चित्रकूट: सरकारी योजना का लाभ दिलाने के बहाने नवजात शिशु का अपहरण करने के मामले में पुलिस ने 3 दिनो के बाद 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर खुलासा कर दिया है. बच्ची के अपहरण में पिता ही शामिल था. जिसने डेढ़ लाख रुपये में सौदा किया था. लेकिन पैसा नहीं मिलने पर पुलिस के पास पहुंच गया और अपहरण की झूठी कहानी बताकर केस दर्ज कराया था.
मारकुंडी थाना क्षेत्र के डोडा माफी गांव निवासी सुनील ने पुलिस को बताया था कि 10 अक्टूबर को वह पत्नी का प्रसव कराने के लिए मानिकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य ले जाने के लिए टिकरिया रेलवे स्टेशन पहुंचा था. जहां पत्नी को अधिक प्रसव पीड़ा होने के चलते ट्रेन से न ले जाकर पास में रह रही अपनी बहन के घर ले गया. जहां पत्नी ने बच्ची को जन्म दिया था.
अगले दिन कार सवार कुछ लोग उसके बहन के घर आए और नवजात बच्ची को सरकारी योजना के लाभ के तहत उसे 50 हजार का अनुदान दिलाने के नाम पर उसका रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उसकी बच्ची और उसे शहर ले आए. शहर में फोटो कॉपी कराने के नाम पर उसे कार से उतार कर बच्ची लेकर फरार हो गए. सुनील की शिकायत पर मारकुंडी थाना पुलिस ने अपहरण का मुकदमा दर्ज किया था. एसपी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि केस दर्ज कर पुलिस ने सीसीटीवी कैमरा खंगालना शुरू कर दिया. सीसीटीवी कैमरे की मदद से कार का नंबर पता चल गया था. जिससे संतोष सिंह को पकड़ कर जब पूछताछ की तो बच्ची के अपहरण की घटना का खुलासा हो गया.
पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि प्रयागराज के रहने वाले जसवंत प्रजापति को शादी के 8 साल बाद भी बच्चे नहीं हो रहे थे. जसवंत ने कौशांबी के रहने वाले झोला छाप डॉक्टर सुधीर सिंह से बच्ची को एडॉप्ट करवाने के लिए उससे बात कही थी. झोला छाप डॉक्टर सुधीर ने चित्रकूट के मानिकपुर CHC की आशा बहु गुड्डी देवी से बच्ची को एडॉप्ट कराने के लिए लगाया हुआ था. आशा बहु गुड्डी देवी ने डोडा माफी गांव निवासी सुनील से उसकी बच्ची को डेढ़ लाख में जसवंत प्रजापति को देने की बात कही थी. सुनील के तीन बेटा और तीन बेटी पहले से होने पर वह अपनी सातवीं संतान को डेढ़ लाख रुपए में देने का फैसला कर लिया. इसके साथ ही 10 हजार की एडवांस रकम भी ले लिया था.
एसपी ने बताया कि सुनील ने पत्नी के प्रसव होने के बाद अगले दिन बच्ची को टीका करण कराने के लिए बहाना बनाया और बच्ची को झोला छाप डॉक्टर सुधीर सिंह और जसवंत प्रजापति और आशा बहु गुड्डी देवी और ड्राइवर अमित के साथ शहर ले गया. यहां उसने बाकी पैसा मांगा तो उन्होंने एक नंबर दिया और कहा यह वक्ति से बात कर बाकी पैसा तुम्हे मिल जायेगा. जिसके बाद पिता को फोटो कॉपी कराने के लिए उसे गाड़ी से उतार दिया और बच्ची को लेकर फरार हो गए. जब पिता ने दिए गए नंबर पर पैसे के लिए फोन लगाया तो वह गलत नंबर निकला. इसके बाद पिता ने अपनी नवजात बच्ची के अपहरण की घटना की झूठी कहानी बनाकर पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.