भिवानी: पिछले कुछ साल से देखने में आया है कि श्राद्ध की अमावस्या के दिन लोग अपने पितरों की तृप्ति के लिए गायों को खीर, पूरी, हलवा और रोटी आदि अत्याधिक मात्रा में खिलाते हैं. इससे गायों में एसिडोसिस (सांस लेने में समस्या) और अफारा (पेट फूलना) जैसी बीमारी से गायों की मौत हो जाती है, जिससे लोग पुण्य की बजाए पाप के भागीदार बन जाते हैं.
श्राद्ध पर ड्यूटी देंगे पशुपालन विभाग के कर्मचारी
श्राद्ध के मौके पर गायों को मौत से बचाने के लिए पशुपालन विभाग ने लोगों को जागरूक करने की मुहिम जलाई है. इसके अलावा गायों को असामयिक मौत से बचाने के लिए पशुपालन विभाग ने व्यापक प्रबंध भी किए है, जिसके तहत पशु चिकित्सकों की ड्यूटी भी लगाई गई है, जो कि बीमार पशुओं के उपचार के लिए दो से चार अक्टूबर तक समयानुसार भिवानी की महम रोड स्थित गौशाला में ड्यूटी देंगे.
पशुपालन विभाग ने बनाई टीम
ये जानकारी देते हुए भिवानी पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर रविंद्र सहरावत ने बताया कि दो अक्तूबर को श्राद्ध की अमावस्या है. उस दिन लोग अत्यधिक मात्रा में गाय को खीर, पूरी, हलवा व रोटी इत्यादि खिलाते है, जिनसे गायें मौत के मुंह में पहुंच जाती हैं. ऐसी स्थिति से निपटाने के लिए सात टीमों का गठन किया गया है, जो कि समयानुसार गौशाला में ड्यूटी देंगे.
बेसहारा गायों को ना खिलाएं रोटी
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर रविंद्र सहरावत ने कहा कि सड़क पर खड़ी बेसहारा गायों को रोटी खिलाने की बजाए सिर्फ गौशाला में गौ ग्रास दें. उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक यह सोचता है कि उनकी एक रोटी से क्या फर्क पड़ेगा, लेकिन उनसे पहले भी कई व्यक्तियों द्वारा सड़क पर खड़ी बेसहारों गायों को रोटी खिलाई जा चुकी है. इसीलिए प्रत्येक नागरिक इस बात का विशेष ध्यान रखे कि सड़क पर खड़ी बेसहारा गायों को एक भी रोटी ना खिलाएं.
गायों को खिलाएं हरा चारा
पशुपालन विभाग का कहना है कि गौशालाओं की तरफ से गौशाला के बाहर ड्रम रखे गए हैं, नागरिक उन्ही ड्रम में गौग्रास डालें, ताकि वहां से गौशाला कर्मचारी सही और उचित मात्रा में गाय को वो भोजन खिला सकें. इसके अलावा गाय के हरे चारे के लिए गौशाला में दान करना भी सबसे बेहतरीन विकल्प है. ऐसे में वे नागरिकों से आह्वान करते हुए गाय को खीर, पुरी, हलवा व रोटी इत्यादि खिलाने की बजाए सिर्फ हरा चारा ही दें और पाप के भागीदार बनने से बचें. क्योंकि अत्याधिक मात्रा में ये खाने से गाय में एसिडोसिस बन जाता है और वो एसिड खून में चला जाता है. जिससे गाय को सांस लेने में भी दिक्कत आती है और मौत तक हो जाती है.
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