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मोदी कैबिनेट में दिखेगा राजस्थान का प्रतिनिधित्व, इनको मिल सकता है मौका ! - Rajasthan MP in Modi Cabinet

नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही आज इतिहास रचेंगे. भाजपा की जगह एनडीए सरकार बनने की प्रक्रिया के बीच यह भी चर्चा है कि इस बार केंद्र में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कम होगा. सियासी इतिहास के आंकड़े देखें तो केंद्र में गठबंधन सरकार के दौरान राजस्थान से 2 या 3 मंत्री होते हैं. इस बार भी ऐसा संभव है.

राजस्थान से कौन बनेगा मंत्री ?
राजस्थान से कौन बनेगा मंत्री ? (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 7, 2024, 10:21 AM IST

जयपुर. दिल्ली में मोदी 3.0 सरकार के गठन और शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. एनडीए की सरकार के बीच मंत्रालयों के बंटवारों पर भी सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है. पीएम मोदी के संभावित मंत्रिमंडल में राजस्थान को कितनी तवज्जो मिलेगी, इसको लेकर अलग-अलग सियासी आंकलन हो रहे हैं, लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव में राजस्थान ने नरेंद्र मोदी की उम्मीदें तोड़ी है, इसके बाद ने क्या राजस्थान वो तवज्जो मिलेगी ?, इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं. सियासी पंडितों की मानें तो इस बार 2-3 सांसदों को ही मंत्री बनने का माैका मिल जाए, तो वही बड़ी बात होगी, क्योंकि मिशन 25 के बीच भाजपा सिर्फ 14 का आंकड़ा ही छू पाई, जो कि पिछले तीन बार के परिणामों सबसे खराब परफॉर्मेंस है. पीएम मोदी को राजस्थान से जो आशा थी, वैसा सपोर्ट नहीं मिला. बीजेपी के मिशन-25 के दावे की चुनाव परिणामों में हवा निकल गई. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि पिछली बार चार सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली थी, लेकिन इस बार प्रतिनिधित्व आधा रह सकता है.

नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही आज इतिहास रचेंगे. वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे और पहले गैर-कांग्रेसी नेता होंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शाम 7:15 बजे राष्ट्रपति भवन में भव्य समारोह में मोदी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी. मोदी के साथ मंत्रिपरिषद के सदस्य भी शपथ लेंगे.

भाजपा को जोर का झटका धीरे से लगा : लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 11 सीटों पर भाजपा को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस ने जोरदार वापसी करते हुए 8 सीटों पर कब्जा किया, जबकि उसके तीन सहयोगी दलों ने भी तीन सीटों पर जीत दर्ज की. 10 साल बाद बीजेपी 25 सीटों से महज 14 पर सिमट गई. ऐसे में मोदी 3.0 सरकार में राजस्थान से प्रतिनिधित्व पर भी असर पड़ना तय है. पीएम मोदी ने इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 400 पार का नारा दिया था. इसको लेकर राजस्थान में भी बीजेपी के लिए मिशन 25 का टारगेट तय किया, लेकिन आंकड़ा 14 पर सिमट गया, जबकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी कांग्रेस का सूपड़ा साफ करती रही, लेकिन इस बार भाजपा को जोर का झटका धीरे से लगा, जबकि कांग्रेस ने जबरदस्त तरीके से वापसी करते हुए अपनी पिछली 10 सालों की हार का बदला ले लिया. जिस तरह से भाजपा 25 की सीटों की उम्मीद कर रही थी, उसी तरह से कांग्रेस भी 4 से 5 सीटों का आंकलन करके चल रही थी, लेकिन जनता ने अपेक्षा से विपरीत दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा को जनादेश दिया.

