रायपुर: सुरक्षा बलों के जंगलों में घुसने से नक्सलियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.साल 2024 में बस्तर में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए संकल्प लिया गया है.छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने 2024 में 219 नक्सलियों को मार गिराया है. राज्य सरकार और सुरक्षा बलों ने मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा को लागू करने का दृढ़ संकल्प दिखाया है. इस साल की शुरुआत सुरक्षा बलों के लिए झटके के साथ हुई. जब 30 जनवरी को सुकमा-बीजापुर सीमा पर नक्सली हमले में सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हो गए, जिनमें कोबरा यूनिट के दो कमांडो भी शामिल थे, इस घटना में 15 जवान घायल हुए थे.
नक्सली हर मोर्चे पर रहे पीछे : लेकिन इसके बाद नक्सलियों के लिए मानो बुरा वक्त शुरु हुआ. कुछ महीनों में ही सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को उन्हीं के अंदाज में जवाब दिया. उग्रवादियों के गढ़ अबूझमाड़ में अंदर तक अभियान चलाया गया.फरवरी में सुकमा जिले के पुवर्ती में एक शिविर स्थापित करने में फोर्स को सफलता मिली, जो खूंखार नक्सली नेता हिडमा का पैतृक गांव है. 4 अक्टूबर को सुरक्षा बलों को राज्य में वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ चार दशक से चल रही लड़ाई में सबसे बड़ी जीत मिली, जब दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों की सीमा पर मुठभेड़ में 31 नक्सली मारे गए. 16 अप्रैल को कांकेर जिले के छोटेबेठिया इलाके में कुल 29 नक्सलियों का सफाया किया गया.
गृहमंत्री ने तय की डेडलाइन : 5 दिसंबर तक कुल 837 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया . 802 ने अपने हथियार डाल दिए. साल भर में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में 18 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए. जबकि नक्सली हिंसा में मारे गए नागरिकों की संख्या 65 रही. साल भर में सुरक्षा बलों ने 219 नक्सलियों को मार गिराया, जिनमें से 217 बस्तर क्षेत्र में मारे गए, जिसमें बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव और सुकमा जिले शामिल हैं. दिसंबर में शाह ने बस्तर का दौरा किया और दोहराया कि मार्च 2026 तक राज्य से नक्सलवाद का खात्मा कर दिया जाएगा.
विष्णु देव साय सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ पूरी तरह से लड़ाई में फोर्स का साथ दिया. हवाई निगरानी और ट्रैकिंग तंत्र के साथ-साथ दुर्गम क्षेत्रों में शिविर स्थापित करने और विकास परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाया गया. राज्य पुलिस ने इस साल नक्सलियों के खिलाफ महत्वपूर्ण सफलता हासिल की, लेकिन कांकेर, नारायणपुर और बीजापुर जिलों में फर्जी मुठभेड़ों के आरोपों का भी सामना करना पड़ा.
साय सरकार का कार्यकाल : पिछले साल दिसंबर में पांच साल के अंतराल के बाद सत्ता में लौटी बीजेपी ने 11 में से 10 लोकसभा सीटें और नवंबर में उपचुनाव जीतकर राज्य की राजनीति पर अपनी पकड़ बनाए रखी. आम चुनावों के प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रैलियां कीं. साय सरकार ने किसानों और महिलाओं के लिए क्रमशः 'कृषक उन्नति योजना' और 'महतारी वंदन योजना' शुरू की.इस साल साय सरकार ने भूपेश बघेल की पिछली कांग्रेस सरकार के तहत हुए घोटालों को उजागर करने के लिए ठोस प्रयास किए.इसके कारण विपक्ष ने ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के साथ-साथ विच हंट के आरोप लगाए. इसने साय सरकार पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने में असमर्थ होने का भी आरोप लगाया.
बलौदाबाजार में भड़की हिंसा : 10 जून को सतनामी समुदाय द्वारा पवित्र 'विजय स्तंभ' को कथित रूप से क्षतिग्रस्त किया गया. विरोध में किए गए प्रदर्शन के बाद बीजेपी पर हमले और भी तीखे हो गए. इस दौरान बलौदाबाजार में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के कार्यालयों में बड़े पैमाने पर आगजनी की गई. आगजनी के सिलसिले में कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और भीम रेजिमेंट के सदस्यों सहित करीब 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
साधराम हत्याकांड से माहौल हुआ गर्म : जनवरी में कबीरधाम जिले में मुस्लिम समुदाय के पांच लोगों ने एक गौ सेवक की हत्या कर दी. जिसकी जांच अब एनआईए कर रही है. अक्टूबर में सूरजपुर में पांच लोगों ने एक पुलिसकर्मी की पत्नी और 11 वर्षीय बेटी की हत्या ने साय शासन को बैकफुट पर ला दिया.
घोटालों को लेकर कई अफसर गिरफ्तार : छत्तीसगढ़ में अवैध कोयला लेवी, शराब और जिला खनिज फाउंडेशन से संबंधित कथित घोटालों के संबंध में नौकरशाहों, व्यापारियों और कुछ कांग्रेस नेताओं के परिसरों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने कई छापे मारे. ईडी ने अप्रैल में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को गिरफ्तार किया, जो पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान एक प्रभावशाली नौकरशाह थे, कथित 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल टुटेजा जेल में बंद हैं.
पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ FIR : एसीबी/ईओडब्ल्यू ने मार्च में महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप घोटाले में बघेल के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की. ईओडब्ल्यू ने फरवरी में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान राज्य लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामला दर्ज किया था. मामला सीबीआई को सौंप दिया गया, जिसने नवंबर में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और व्यवसायी श्रवण कुमार गोयल को गिरफ्तार किया था.
हसदेव अरण्य का मामला भी गूंजा : हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित परसा कोयला खदान के खिलाफ राज्य में ग्रामीणों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखा गया. वहीं गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य को इस उद्देश्य के लिए अधिसूचित किए जाने के बाद इसे एक नया बाघ अभयारण्य भी मिला. अप्रैल में दुर्ग जिले के कुम्हारी क्षेत्र में एक बस के पलट जाने और खाई में गिर जाने से 12 यात्रियों की मौत हो गई और 14 घायल हो गए.
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