ETV Bharat / state

किसान ऐसे सरसों की खेती कर कमा सकते हैं ज्यादा मुनाफा, जानिए एक्सपर्ट की राय

छत्तीसगढ़ के किसान सरसों की खेती इस तकनीक से करें, तो वह अधिक उत्पादन के साथ ही ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

MUSTARD CULTIVATION
सरसों की खेती (ETV Bharat Chhattisgarh)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 12, 2024, 5:30 PM IST

रायपुर : तिलहनी की फसलों में सरसों का एक महत्वपूर्ण स्थान है. पूरे देश की बात करें तो तिलहन की खेती में मूंगफली के बाद सरसों की फसल दूसरे नंबर सबसे अधिक की जाती है. छत्तीसगढ़ में किसान सरसों की खेती कर रहे हैं और तिलहनी फसल के रूप में सरसों से तेल भी निकाला जा रहा है.

ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसानों यदि सरसों की खेती कर रहे हैं तो उन्हें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. जैसे कौन सी किस्म अधिक उत्पादन के साथ अधिक मुनाफा देगी, मौसम कैसा हो, खेती की तकनीक कौन सा अपनाना चाहिए आदि. इन सभी सवालों के जबाव जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय रायपुर के कुल सचिव आरएल खरे से खास बात की है.

सरसों की खेती से कमा सकते हैं ज्यादा मुनाफा (ETV Bharat Chhattisgarh)

ऐसी मिट्टी में करें सरसों की खेती : महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुल सचिव आरएल खरे ने बताया कि रबी की फसल में सरसों की खेती की जाती है. सरसों की खेती चने के साथ मिक्स खेती के रूप में भी कर सकते हैं. ऐसा करने से सरसों का रिजल्ट भी अच्छा मिलता है. सरसों की खेती करने के लिए काली या कन्हार मिट्टी को उपयुक्त माना गया है.

सरसों के खेती की पिचिंग विधि : सरसों के बीज का उपयोग करने के साथ ही सिंचाई पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है. प्रति एकड़ क्षेत्र में 2 किलोग्राम सरसों का बीज लगाते हैं तो उपयुक्त माना जाता है. सरसों का बीज लगाते समय पैकिंग विधि का इस्तेमाल करने से सरसों की अच्छी खेती हो सकती है.

प्रदेश के किसानों को सरसों की खेती करते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि इसकी खेती ज्यादा घनी नहीं होनी चाहिए. सरसों अगर अलग-अलग होता है तो उसकी शाखाएं भी अधिक निकलती है. अच्छा उत्पादन लेना है और अच्छा फसल पाना है तो पिचिंग विधि से फसल लगाना चाहिए. : आरएल खरे, कुल सचिव, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय रायपुर

सरसों के सही किस्म का चयन जरूरी : सरसों की खेती करने के लिए प्रदेश के किसानों को सरसों के सही किस्म का चयन करना भी जरूरी होता है. सरसों की खेती करते समय पूसा जय किशन और पूसा बोल्ड जैसी किस्म लगाकर प्रदेश के किसान अधिक उत्पादन ले सकते हैं, इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिलेगा. इन किस्मों को लगाकर प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल सरसों का उत्पादन ले सकते हैं.

यदि किसान इन सब चीजों का प्रबंधन अच्छे से करते हैं तो सरसों की खेती से अधिक उत्पादन पा सकते हैं. सरसों के बीज में 30 से लेकर 40 फीसदी तक तेल पाया जाता है. देश में सरसों तेल का आयात होता है. अगर अधिक मात्रा में सरसों की पैदावार होती है तो देश को सरसों तेल आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

वन रक्षकों से मारपीट युवक को पड़ा महंगा, अवैध घर को किया जमींदोज
बलि देकर तंत्र मंत्र से खजाना खोजने अंबिकापुर से कोरबा पहुंचे 5 लोग
हाथियों का बड़ा दल पहुंचा कांकेर बॉर्डर, ड्रोन में एक दो नहीं बल्कि इतने दंतैल आए नजर

रायपुर : तिलहनी की फसलों में सरसों का एक महत्वपूर्ण स्थान है. पूरे देश की बात करें तो तिलहन की खेती में मूंगफली के बाद सरसों की फसल दूसरे नंबर सबसे अधिक की जाती है. छत्तीसगढ़ में किसान सरसों की खेती कर रहे हैं और तिलहनी फसल के रूप में सरसों से तेल भी निकाला जा रहा है.

ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसानों यदि सरसों की खेती कर रहे हैं तो उन्हें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. जैसे कौन सी किस्म अधिक उत्पादन के साथ अधिक मुनाफा देगी, मौसम कैसा हो, खेती की तकनीक कौन सा अपनाना चाहिए आदि. इन सभी सवालों के जबाव जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय रायपुर के कुल सचिव आरएल खरे से खास बात की है.

सरसों की खेती से कमा सकते हैं ज्यादा मुनाफा (ETV Bharat Chhattisgarh)

ऐसी मिट्टी में करें सरसों की खेती : महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुल सचिव आरएल खरे ने बताया कि रबी की फसल में सरसों की खेती की जाती है. सरसों की खेती चने के साथ मिक्स खेती के रूप में भी कर सकते हैं. ऐसा करने से सरसों का रिजल्ट भी अच्छा मिलता है. सरसों की खेती करने के लिए काली या कन्हार मिट्टी को उपयुक्त माना गया है.

सरसों के खेती की पिचिंग विधि : सरसों के बीज का उपयोग करने के साथ ही सिंचाई पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है. प्रति एकड़ क्षेत्र में 2 किलोग्राम सरसों का बीज लगाते हैं तो उपयुक्त माना जाता है. सरसों का बीज लगाते समय पैकिंग विधि का इस्तेमाल करने से सरसों की अच्छी खेती हो सकती है.

प्रदेश के किसानों को सरसों की खेती करते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि इसकी खेती ज्यादा घनी नहीं होनी चाहिए. सरसों अगर अलग-अलग होता है तो उसकी शाखाएं भी अधिक निकलती है. अच्छा उत्पादन लेना है और अच्छा फसल पाना है तो पिचिंग विधि से फसल लगाना चाहिए. : आरएल खरे, कुल सचिव, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय रायपुर

सरसों के सही किस्म का चयन जरूरी : सरसों की खेती करने के लिए प्रदेश के किसानों को सरसों के सही किस्म का चयन करना भी जरूरी होता है. सरसों की खेती करते समय पूसा जय किशन और पूसा बोल्ड जैसी किस्म लगाकर प्रदेश के किसान अधिक उत्पादन ले सकते हैं, इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिलेगा. इन किस्मों को लगाकर प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल सरसों का उत्पादन ले सकते हैं.

यदि किसान इन सब चीजों का प्रबंधन अच्छे से करते हैं तो सरसों की खेती से अधिक उत्पादन पा सकते हैं. सरसों के बीज में 30 से लेकर 40 फीसदी तक तेल पाया जाता है. देश में सरसों तेल का आयात होता है. अगर अधिक मात्रा में सरसों की पैदावार होती है तो देश को सरसों तेल आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

वन रक्षकों से मारपीट युवक को पड़ा महंगा, अवैध घर को किया जमींदोज
बलि देकर तंत्र मंत्र से खजाना खोजने अंबिकापुर से कोरबा पहुंचे 5 लोग
हाथियों का बड़ा दल पहुंचा कांकेर बॉर्डर, ड्रोन में एक दो नहीं बल्कि इतने दंतैल आए नजर
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.