नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के मौके पर अगर 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में हुए किसानों के उपद्रवी ट्रैक्टर मार्च की बात ना की जाए तो ये उचित न होगा. आपको बता दें कि कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था. दिल्ली की सीमाओं पर इस दौरान किसान 378 दिन तक डटे रहे थे. किसान नेता राकेश टिकट की अगुवाई में गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों ने डेरा डाला था. किसानों ने आंदोलन के दौरान साफ कर दिया था कि जब तक कृषि कानून की वापसी नहीं होगी वे दिल्ली की सीमाओं को नहीं छोड़ेंगे.
ट्रैक्टर मार्च का हुआ था रिहर्सल
2020 के आखिर में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ. कानून की वापसी तक किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहे. 7 जनवरी 2021 को संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला. दरअसल किसानों ने आंदोलन शुरू होने के चंद हफ्ते बाद ही यह ऐलान कर दिया था कि 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर मार्च करेंगे. 7 जनवरी 2021 को निकाले गए ट्रैक्टर मार्च को किसानों ने 26 जनवरी को होने वाले किसान ट्रैक्टर मार्च का रिहर्सल बताया था.
सभी सीमाओं से निकला था रिहर्सल ट्रैक्टर मार्च
बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने 7 जनवरी 2021 को ट्रैक्टर मार्च निकाला. हजारों की संख्या में इस दौरान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं से ट्रैक्टर लेकर मार्च करते हुए किसान आगे बढ़े. ट्रैक्टरों से किसानों ने जय जवान जय किसान के नारे लगाए और ट्रैक्टरों पर तिरंगे झंडे लगाए. किसान नेता राकेश टिकैत की नेतृत्व में गाजीपुर बॉर्डर से किसानों का रिहर्सल वाला ट्रैक्टर मार्च निकाला.
26 जनवरी को बिगड़ा था माहौल
वक्त बीता और 26 जनवरी 2021 आई. सुबह दिन निकलने से पहले ही किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च की तैयारी शुरू कर दी थी. कई किसानों ने ट्रैक्टर के पीछे ट्रॉली पर कृषि संबंधित मॉडल तैयार किया जिसे किसानों ने झांकी बताया. सुबह करीब नौ बजे के बाद किसानों का जत्था ट्रैक्टर लेकर गाजीपुर बॉर्डर से दिल्ली की ओर निकल पड़ा. किसानों के ट्रैक्टर मार्च को मद्देनजर दिल्ली और यूपी पुलिस की भारी फोर्स तैनात की गई थी. दिल्ली पुलिस द्वारा अक्षरधाम के पास भारी बैरीकेटिंग कर कंटेनर लगाए गए थे. किसान ट्रैक्टर मार्च करते हुए दिल्ली में दाखिल हुए. अक्षरधाम पर लगी पुलिस की भारी-भारी कटिंग को किसानों ने ट्रैक्टरों से हटाया. इस बीच पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़े गए. लेकिन किसान उपद्रव मचाते हुए आईटीओ की तरफ पहुंच गए.
ये भी पढ़ें : गणतंत्र दिवस समारोह को लेकर इस बार विशेष सुरक्षा इंतजाम, 70 हजार जवान किए गए तैनात
धार्मिक झंडा फहराने की बात आई थी सामने
बड़ी संख्या में आईटीओ से किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली लाल किले की तरफ बढ़े. पुलिस के आला अधिकारियों ने किसानों को समझाने की पुरजोर कोशिश की, लाठी चार्ज भी किया गया .लेकिन किसान उपद्रव मचाते हुए लाल किले पहुंच गए. हालांकि इस दौरान सोशल मीडिया पर किसानों द्वारा लाल किले पर धार्मिक झंडा फैलाने की भी बात कही गई. कई घंटे मशक्कत के बाद दिल्ली पुलिस ने हालात पर काबू पायाा.
आम लोगों ने इसे बताया था काला दिन
सोशल मीडिया पर 26 जनवरी 2021 को यूजर्स ने भारत के लिए काला दिन बताया था. कई हफ्तों तक इसी मुद्दे पर बड़ी बहस चली थी. यह सब किसी आम दिन नहीं बल्कि गणतंत्र दिवस के दिन हुआ था. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि दिल्ली में होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड से ज्यादा चर्चा किसानों द्वारा निकल गए ट्रैक्टर मार्च का था.
378 दिन बाद घर लौटे थे किसान
केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून की वापसी के बाद 378 दिन चले आंदोलन को समाप्त कर किसान घरों को वापस लौट गए. जहां एक तरफ लोगों के जहन में किसान आंदोलन हमेशा जिंदा रहेगा तो वहीं दूसरी तरफ किसान आंदोलन की आड़ में लाल किले पर मचाई गए उपद्रव को भी भुलाना मुश्किल होगा.