साहिबगंजः एक घर, एक रिश्ता और दो अर्थी. जहां मृत्यु के बाद भी पिता-पुत्र का बंधन न टूट सका और न ही उनका साथ छूट सका. जी हां, एक ऐसा दिल की पिघला देने वाली घटना हुई है. साहिबगंज में सदर प्रखंड के डिहारी गांव में ऐसा वाकया पेश आया है. एक घर से पिता और पुत्र की अर्थी को एक साथ परिजनों और गांव वालों ने भारी मन के साथ कंधा दिया. पुत्र की मृत्यु की खबर सुनकर पिता ने सदमे में दम तोड़ दिया.
डिहारी गांव के रहने वाले 50 वर्षीय तपेश्वर यादव ने गुरूवार की शाम चार बजे मालदा अस्पताल के गेट पर दम तोड़ दिया. तपेश्वर को सांस फूलने की बीमारी थी. साहिबगंज से रेफर करने के बाद मालदा ले जाया गया था. पुत्र की मृत्यु की खबर सुनकर तपेश्वर के 80 वर्षीय पिता शिवजी यादव शोक में चले गए. परिजनों द्वारा मिर्जाचौकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, यहां से डाक्टर्स ने उन्हें रेफर कर दिया. फिर उन्हें साहिबगंज जिला सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डाक्टर्स ने जांच के बाद बताया कि उनके मुंह से झाग निकल रहा है, ब्रेन हेमरेज होने से दिमाग की नस फट गयी और उनकी हालत अत्यधिक गंभीर होने की बात भी कही. अस्पताल से मायूस होकर शिवाजी यादव को घर लाया और जहां शुक्रवार सुबह 5:30 बजे बुजुर्ग की मौत हो गई.
ग्रामीणों ने बताया कि शिवाजी यादव की मौत मालदा से उनके पुत्र का शव आने के पहले हो चुकी थी. एक साथ एक घर में दो लोगों की मौत सुनकर ग्रामीणों उनके घर पर उमड़ पड़े. ग्रामीणों ने बताया कि बुजुर्ग के चार पुत्रों में तपेश्वर सबसे बड़ा था, जो माता पिता को अपने साथ में रखता था. तपेश्वर भी शादीशुदा था, वे अपने पीछे बूढ़ी मां, पत्नी, और पुत्र व पुत्री को छोड़ गया. शिवाजी और तपेश्वर का परिवार खेती से अपना जीविकोपार्जन करते थे. परिजनों के द्वारा डिहारी के पास गोचर में नदी किनारे पिता और पुत्र का दाह संस्कार किया गया. इस घटना से गांव के लोगों का दिल पसीज गया है.
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