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'पापा सैलून में बाल काटते हैं', बेटा बना DRDO में अफसर, पढ़ें एक पिता के संघर्ष की कहानी - FATHERS DAY 2024 - FATHERS DAY 2024

Fathers Day Special Story: पिता जीवन में एक अहम भूमिका निभाता है. पिता से बच्चों को अपने सपनों के लिए उड़ान मिलती है. किछ ऐसी ही कहानी गया के नाई पिता के संघर्ष की है. जिसने बेटे की तकदीर संवारने के लिए अपने गांव छोड़ दिया और सैलून चलाकर उसे बड़ा ऑफिसर बनाया. आगे पढ़ें पूरी खबर.

Father's Day 2024
फादर्स डे स्पेशल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 16, 2024, 6:56 AM IST

फादर्स डे स्पेशल (ETV Bharat)

गया: दुनिया में कई ऐसे पिता है, जिन्होंने अपने बेटे की तकदीर संवारने के लिए काफी संघर्ष किया और उसे सफलता के मुकाम तक पहुंचाया है. ऐसे ही एक संघर्ष की कहानी बिहार के गया के तारकेश्वर शर्मा की है, जिन्होंने छोटे से सैलून से अपने बेटे को ऑफिसर बनाया. इसके लिए इस पिता के संघर्ष की कहानी हैरान करने वाला है. तारकेश्वर शर्मा की स्थिति ऐसी थी कि घर का गुजारा करना मुश्किल हो रहा था. पत्नी के जेवरात गिरवी रखने की नौबत थी लेकिन अपने बेटे की तकदीर संवारने के लिए उन्होंने गांव छोड़ा और शहर में छोटा सा सैलून कोला.

सैलून चलाकर बेटे को दिलाया मुकाम: अपने बेटे को ऑफिसर बनने का सपना संजोए तारकेश्वर लगातार संघर्ष करते रहे. 15 रुपये में दाढ़ी और 15 रूपये में बाल बनाने वाले तारकेश्वर आज उन सफल पिता की गिनती में है, जिन्होंने कठिन संघर्ष कर अपने बेटे को ऑफिसर बनाया. आज उनका बेटा रक्षा मंत्रालय में पोस्टेड है. जिस पर तारकेश्वर को गर्व है कि उसकी मेहनत रंग लाई.

गरीबी के बीच कट रही थी जिंदगी: गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड अंतर्गत चौआरा गांव के रहने वाले तारकेश्वर शर्मा की स्थिति काफी मुश्किल में कट रही थी. पूरा परिवार आर्थिक तंगी में था लेकिन तारकेश्वर शर्मा को लगन थी, कि वह अपने बेटे को ऑफिसर बनाएंगे. इस सपने को संजो कर उन्होंने गांव छोड़ा और गया शहर में आए. शहर के चांद चौरा मोहल्ले में एक छोटी सी गुमटी किराए पर ली और अपना पुश्तैनी काम शुरू कर मेहनत में जुट गए. उन्होंने सैलून चलाते हुए काफी मेहनत की. बेटे की पढ़ाई पैसे के कारण कभी प्रभावित नहीं होने दी.

Father's Day 2024
बेटे की सफलता से पूरे परिवार में खुशी (ETV Bharat)

अच्छी कोचिंग से मिली सफलता: तारकेश्वर शर्मा ने आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति में बेटे का नाम सरकारी स्कूल में लिखाया. बेटे सौरभ की पढ़ाई धीरे-धीरे बढ़ती चली गई. इस बीच बेटे ने भी अपने पिता के सपने को साकार करने की ठान ली थी. उसके पढ़ने की लगन ने तारकेश्वर शर्मा का हौसला बढाया. अच्छी निजी कोचिंग में दाखिला कराया, जिसके बाद सौरभ की मेधावी प्रतिभा में निखार आता चला गया.

"सरकारी मिडील स्कूल, जिला स्कूल के बाद गया कॉलेज से इंटर और पॉलिटेक्निक कॉलेज से इलेक्ट्रिकल में मेरे बेटे ने डिप्लोमा की डिग्री ली. जिसके बाद कंपटीशन की तैयारी करने लगा. निजी कोचिंग महंगी थी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. काफी मेहनत करके दिन- रात एक कर बेटे की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी और आखिरकार मेहनत रंग लाई. बेटे सौरभ कुमार ने कंपटीशन की तैयारी की और फिर उसे सफलता मिली."-तारकेश्वर शर्मा, सौरभ कुमार के पिता

बेंगलुरु में है बेटे की पोस्टिंग: आज सौरभ कुमार की पोस्टिंग बेंगलुरु में है. 15 रपये की दाढ़ी बनाने वाले तारकेश्वर को नाज है कि आज उनका बेटा ऑफिसर है और अच्छी वेतन भी उठा रहा है. सौरभ रक्षा मंत्रालय के डीआरडीओ में टेक्निकल इंजीनियर हैं. वहीं तारकेश्वर शर्मा बताते हैं कि एक पिता की मेहनत सफल हुई है. कम आमदनी के बीच बच्चों को पढ़ाया. निजी कोचिंग बेहतर रखी और मेरे बेटे ने मेरे सपनों को पूरा किया. किसी तरह से गुजारा करते हुए किराए पर सालों सैलून चलाते हुए उसे ऑफिसर बनने में सफलता मिली है. बता दें कि सौरभ पिछले साल ही वह ऑफिसर बना है. इसे लेकर पूरे परिवार में खुशी है.