इसे भी पढ़ें- राजस्थान, यूपी और हरियाणा में डबल इंजन हुआ फेल, दबाव और प्रलोभन में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिम्मत नहीं हारी- पायलट - Sachin Pilot On Loksabha Result

टूटी उम्मीदों का असर मंत्रिमंडल पर : लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में राजस्थान में गठबंधन सहित 25 की 25 सीटें जीतकर पीएम मोदी को बड़ी सौगात दी थी. इसके बाद पीएम मोदी ने भी राजस्थान में चार सांसदों को केंद्रीय मंत्री बनाया. इनमें जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भूपेंद्र यादव शामिल हैं. इतना ही नहीं राजस्थान से आने वाले सांसद ओम बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष बनाया, लेकिन इस बार बीजेपी ने राजस्थान से पीएम मोदी को तगड़ा झटका दिया हैं. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस बार टूटी उम्मीदों का असर मंत्रिमंडल में साफ दिखाई दे सकता है. नरेंद्र मोदी के 400 पार का नारे का सपना अधूरा ही रह गया. इस बार बीजेपी को अपने दम पर 240 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. जिसमें राजस्थान ने काफी निराश किया. बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 272 का बहुमत चाहिए, इसके लिए बीजेपी को अपने सहयोगी दलों का सहारा लेना पड़ रहा है. लिहाजा, इस स्थिति में सरकार बनाने के लिए दूसरे सहयोगी दलों की भूमिका के कारण पीएम मोदी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने सहयोगी दलों को भी प्राथमिकता देनी होगी. इसकी वजह से राजस्थान से बनने वाले केंद्रीय मंत्रियों की संख्या घटनी तय है.

नए चेहरों को मौका : पिछली बार राजस्थान से चार केंद्रीय मंत्री और एक लोकसभा अध्यक्ष बने, लेकिन इस बार दो से तीन सासंदों के मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद है. हालांकि, मंत्रिमंडल में नरेंद्र मोदी जातीय समीकरण साधने की कोशिश कर सकते हैं. ब्राह्मण समाज से मुख्यमंत्री होने के चलते इस बार ब्राह्मण समाज से मंत्री बनाने पर विचार कम होने की संभावना है. वहीं, विधानसभा चुनाव से नाराज चल रहे जाट समाज को साधने के लिए अजमेर से आने वाले सासंद भगीरथ चौधरी को मौका मिल सकता है. हालांकि, चर्चा है कि पांच बार के सासंद और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को इस बार मौका मिल सकता है. यानी इन दो जाट समाज से आने वाले सांसदों में से एक कि लॉटरी लग सकती है. इसी तरह से पुराने केंद्रीय मंत्रियों में भूपेंद्र यादव और अर्जुन राम मेघवाल में से एक को मौका मिल सकता है. इसी तरह से राजपूत समाज से नए चेहरे के तौर पर राव राजेंद्र सिंह मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं, जबकि अनुभवी को प्राथमिकता दी जाएगी, तो गजेंद्र सिंह शेखावत को तव्वजो दी जा सकती है. हालांकि, इन दोनों राजपूत समाज से आने वाले सांसदों में से एक को ही मौका मिलेगा.

जयपुर. दिल्ली में मोदी 3.0 सरकार के गठन और शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. एनडीए की सरकार के बीच मंत्रालयों के बंटवारों पर भी सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है. पीएम मोदी के संभावित मंत्रिमंडल में राजस्थान को कितनी तवज्जो मिलेगी, इसको लेकर अलग-अलग सियासी आंकलन हो रहे हैं, लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव में राजस्थान ने नरेंद्र मोदी की उम्मीदें तोड़ी है, इसके बाद ने क्या राजस्थान वो तवज्जो मिलेगी ?, इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं. सियासी पंडितों की मानें तो इस बार 2-3 सांसदों को ही मंत्री बनने का माैका मिल जाए, तो वही बड़ी बात होगी, क्योंकि मिशन 25 के बीच भाजपा सिर्फ 14 का आंकड़ा ही छू पाई, जो कि पिछले तीन बार के परिणामों सबसे खराब परफॉर्मेंस है. पीएम मोदी को राजस्थान से जो आशा थी, वैसा सपोर्ट नहीं मिला. बीजेपी के मिशन-25 के दावे की चुनाव परिणामों में हवा निकल गई. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि पिछली बार चार सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली थी, लेकिन इस बार प्रतिनिधित्व आधा रह सकता है.

नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही आज इतिहास रचेंगे. वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे और पहले गैर-कांग्रेसी नेता होंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शाम 7:15 बजे राष्ट्रपति भवन में भव्य समारोह में मोदी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी. मोदी के साथ मंत्रिपरिषद के सदस्य भी शपथ लेंगे.

