल करते हैं.
हॉट सीट देहरा में कौन होगा खुशकिस्मत: सबसे पहले हॉट सीट देहरा की बात करते हैं. यहां न केवल सरकार बल्कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की प्रतिष्ठा भी दाव पर है. यदि सत्ता में रहते हुए भी सीएम सुखविंदर सिंह अपनी पत्नी को चुनाव नहीं जिता पाते हैं तो उनकी साख को गहरा धक्का लगेगा. यहां समीकरण वैसे तो कांग्रेस के पक्ष में हैं, लेकिन भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे होशियार सिंह भी कम नहीं हैं. उनके लिए देहरा में धरतीपुत्र का नारा लगता रहा है. होशियार सिंह मंझे हुए राजनेता हैं. उनका जनता के साथ सीधा कनेक्ट है. यही कारण है कि वो निर्दलीय चुनाव जीतते आए हैं.
कमलेश ठाकुर के साथ सीएम सुक्खू और सरकार: वहीं, कमलेश ठाकुर के साथ सरकार, सीएम व पार्टी हाईकमान का साथ है. जनता अपने विधानसभा क्षेत्र का विकास चाहती है, इसलिए सत्ता के साथ-साथ चलती है. लेकिन ये भी सत्य है कि होशियार सिंह अपने बूते भी विकास कार्यों के लिए कोई न कोई रास्ता निकालते रहे हैं. कांग्रेस ने यहां जनता के बीच इस बात को पहुंचाया है कि निर्दलीयों को तो इस्तीफा देने की जरूरत ही नहीं थी. होशियार सिंह सहित अन्य दो निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा दिया और उनके कारण ही राज्य पर उपचुनाव के खर्च का बोझ आया है.
होशियार सिंह की भी राह नहीं है आसान: होशियार सिंह की राह में रोड़े भी रहे. वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश चंद ध्वाला नाराज हो गए थे. उन्हें मनाने के लिए भाजपा ने अथक प्रयास किए. खुद होशियार सिंह ज्वालामुखी जाकर रमेश ध्वाला से गले मिले, नाराजगी दूर करने की बात हुई. भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल से लेकर अन्य नेताओं ने ध्वाला के गुस्से की ज्वाला को शांत करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. यदि ध्वाला का मन भीतर से मान गया होगा तो होशियार सिंह की राह आसान हो सकती है. वैसे ये बात होशियार सिंह भी जानते हैं कि कमलेश ठाकुर की स्थिति मजबूत है.
सीएम सुक्खू की पत्नी के विरोध में बस एक बात: कमलेश के विरोध में बस यही बात है कि वंशवाद की राजनीति आखिर कब तक चलेगी? अब देखना है कि देहरा की जनता वंशवाद को नकार कर सत्ता के खिलाफ चलने की हिम्मत दिखाती है या फिर सरकार के संग-संग चलकर सीएम सुक्खू को राहत की सांस लेने की अवसर देती है. देहरा की ध्याण विधानसभा पहुंचेगी तो विकास की गंगा बहेगी, ये ऑफर सीएम सुक्खू अपनी जनसभा में दे चुके हैं.
कौन होगा नालागढ़ का सरदार: नालागढ़ से कांग्रेस उम्मीदवार हरदीप बावा हैं. वे अभी तक कोई चुनाव नहीं जीते हैं. यहां केएल ठाकुर का निजी रसूख और भाजपा कार्यकर्ताओं का साथ उन्हें मजबूत बनाता है. नालागढ़ में केएल ठाकुर के पक्ष में पार्टी मुखिया राजीव बिंदल से लेकर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और अन्य नेता सक्रिय रहे. कांग्रेस के हरदीप बावा को पंजाब से चरणजीत चन्नी के प्रचार का हौसला मिला. नालागढ़ से किसी जमाने में भाजपा के हरिनारायण सैणी विधायक व कैबिनेट मंत्री रहे हैं. नालागढ़ में लखविंदर राणा भी जनसभाओं में केएल ठाकुर के साथ दिखाई देते रहे हैं. केएल ठाकुर अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं.
हरदीप बावा को जीत का भरोसा: हरदीप बावा को भी सरकार के साथ का भरोसा है. यहां मुकाबला कांटे का है. कांग्रेस का सभी तीन सीटों पर बड़ा हमला यही था कि निर्दलीय विधायकों को इस्तीफा देने की जरूरत क्या थी? वहीं, भाजपा पलटवार करते हुए कह रही थी कि जब विकास के लिए निर्दलीय विधायकों को तरसाया जा रहा था तो, मजबूर होकर इस्तीफा देना पड़ा. ये भी तर्क दिया कि राज्यसभा चुनाव में भी इसी कारण भाजपा का साथ दिया था. अब 13 जुलाई को नालागढ़ का सरदार कौन बनेगा, ये शनिवार को तय हो जाएगा.
हमीरपुर पर भी सीएम सुक्खू का जोर: ये सही है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का अधिकांश समय देहरा में लगा, लेकिन वे हमीरपुर को लेकर भी बराबर काम करते रहे. हमीरपुर सीएम का गृह जिला है. यदि यहां कांग्रेस को हार मिलती है तो विरोधियों को सीएम को घेरना आसान हो जाएगा. भाजपा ने भी हमीरपुर में खूब जोर लगाया हुआ है. हमीरपुर वैसे भी भाजपा का गढ़ है. यहां अनुराग ठाकुर से लेकर अन्य भाजपा नेता आशीष शर्मा को सियासी आशीष देने के लिए खूब सक्रिय रहे हैं. कई मायनों में हमीरपुर सीट देहरा से भी अधिक महत्वपूर्ण है. कारण ये है कि हमीरपुर सदर सीट पर पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल, सांसद अनुराग ठाकुर और पार्टी मुखिया राजीव बिंदल की साख भी दाव पर है.
सीएम सुक्खू और डिप्टी सीएम के सामने चुनौती: अनुराग ठाकुर ने अभी-अभी सांसद का चुनाव जीता है. ऐसे में हमीरपुर से भाजपा प्रत्याशी आशीष शर्मा को बढ़त दिलाना अनुराग के लिए भी चुनौती है. वहीं, सीएम सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के लिए भी हमीरपुर किसी चुनौती से कम नहीं है. कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र वर्मा भी पहली जीत का स्वाद चखने के लिए आतुर हैं. वहीं, आशीष के सामने 2022 में मिले जन आशीष को बरकरार रखने का लक्ष्य है.
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