"मेरा बेटा सौरभ कुमार ऑफिसर बना है. काफी हम लोग कष्ट झेले. बेटे को मुकाम तक पहुंचाया. बेटे को पढ़ाने के लिए काफी मेहनत की. काफी कष्ट झेला और अब झोली में खुुशी आई है. इसकी उन्हें ही नहीं पूरे परिवार को खुशी है. अब घर की हालत भी सुधरने लगी है."-रीता देवी, सौरभ कुमार की मां

पढ़ें-जानें, क्यों मनाया जाता है विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस - World Elder Abuse Awareness Day

फादर्स डे स्पेशल (ETV Bharat)

गया: दुनिया में कई ऐसे पिता है, जिन्होंने अपने बेटे की तकदीर संवारने के लिए काफी संघर्ष किया और उसे सफलता के मुकाम तक पहुंचाया है. ऐसे ही एक संघर्ष की कहानी बिहार के गया के तारकेश्वर शर्मा की है, जिन्होंने छोटे से सैलून से अपने बेटे को ऑफिसर बनाया. इसके लिए इस पिता के संघर्ष की कहानी हैरान करने वाला है. तारकेश्वर शर्मा की स्थिति ऐसी थी कि घर का गुजारा करना मुश्किल हो रहा था. पत्नी के जेवरात गिरवी रखने की नौबत थी लेकिन अपने बेटे की तकदीर संवारने के लिए उन्होंने गांव छोड़ा और शहर में छोटा सा सैलून कोला.

सैलून चलाकर बेटे को दिलाया मुकाम: अपने बेटे को ऑफिसर बनने का सपना संजोए तारकेश्वर लगातार संघर्ष करते रहे. 15 रुपये में दाढ़ी और 15 रूपये में बाल बनाने वाले तारकेश्वर आज उन सफल पिता की गिनती में है, जिन्होंने कठिन संघर्ष कर अपने बेटे को ऑफिसर बनाया. आज उनका बेटा रक्षा मंत्रालय में पोस्टेड है. जिस पर तारकेश्वर को गर्व है कि उसकी मेहनत रंग लाई.

गरीबी के बीच कट रही थी जिंदगी: गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड अंतर्गत चौआरा गांव के रहने वाले तारकेश्वर शर्मा की स्थिति काफी मुश्किल में कट रही थी. पूरा परिवार आर्थिक तंगी में था लेकिन तारकेश्वर शर्मा को लगन थी, कि वह अपने बेटे को ऑफिसर बनाएंगे. इस सपने को संजो कर उन्होंने गांव छोड़ा और गया शहर में आए. शहर के चांद चौरा मोहल्ले में एक छोटी सी गुमटी किराए पर ली और अपना पुश्तैनी काम शुरू कर मेहनत में जुट गए. उन्होंने सैलून चलाते हुए काफी मेहनत की. बेटे की पढ़ाई पैसे के कारण कभी प्रभावित नहीं होने दी.

Father's Day 2024
बेटे की सफलता से पूरे परिवार में खुशी (ETV Bharat)

अच्छी कोचिंग से मिली सफलता: तारकेश्वर शर्मा ने आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति में बेटे का नाम सरकारी स्कूल में लिखाया. बेटे सौरभ की पढ़ाई धीरे-धीरे बढ़ती चली गई. इस बीच बेटे ने भी अपने पिता के सपने को साकार करने की ठान ली थी. उसके पढ़ने की लगन ने तारकेश्वर शर्मा का हौसला बढाया. अच्छी निजी कोचिंग में दाखिला कराया, जिसके बाद सौरभ की मेधावी प्रतिभा में निखार आता चला गया.

"सरकारी मिडील स्कूल, जिला स्कूल के बाद गया कॉलेज से इंटर और पॉलिटेक्निक कॉलेज से इलेक्ट्रिकल में मेरे बेटे ने डिप्लोमा की डिग्री ली. जिसके बाद कंपटीशन की तैयारी करने लगा. निजी कोचिंग महंगी थी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. काफी मेहनत करके दिन- रात एक कर बेटे की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी और आखिरकार मेहनत रंग लाई. बेटे सौरभ कुमार ने कंपटीशन की तैयारी की और फिर उसे सफलता मिली."-तारकेश्वर शर्मा, सौरभ कुमार के पिता

बेंगलुरु में है बेटे की पोस्टिंग: आज सौरभ कुमार की पोस्टिंग बेंगलुरु में है. 15 रपये की दाढ़ी बनाने वाले तारकेश्वर को नाज है कि आज उनका बेटा ऑफिसर है और अच्छी वेतन भी उठा रहा है. सौरभ रक्षा मंत्रालय के डीआरडीओ में टेक्निकल इंजीनियर हैं. वहीं तारकेश्वर शर्मा बताते हैं कि एक पिता की मेहनत सफल हुई है. कम आमदनी के बीच बच्चों को पढ़ाया. निजी कोचिंग बेहतर रखी और मेरे बेटे ने मेरे सपनों को पूरा किया. किसी तरह से गुजारा करते हुए किराए पर सालों सैलून चलाते हुए उसे ऑफिसर बनने में सफलता मिली है. बता दें कि सौरभ पिछले साल ही वह ऑफिसर बना है. इसे लेकर पूरे परिवार में खुशी है.

"मेरा बेटा सौरभ कुमार ऑफिसर बना है. काफी हम लोग कष्ट झेले. बेटे को मुकाम तक पहुंचाया. बेटे को पढ़ाने के लिए काफी मेहनत की. काफी कष्ट झेला और अब झोली में खुुशी आई है. इसकी उन्हें ही नहीं पूरे परिवार को खुशी है. अब घर की हालत भी सुधरने लगी है."-रीता देवी, सौरभ कुमार की मां

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