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पलामू के किसानों को नीलगाय की समस्या से मिलेगी निजात! ट्रेंकुलाइज कर नीलगाय को रेस्क्यू करने की तैयारी - Nilgai Problem In Jharkhand

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 10, 2024, 6:08 PM IST

Preparations to rescue nilgai in Palamu.झारखंड के किसानों को नीलगाय की समस्या से जल्द छुटकारा मिलने वाला है. इसके लिए पलामू टाइगर रिजर्व ने एक प्रस्ताव तैयार किया है. नीलगाय को रेस्क्यू करने की तैयारी है. इससे पलामू के किसानों को भी राहत मिलेगी.

Nilgai Problem In Jharkhand
पलामू टाइगर रिजर्व. (फोटो-ईटीवी भारत)

पलामूः किसानों के लिए नीलगाय एक बड़ी समस्या रही है.प्रतिवर्ष नीलगाय सैकड़ों एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाती है.नीलगाय के कारण बड़ी संख्या में किसान खेती भी छोड़ रहे हैं. नील की समस्या से निजात दिलाने के लिए किसानों ने कई स्तर पर अपनी आवाज उठाई थी.लोकसभा और विधानसभा में भी यह मामला उठाया गया था. अब वन विभाग ने नीलगाय के समस्या से किसानों को निजात दिलाने के लिए एक योजना तैयारी की है. नीलगाय को रेस्क्यू कर पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में भेजा जाएगा.नीलगाय को ट्रेंकुलाइज कर उनका रेस्क्यू किया जाएगा.

जानकारी देते पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष. (वीडियो-ईटीवी भारत)

नीलगाय को ट्रेंकुलाइज करने के लिए स्पेशल टीम को दी जा रही है ट्रेनिंग

पलामू टाइगर रिजर्व के एक स्पेशल टीम को वन्य जीव को ट्रेंकुलाइज करने की ट्रेनिंग देहरादून में दी जा रही है. पलामू टाइगर रिजर्व की एक टीम हैदराबाद में भी ट्रेंकुलाइज के तरीकों को सीख रही है. ट्रेनिंग लेने वाली टीम में 10 गार्ड और डॉक्टरों की टीम है. अगले 10 दिनों तक टीम देहरादून और हैदराबाद में ट्रेनिंग लेगी. ट्रेनिंग के बाद सभी एक्सपर्ट पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में तैनात किए जाएंगे.

नीलगाय समस्या को लेकर पलामू टाइगर रिजर्व ने तैयार किया है प्रस्तावः निदेशक

इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि नीलगाय के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है. इसे लेकर पलामू टाइगर रिजर्व में एक प्रस्ताव तैयार किया है. इस प्रस्ताव के तहत नीलगाय को रेस्क्यू कर पीटीआर के इलाके में छोड़ा जाएगा.नीलगाय को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू किया जाएगा.इस प्रस्ताव से किसानों को तो राहत मिलेगी ही, साथ ही वन्य जीवों को भी फायदा होगा.एक स्पेशल टीम वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून में ट्रेंकुलाइज को लेकर ट्रेनिंग ले रही है.

बिहार से सटे हुए इलाके में नीलगाय है बड़ी समस्या

नीलगाय बिहार से सटे हुए सीमावर्ती झारखंड के इलाके में किसानों के लिए बड़ी समस्या है. सोन और कोयल नदी के तटीय इलाके में सैकड़ों की संख्या में नीलगाय के झुंड मौजूद हैं. नीलगाय से हुसैनाबाद, हैदरनगर, मोहम्मदगंज, पांडू बिश्रामपुर, उंटारी रोड और मेदिनीनगर का इलाका सबसे अधिक प्रभावित है. यह सभी इलाके सोन और कोयल नदी के तटीय क्षेत्र में पड़ते हैं.नीलगाय का दायरा बढ़ता जा रहा है. नीलगाय के उत्पात के कारण इलाके के कई किसानों ने खेती बंद कर दी है. जबकि कई इलाकों में किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर दूसरी फसलों का उत्पादन करते हैं.

बोमा तकनीक को अपनाने की उठ चुकी है मांग

लोकसभा और विधानसभा में नीलगाय की समस्या के समाधान के लिए बोमा तकनीक को अपनाने की आवाज उठ चुकी है.दरअसल, बोमा तकनीक वी शेप में कार्य करता है.इसके तहत वन्य जीव का रेस्क्यू किया जाता है.एक्सपर्ट का कहना है कि नीलगाय काफी मजबूत होते हैं. बोमा तकनीक से रेस्क्यू करना चुनौतीपूर्ण है. इस तकनीक से रेस्क्यू करना खर्चीला भी है.

