फतेहपुरः यूपी के फतेहपुर में गुमशुदगी का ऐसा मामला सामने आया है, जिसको सुनकर आप दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे. बकेवर थाना क्षेत्र के गुटैयाखेड़ा का रहने वाला महफूज़ आलम 12 साल की उम्र में साल 2010 में लापता हो गया था. परिजनों ने बेटे को सभी जगह खोजा, लेकिन पता नहीं चलने पर पुलिस को तहरीर दी. उस समय प्रशासन ने गुमशुदगी भी दर्ज करना मुनासिब नहीं समझा. दर-दर की ठोकरे खाने के बाद परिजनों को अंत में कोर्ट का सहारा लेना पड़ा. सोमवार को कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने देर रात 363 में मुकदमा दर्ज किया और कार्रवाई में जुट गई है.
बकेवर थाना क्षेत्र के गुटैयाखेड़ा के रहने वाले अली हसन (53) ने एफआईआर के माध्यम से बताया कि उनका 12 वर्षीय बेटा महफूज़ आलम 15 फरवरी 2010 को अचानक लापता हो गया था. काफी खोजबीन करने के बाद भी उसका कहीं पता नहीं चला. निराश होकर उन्होंने पुलिस को तहरीर दी लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. लगातार थाने के चक्कर काटने के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई तो पुलिस अधीक्षक को पत्र के माध्यम से सूचना दी, लेकिन वहां भी किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. अंत में कोर्ट का सहारा लेना पड़ा. बेटे महफूज़ आलम की याद में परिजनों का बुरा हाल हो गया है. दरवाजे की हर आहट पर परिजनों की आंखें सजल हो उठती हैं. 12 साल की उम्र में जो बेटा लापता हुआ था शायद अब वो 26 साल का नौजवान हो गया है. पुलिस की चौखट में नाक रगड़ते हुए पिता की कमर झुक गई है. लेकिन न्याय की मूर्ति नहीं पिघली. अंत में कोर्ट के आदेश के बाद थाने में मुकदमा दर्ज किया गया.
बकेवर थाना प्रभारी कांति सिंह ने बताया कि अली हसन का बेटा साल 2010 में मुंबई गया था फिर वहां से नहीं लौटा. जब इसकी छानबीन की गई तो जानकारी हुई की महफूज़ अपने दोस्तों से अभी भी बात करता है, लेकिन परिजनों से बातचीत नहीं होती है. परिजन इंश्योरेंस क्लेम के चलते ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तहरीर में मुंबई से गायब होने का जिक्र नहीं है. कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया है. आगे की जांच करते हुए विधिक कार्रवाई की जा रही है.
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