भाजपा को जोर का झटका धीरे से लगा : लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 11 सीटों पर भाजपा को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस ने जोरदार वापसी करते हुए 8 सीटों पर कब्जा किया, जबकि उसके तीन सहयोगी दलों ने भी तीन सीटों पर जीत दर्ज की. 10 साल बाद बीजेपी 25 सीटों से महज 14 पर सिमट गई. ऐसे में मोदी 3.0 सरकार में राजस्थान से प्रतिनिधित्व पर भी असर पड़ना तय है. पीएम मोदी ने इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 400 पार का नारा दिया था. इसको लेकर राजस्थान में भी बीजेपी के लिए मिशन 25 का टारगेट तय किया, लेकिन आंकड़ा 14 पर सिमट गया, जबकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी कांग्रेस का सूपड़ा साफ करती रही, लेकिन इस बार भाजपा को जोर का झटका धीरे से लगा, जबकि कांग्रेस ने जबरदस्त तरीके से वापसी करते हुए अपनी पिछली 10 सालों की हार का बदला ले लिया. जिस तरह से भाजपा 25 की सीटों की उम्मीद कर रही थी, उसी तरह से कांग्रेस भी 4 से 5 सीटों का आंकलन करके चल रही थी, लेकिन जनता ने अपेक्षा से विपरीत दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा को जनादेश दिया.

इसे भी पढ़ें- राजस्थान, यूपी और हरियाणा में डबल इंजन हुआ फेल, दबाव और प्रलोभन में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिम्मत नहीं हारी- पायलट - Sachin Pilot On Loksabha Result

टूटी उम्मीदों का असर मंत्रिमंडल पर : लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में राजस्थान में गठबंधन सहित 25 की 25 सीटें जीतकर पीएम मोदी को बड़ी सौगात दी थी. इसके बाद पीएम मोदी ने भी राजस्थान में चार सांसदों को केंद्रीय मंत्री बनाया. इनमें जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भूपेंद्र यादव शामिल हैं. इतना ही नहीं राजस्थान से आने वाले सांसद ओम बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष बनाया, लेकिन इस बार बीजेपी ने राजस्थान से पीएम मोदी को तगड़ा झटका दिया हैं. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस बार टूटी उम्मीदों का असर मंत्रिमंडल में साफ दिखाई दे सकता है. नरेंद्र मोदी के 400 पार का नारे का सपना अधूरा ही रह गया. इस बार बीजेपी को अपने दम पर 240 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. जिसमें राजस्थान ने काफी निराश किया. बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 272 का बहुमत चाहिए, इसके लिए बीजेपी को अपने सहयोगी दलों का सहारा लेना पड़ रहा है. लिहाजा, इस स्थिति में सरकार बनाने के लिए दूसरे सहयोगी दलों की भूमिका के कारण पीएम मोदी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने सहयोगी दलों को भी प्राथमिकता देनी होगी. इसकी वजह से राजस्थान से बनने वाले केंद्रीय मंत्रियों की संख्या घटनी तय है.

नए चेहरों को मौका : पिछली बार राजस्थान से चार केंद्रीय मंत्री और एक लोकसभा अध्यक्ष बने, लेकिन इस बार दो से तीन सासंदों के मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद है. हालांकि, मंत्रिमंडल में नरेंद्र मोदी जातीय समीकरण साधने की कोशिश कर सकते हैं. ब्राह्मण समाज से मुख्यमंत्री होने के चलते इस बार ब्राह्मण समाज से मंत्री बनाने पर विचार कम होने की संभावना है. वहीं, विधानसभा चुनाव से नाराज चल रहे जाट समाज को साधने के लिए अजमेर से आने वाले सासंद भगीरथ चौधरी को मौका मिल सकता है. हालांकि, चर्चा है कि पांच बार के सासंद और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को इस बार मौका मिल सकता है. यानी इन दो जाट समाज से आने वाले सांसदों में से एक कि लॉटरी लग सकती है. इसी तरह से पुराने केंद्रीय मंत्रियों में भूपेंद्र यादव और अर्जुन राम मेघवाल में से एक को मौका मिल सकता है. इसी तरह से राजपूत समाज से नए चेहरे के तौर पर राव राजेंद्र सिंह मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं, जबकि अनुभवी को प्राथमिकता दी जाएगी, तो गजेंद्र सिंह शेखावत को तव्वजो दी जा सकती है. हालांकि, इन दोनों राजपूत समाज से आने वाले सांसदों में से एक को ही मौका मिलेगा.

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