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Father's day special : "आज उंगली थाम के तेरी, तुझे मैं चलना सिखलाऊं...कल हाथ पकड़ना मेरा जब मैं बूढ़ा हो जाऊं" - Fathers Day 2024 Special

Fathers Day 2024 Special : फादर्स डे पर आज जरूर आपने अपने पिता के साथ सेल्फी खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की होगी या उन्हें गिफ्ट के साथ हैप्पी फादर्स डे का विश किया होगा. लेकिन कुछ बुजुर्ग ऐसे भी हैं, जिनकी आंखों में फादर्स डे आने पर आंसू आ जाते हैं. आखिर क्या है इन बुजुर्गों की दर्द भरी दास्तां, आइए जानते हैं.

Fathers Day 2024 Special Children threw their father out of the house Nirmal Dham of Karnal Haryana became a support for the destitute
"कल हाथ पकड़ना मेरा जब मैं बूढ़ा हो जाऊं" (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 16, 2024, 10:25 PM IST

Updated : Jun 16, 2024, 10:39 PM IST

करनाल : आज दुनिया भर के साथ देशभर में फादर्स डे मनाया गया. इस दिन को पिता को धन्यवाद देने के लिए और उन्हें सम्मानित करने के लिए मनाते हैं. बच्चे इस दिन अपने पिता को सरप्राइज गिफ्ट तक देते हैं लेकिन इससे इतर कुछ कलयुगी औलादें ऐसी भी हैं जो अपने माता- पिता को घर से बाहर निकाल देती है और फिर उनको जन्म देने वाले बुजुर्ग दर-दर भटकने पर मजबूर हो जाते हैं.

वृद्धाश्रम में रहने की मजबूरी : करनाल की बात करें तो यहां का निर्मल धाम ऐसे ही बुजुर्गों से भरा हुआ है, जिन्हें या तो उनके बच्चों ने घर से बाहर निकाल दिया है या फिर कोई अपना अपमान नहीं सह पाया तो कोई अपना स्वाभिमान अपने बच्चों के कदमों में गिरवी नहीं रख पाया. वक्त के थपेड़ों ने इन बुजुर्गों को इतना मजबूर बना दिया है कि उन्हें अगर परिवार की याद भी आती है तो वे आंसुओं का घूंट अंदर ही अंदर पी जाते हैं और चेहरे पर एक मुस्कुराहट नजर आती है, लेकिन कुछ बुजुर्ग ऐसे भी है, जो अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं लेकिन उन्हें लेने के लिए कोई नहीं आता

बुजुर्गों की दर्द भरी दास्तां (Etv Bharat)

"लड़का पैदा करके गलती कर दी" : निर्मल धाम में मौजूद दिल्ली के मोहन लाल कहते हैं कि मैंने लड़का पैदा करके बहुत बड़ी गलती कर दी. मोहन लाल पिछले चार साल से वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है . मोहन लाल बताते हैं कि हालात कुछ ऐसे हो गए थे कि उन्हें ओल्ड ऐज होम में आना पड़ा. जहां पर मान नहीं, सम्मान नहीं, प्यार नहीं, वहां पर रहना ही नहीं चाहिए. घर में रोटी के दो टुकड़े के अलावा इज्जत, मान और मर्यादा की भी जरूरत होती है. मोहनलाल आगे कहते हैं कि वे अपने बच्चों को दोष नहीं देते , लेकिन शायद उनके नसीब में यही लिखा था, तो वे आज यहां पर हैं. हालांकि उन्हें उन पलों की याद जरूर आती है जो उन्होंने परिवार के साथ बिताए थे.

