भिवानी: मिनी क्यूबा भिवानी की बॉक्सर बेटी नीतू घनघस अर्जुन अवार्डी बॉक्सर बन गई हैं. बीते रोज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों मिले इस अवॉर्ड के बाद नीतू के घर व उसके धनाना गांव में ख़ुशी की लहर है. अब ओलंपिक की तैयारी में जुटी नीतू की मां का कहना है कि सारी उम्र गोबर उठाने व घास लाने में बीत गई थी. अब बेटी ने राष्ट्रपति भवन दिखा दिया.
राष्ट्रपति के हाथों नीतू घनघस को सम्मान: भिवानी के बेटे ही नहीं, बेटियां भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग में एक के बाद एक मेडल लाकर देश का नाम रोशन कर रही हैं. जिसकी बदौलत खेल नगरी भिवानी को मिनी क्यूबा कहा जाता है. इसमें धनाना गांव की बॉक्सर बेटी नीतू घनघस का भी बड़ा योगदान है. जिसे राष्ट्रपति के हाथों अर्जुन अवॉर्ड मिला है. ये अवार्ड नीतू ने अपने गांव में अपने घर पहुंचते ही अपनी मां को सौंपा.
बेटी की मां हुईं भावुक: इस दौरान नीतू की मां भावुक हुई और बोलीं कि ऐसी बेटी भगवान सभी को दे. जिसने गोबर उठाने वाली मां को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया. बता दें कि नीतू की मां एक साधारण महिला हैं. कल वे भी नीतू को राष्ट्रपति के हाथों मिल रहे इस अवार्ड के समय राष्ट्रपति भवन में मौजूद थीं. नीतू घनघस ने यह अवार्ड 2022 में वर्ल्ड चैंपियनशिप व कॉमनवेल्थ गेम में विजेता रहने पर मिला है.
'2022 में बनी अर्जुन अवार्ड की हकदार': राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों से अर्जुन अवार्ड पाने वाली बॉक्सर नीतू का कहना है कि उसने 2012 में बॉक्सिंग शुरू की थी. तब न किसी मेडल का और न ही अवार्ड की जानकारी थी. 10 साल बाद 2022 में जब वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम में मेडल मिला तो अर्जुन अवार्ड की हकदार बनी. नीतू का कहना है कि ये अवार्ड उसे अब आगे होने वाले ओलंपिक, कॉमनवेल्थ व वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी के लिए मोटिवेट करेगा. नीतू का कहना है कि मुझे मिला अर्जुन अवार्ड मेरी साथी बॉक्सरों व जूनियर को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा.
पिता को बेटी पर गर्व: नीतू के पिता जयभगवान का कहना है कि पूरे गांव को खुशी हुई है. नीतू व उनके कोच जगदीश की मेहनत का फल है. पिता का कहना है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नीतू ओलंपिक मेडल लाकर देश का नाम रोशन करेंगी. वहीं, घर से खेत व खेत से घर तक सीमित रहने वाली नीतू की मां मुकेश बेटी को मिले अवार्ड से खुशी भी है और खुशी से भावुक भी हुए. उनका कहना है कि मां तो भैंसों के लिए खेतों से घास लाने व गोबर उठाने तक सीमित थी. बेटी ने दिल्ली और दिल्ली में राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया. मां का कहना है कि बेटियां बेटों से भी अच्छी होती है. ऐसी बेटियां भगवान सभी को
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