कोटा. लहसुन उत्पादन में हाड़ौती देश में अग्रणी माना जाता है. बीते साल लहसुन उत्पादक किसानों को अच्छे दाम मिले थे. ऐसे में इस बार उन्होंने रकबा बढ़ाया है. इस बार उम्मीद की जा रही है कि लहसुन के मंडी में अच्छे दाम किसानों को मिलेंगे. वर्तमान में लहसुन के दाम जनवरी-फरवरी की अपेक्षा कम हो गए हैं, लेकिन बीते साल मार्च अप्रैल के मुकाबले लगभग दोगुने दाम मंडी में चल रहे हैं.
कोटा मंडी में लहसुन की ट्रेडिंग करने वाले ओमप्रकाश जैन का कहना है कि भारत में करीब 75 हजार क्विंटल यानी 1.5 लाख कट्टे लहसुन की रोज डिमांड है. इस बार इतनी अच्छी पैदावार नहीं होने के चलते लहसुन उपलब्ध भी नहीं है. मंडी में लहसुन की ट्रेडिंग से जुड़े राघव मूंदड़ा का कहना है कि बीते साल काफी अच्छी डिमांड होने के चलते पूरी पाइपलाइन खाली हो गई है. व्यापारियों के पास स्टॉक भी नहीं बचा है. लहसुन की डिमांड अभी भी जारी है. शुरुआत में मंडी में गीला लहसुन आ रहा था. इसके दाम काफी कम थे और व्यापारी भी उसे स्टॉक करना नहीं चाह रहे थे. वहीं, अब सूखा लहसुन आने लगा है. इसे व्यापारी भी आने वाले दिनों में स्टॉक करेंगे और बाद में बेचेंगे.
पढ़ें. सोना मजबूत और चांदी में गिरावट, आवक कम होने से सरसों में सुधार
बीते साल मार्च-अप्रैल से दोगुने हैं भाव : कृषि विपणन बोर्ड के संयुक्त निदेशक शशि शेखर शर्मा का कहना है कि कोटा की सेठ भामाशाह कृषि उपज मंडी में रोज करीब 3000 से 3500 क्विंटल लहसुन की आवक हो रही है. यह आवक लगातार बढ़ेगी. वर्तमान में किसानों को लहसुन के 7 से 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बीच दाम मिल रहे हैं. जिस दाम पर सबसे ज्यादा लहसुन बिकता है, उसे मॉडल भाव कहा जाता है. यह दाम 9500 रुपए प्रति क्विंटल है. बीते साल साल मार्च-अप्रैल लहसुन का मॉडल भाव करीब 4000 के आसपास था. इस साल जनवरी 2024 में मॉडल भाव 20 से 30 हजार प्रति क्विंटल पहुंच गया था, लेकिन मंडी में माल नहीं मिल रहा था. शशि शेखर शर्मा का कहना है कि जनवरी में जहां पर मॉडल दाम 20 से 30 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बीच थे, अब यह दाम कम होकर आधे रह गए हैं. वर्तमान में किसानों को 7 से 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है. हालांकि, उच्च क्वालिटी लहसुन 15 हजार रुपए प्रति क्विंटल से भी ज्यादा दाम पर बिक रहा है.
पैदावार अच्छी नहीं, इसलिए भी बढ़े रहेंगे दम : मंडी व्यापारी ओमप्रकाश जैन का कहना है कि बाजार इस साल भी तेज रहेगा, क्योंकि फसल काफी खराब हो गई है. रकबा बीते साल से जरूर बढ़ गया है, लेकिन पैदावार कम है. जितने लोगों को खाने की जरूरत है, उतना उत्पादन नहीं है. देश में डेढ़ लाख के आसपास प्रति क्विंटल प्रति घंटे की खपत है, लेकिन इतनी पैदावार नहीं है. स्टॉक के लायक भी माल अभी नहीं आ रहा है. जितना अच्छा माल सीजन के बाद में किसानों के पास होगा, उतने ही अच्छे दाम उन्हें मिलेंगे.