"79 साल का हूं, कैसे कमाऊं ?" : बुजुर्ग कुलबीर कुमार करीब 6 साल से वृद्धाश्रम में रह रहे हैं. कुलबीर का कहना है कि उनके घरवाले कहते हैं कि कमाकर लाओ, लेकिन वे बूढ़े हो चुके हैं, अब काम होता नहीं है. मैं 79 साल का हूं कैसे कमाऊं? कभी कभार मिलने के लिए पोते-पोती आ जाते हैं. ये कहानी सिर्फ मोहन लाल या कुलबीर कुमार की अकेली नहीं है बल्कि यहां ऐसे कई बुजुर्ग है जिनकी ऐसी ही कुछ दर्द भरी दास्तां हैं.

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ये भी पढ़ें : शिकंजे में "आदमखोर"...घंटों की मशक्कत के बाद पकड़ा गया तेंदुआ...बच्ची को मार चुका था

करनाल : आज दुनिया भर के साथ देशभर में फादर्स डे मनाया गया. इस दिन को पिता को धन्यवाद देने के लिए और उन्हें सम्मानित करने के लिए मनाते हैं. बच्चे इस दिन अपने पिता को सरप्राइज गिफ्ट तक देते हैं लेकिन इससे इतर कुछ कलयुगी औलादें ऐसी भी हैं जो अपने माता- पिता को घर से बाहर निकाल देती है और फिर उनको जन्म देने वाले बुजुर्ग दर-दर भटकने पर मजबूर हो जाते हैं.

वृद्धाश्रम में रहने की मजबूरी : करनाल की बात करें तो यहां का निर्मल धाम ऐसे ही बुजुर्गों से भरा हुआ है, जिन्हें या तो उनके बच्चों ने घर से बाहर निकाल दिया है या फिर कोई अपना अपमान नहीं सह पाया तो कोई अपना स्वाभिमान अपने बच्चों के कदमों में गिरवी नहीं रख पाया. वक्त के थपेड़ों ने इन बुजुर्गों को इतना मजबूर बना दिया है कि उन्हें अगर परिवार की याद भी आती है तो वे आंसुओं का घूंट अंदर ही अंदर पी जाते हैं और चेहरे पर एक मुस्कुराहट नजर आती है, लेकिन कुछ बुजुर्ग ऐसे भी है, जो अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं लेकिन उन्हें लेने के लिए कोई नहीं आता

बुजुर्गों की दर्द भरी दास्तां (Etv Bharat)

"लड़का पैदा करके गलती कर दी" : निर्मल धाम में मौजूद दिल्ली के मोहन लाल कहते हैं कि मैंने लड़का पैदा करके बहुत बड़ी गलती कर दी. मोहन लाल पिछले चार साल से वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है . मोहन लाल बताते हैं कि हालात कुछ ऐसे हो गए थे कि उन्हें ओल्ड ऐज होम में आना पड़ा. जहां पर मान नहीं, सम्मान नहीं, प्यार नहीं, वहां पर रहना ही नहीं चाहिए. घर में रोटी के दो टुकड़े के अलावा इज्जत, मान और मर्यादा की भी जरूरत होती है. मोहनलाल आगे कहते हैं कि वे अपने बच्चों को दोष नहीं देते , लेकिन शायद उनके नसीब में यही लिखा था, तो वे आज यहां पर हैं. हालांकि उन्हें उन पलों की याद जरूर आती है जो उन्होंने परिवार के साथ बिताए थे.

"79 साल का हूं, कैसे कमाऊं ?" : बुजुर्ग कुलबीर कुमार करीब 6 साल से वृद्धाश्रम में रह रहे हैं. कुलबीर का कहना है कि उनके घरवाले कहते हैं कि कमाकर लाओ, लेकिन वे बूढ़े हो चुके हैं, अब काम होता नहीं है. मैं 79 साल का हूं कैसे कमाऊं? कभी कभार मिलने के लिए पोते-पोती आ जाते हैं. ये कहानी सिर्फ मोहन लाल या कुलबीर कुमार की अकेली नहीं है बल्कि यहां ऐसे कई बुजुर्ग है जिनकी ऐसी ही कुछ दर्द भरी दास्तां हैं.

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Last Updated : Jun 16, 2024, 10:39 PM IST
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