ये भी पढ़ें-

नीलगायों की समस्या पर प्रमंडलीय आयुक्त का अजीबो गरीब बयान, कहा- किसान उस चीज की खेती करें जो नीलगायों को पंसद नहीं

झारखंड में नीलगायों पर नियंत्रण की तैयारी, बोमा तकनीक इस्तेमाल करेगी झारखंड सरकार

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पलामूः किसानों के लिए नीलगाय एक बड़ी समस्या रही है.प्रतिवर्ष नीलगाय सैकड़ों एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाती है.नीलगाय के कारण बड़ी संख्या में किसान खेती भी छोड़ रहे हैं. नील की समस्या से निजात दिलाने के लिए किसानों ने कई स्तर पर अपनी आवाज उठाई थी.लोकसभा और विधानसभा में भी यह मामला उठाया गया था. अब वन विभाग ने नीलगाय के समस्या से किसानों को निजात दिलाने के लिए एक योजना तैयारी की है. नीलगाय को रेस्क्यू कर पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में भेजा जाएगा.नीलगाय को ट्रेंकुलाइज कर उनका रेस्क्यू किया जाएगा.

जानकारी देते पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष. (वीडियो-ईटीवी भारत)

नीलगाय को ट्रेंकुलाइज करने के लिए स्पेशल टीम को दी जा रही है ट्रेनिंग

पलामू टाइगर रिजर्व के एक स्पेशल टीम को वन्य जीव को ट्रेंकुलाइज करने की ट्रेनिंग देहरादून में दी जा रही है. पलामू टाइगर रिजर्व की एक टीम हैदराबाद में भी ट्रेंकुलाइज के तरीकों को सीख रही है. ट्रेनिंग लेने वाली टीम में 10 गार्ड और डॉक्टरों की टीम है. अगले 10 दिनों तक टीम देहरादून और हैदराबाद में ट्रेनिंग लेगी. ट्रेनिंग के बाद सभी एक्सपर्ट पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में तैनात किए जाएंगे.

नीलगाय समस्या को लेकर पलामू टाइगर रिजर्व ने तैयार किया है प्रस्तावः निदेशक

इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि नीलगाय के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है. इसे लेकर पलामू टाइगर रिजर्व में एक प्रस्ताव तैयार किया है. इस प्रस्ताव के तहत नीलगाय को रेस्क्यू कर पीटीआर के इलाके में छोड़ा जाएगा.नीलगाय को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू किया जाएगा.इस प्रस्ताव से किसानों को तो राहत मिलेगी ही, साथ ही वन्य जीवों को भी फायदा होगा.एक स्पेशल टीम वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून में ट्रेंकुलाइज को लेकर ट्रेनिंग ले रही है.

बिहार से सटे हुए इलाके में नीलगाय है बड़ी समस्या

नीलगाय बिहार से सटे हुए सीमावर्ती झारखंड के इलाके में किसानों के लिए बड़ी समस्या है. सोन और कोयल नदी के तटीय इलाके में सैकड़ों की संख्या में नीलगाय के झुंड मौजूद हैं. नीलगाय से हुसैनाबाद, हैदरनगर, मोहम्मदगंज, पांडू बिश्रामपुर, उंटारी रोड और मेदिनीनगर का इलाका सबसे अधिक प्रभावित है. यह सभी इलाके सोन और कोयल नदी के तटीय क्षेत्र में पड़ते हैं.नीलगाय का दायरा बढ़ता जा रहा है. नीलगाय के उत्पात के कारण इलाके के कई किसानों ने खेती बंद कर दी है. जबकि कई इलाकों में किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर दूसरी फसलों का उत्पादन करते हैं.

बोमा तकनीक को अपनाने की उठ चुकी है मांग

लोकसभा और विधानसभा में नीलगाय की समस्या के समाधान के लिए बोमा तकनीक को अपनाने की आवाज उठ चुकी है.दरअसल, बोमा तकनीक वी शेप में कार्य करता है.इसके तहत वन्य जीव का रेस्क्यू किया जाता है.एक्सपर्ट का कहना है कि नीलगाय काफी मजबूत होते हैं. बोमा तकनीक से रेस्क्यू करना चुनौतीपूर्ण है. इस तकनीक से रेस्क्यू करना खर्चीला भी है.

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