निर्यात पर छूट का भी मिलेगा फायदा : ओमप्रकाश जैन का कहना है कि इस साल भी लग रहा है कि अंत में 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल भाव आ सकता है. हालांकि, इस पर सरकार की पॉलिसी क्या रहेगी, उसपर ही निर्भर करता है. सरकार चुनावी मोड पर है. ऐसे में निर्यात पर छूट मिलता है तो बाजार आसमान छू जाएगा. बीते साल काफी माल बांग्लादेश गया था. मलेशिया में भी भारत का लहसुन भेजा गया था. इस बार थोड़ा-थोड़ा माल बांग्लादेश जा रहा है. यह माल वेस्ट बंगाल के रास्ते से ट्रकों के जरिए भेजा जा रहा है. वहां पर मीडियम साइज के लहसुन की डिमांड होती है, इसीलिए बाजार में भी इसी लहसुन की मांग बढ़ी हुई है.
पढ़ें. लहसुन के भाव पहुंचे आसमान पर, डिमांड बढ़ी लेकिन किसानों के पास खत्म हुआ स्टॉक
बीते 20 दिनों में बढ़े 3 से 4 हजार रुपए : व्यापारी राघव मूंदड़ा का कहना है कि इस साल भी लहसुन के भाव काफी अच्छे हैं. मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में लंबे समय तक मंडियां बंद हैं, ऐसे में एक्सपोर्ट का भी सपोर्ट मिल रहा है. शुरुआत में अच्छी क्वालिटी का लहसुन 9 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा था. 15 से 20 मार्च के बीच में इसकी अच्छी ट्रेडिंग की थी, लेकिन रोज दामों में इजाफा हो रहा है. इसको देखते हुए 20 दिन में ही अच्छी क्वालिटी के लहसुन के दाम 13 से 14 हजार रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गए हैं. यह भाव करीब 3 से 4 हजार प्रति क्विंटल बढ़े हैं.
अच्छे प्रॉफिट के चलते व्यापारी और स्टॉकिस्ट करेंगे स्टॉक : राघव मूंदड़ा का कहना है कि पिछले साल भी स्टॉकिस्ट और व्यापारियों को काफी फायदा लहसुन के स्टॉक करने पर हुआ था. उन्होंने शुरुआत में 5000 रुपए प्रति क्विंटल का लहसुन स्टॉक किया, बाद में मंडी में लहसुन का दाम 30,000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया था. इस बार भी स्टॉकिस्ट और व्यापारी अच्छा माल स्टॉक करने का मन बना चुके हैं, ताकि उसे बेचकर या ट्रेडिंग कर अच्छा मुनाफा कमा सकें. इस बार हर मंडी में प्रॉफिट नजर आ रहा है, इसलिए कॉन्फिडेंस भी बढ़ रहा है. मई व जून के महीने में कुछ उतार चढ़ाव नजर आ सकते हैं, लेकिन साल के अंत तक मंडी में आवक कम होने पर किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे और व्यापारियों को भी फायदा होगा.
आठ दिन बंद रहेगी एमपी की मंडी : मध्य प्रदेश के लहसुन उत्पादक किसान भी अपनी फसल को लेकर कोटा में बेचने के लिए आते हैं. इसके अलावा बारां और छीपाबड़ौद की मंडी में भी माल को लेकर जाते हैं. मध्य प्रदेश में आगामी अप्रैल महीने में 1 से लेकर 9 अप्रैल के बीच आठ दिन मंडी बंद रहेगी. इनमें मंदसौर, नीमच और इंदौर की मंडी शामिल हैं. इसका फायदा राजस्थान की मंडियों को मिलेगा और किसान अपने माल को लेकर यहां पर आएगा. बाहर के खरीददारों की डिमांड कोटा और राजस्थान के अन्य मंडियों में शिफ्ट हो जाएगी. इसके चलते मंडी में किसानों को बढ़े हुए दाम भी मिल सकते हैं.