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लखनऊ में जमीन कब्जा करने पहुंची एयरपोर्ट प्रशासन की टीम-पुलिस से किसानों की झड़प, जमकर नारेबाजी - Protest against land acquisition - PROTEST AGAINST LAND ACQUISITION

लखनऊ एयरपोर्ट प्रशासन की टीम सोमवार को भारी पुलिस बल के साथ रहीमाबाद, बेहसा तथा भक्ति खेड़ा आदि गांवों में स्थित जमीन पर बाउंड्री वॉल कराने पहुंची, लेकिन इस दौरान किसानों ने विरोध शुरू कर दिया.

लखनऊ में जमीन कब्जा करने का विरोध.
लखनऊ में जमीन कब्जा करने का विरोध. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 30, 2024, 4:02 PM IST

लखनऊ : लखनऊ एयरपोर्ट प्रशासन की टीम सोमवार को भारी पुलिस बल के साथ रहीमाबाद, बेहसा तथा भक्ति खेड़ा आदि गांवों में स्थित जमीन पर बाउंड्री वॉल कराने पहुंची, लेकिन इस दौरान किसानों ने विरोध शुरू कर दिया. जमकर नारेबाजी हुई. मौके पर पहुंचे एसडीएम ने किसानों को समझाया. साथ ही अभी 15 अक्टूबर तक का समय दोनों पक्षों को दिया गया है. दोनों पक्षों से अपने-अपने दस्तावेज दिखाने के लिए कहा गया है. इससे पहले बड़ी संख्या में जमा किसानों तथा प्रशासन के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई.

लखनऊ में जमीन कब्जा करने का विरोध. (Video Credit; ETV Bharat)

किसान नेता हरिश्चंद्र के मुताबिक अमौसी एयरपोर्ट प्रशासन की ओर से बेहसा, भक्तिखेड़ा, रहीमाबाद आदि गांवों की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए वर्ष 1948 व 1951 में नोटिफिकेशन किया गया था. जिसमें मुख्य एयरपोर्ट बनाने के लिए कुछ किसानों की जमीनों का उन्हें मुआवजा देकर कब्जा लिया गया और एयरपोर्ट का निर्माण किया गया. जबकि अधिकांश किसानों की भूमि का मुआवजा भुगतान अभी तक नहीं किया गया. न ही किसानों की जमीन पर एयरपोर्ट द्वारा कब्जा लिया गया. वर्ष 1951 से किसान अब भी अपनी जमीन पर काबिज रहकर खेती कर रहे हैं. वर्ष 2010 में बिना प्रतिकर का भुगतान किए ही किसानों की जमीन जिला प्रशासन की मिलीभगत से एयरपोर्ट अथॉरिटी के नाम कर दी गई.

इसकी जानकारी होने पर किसानों व संगठन ने कई बार जिला प्रशासन, एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों से भूमि स्थानांतरित करने के आदेश की जानकारी चाही. लेकिन जिला प्रशासन और एयरपोर्ट अथॉरिटी अब तक कोई जानकारी नहीं दे सका. उधर, किसानों के प्रदर्शन के करीब 3 घंटे बाद सरोजिनी नगर एसडीएम सचिन वर्मा मौके पर पहुंचे. किसानों से बातचीत कर समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसानों ने उनकी बात नहीं मानी. धरना-प्रदर्शन जारी रहा. किसानों ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन यदि चाहे तो उनको इंसाफ मिल सकता है, लेकिन वह एयरपोर्ट प्रशासन के साथ मिला हुआ है, जिसकी वजह से किसानों को न्याय नहीं मिल पा रहा है.

यह भी पढ़ें : कानपुर के पास पटरी पर फिर मिला सिलेंडर, पुष्पक एक्सप्रेस के लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोकी ट्रेन - Cylinder found on tracks in Kanpur

लखनऊ : लखनऊ एयरपोर्ट प्रशासन की टीम सोमवार को भारी पुलिस बल के साथ रहीमाबाद, बेहसा तथा भक्ति खेड़ा आदि गांवों में स्थित जमीन पर बाउंड्री वॉल कराने पहुंची, लेकिन इस दौरान किसानों ने विरोध शुरू कर दिया. जमकर नारेबाजी हुई. मौके पर पहुंचे एसडीएम ने किसानों को समझाया. साथ ही अभी 15 अक्टूबर तक का समय दोनों पक्षों को दिया गया है. दोनों पक्षों से अपने-अपने दस्तावेज दिखाने के लिए कहा गया है. इससे पहले बड़ी संख्या में जमा किसानों तथा प्रशासन के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई.

लखनऊ में जमीन कब्जा करने का विरोध. (Video Credit; ETV Bharat)

किसान नेता हरिश्चंद्र के मुताबिक अमौसी एयरपोर्ट प्रशासन की ओर से बेहसा, भक्तिखेड़ा, रहीमाबाद आदि गांवों की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए वर्ष 1948 व 1951 में नोटिफिकेशन किया गया था. जिसमें मुख्य एयरपोर्ट बनाने के लिए कुछ किसानों की जमीनों का उन्हें मुआवजा देकर कब्जा लिया गया और एयरपोर्ट का निर्माण किया गया. जबकि अधिकांश किसानों की भूमि का मुआवजा भुगतान अभी तक नहीं किया गया. न ही किसानों की जमीन पर एयरपोर्ट द्वारा कब्जा लिया गया. वर्ष 1951 से किसान अब भी अपनी जमीन पर काबिज रहकर खेती कर रहे हैं. वर्ष 2010 में बिना प्रतिकर का भुगतान किए ही किसानों की जमीन जिला प्रशासन की मिलीभगत से एयरपोर्ट अथॉरिटी के नाम कर दी गई.

इसकी जानकारी होने पर किसानों व संगठन ने कई बार जिला प्रशासन, एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों से भूमि स्थानांतरित करने के आदेश की जानकारी चाही. लेकिन जिला प्रशासन और एयरपोर्ट अथॉरिटी अब तक कोई जानकारी नहीं दे सका. उधर, किसानों के प्रदर्शन के करीब 3 घंटे बाद सरोजिनी नगर एसडीएम सचिन वर्मा मौके पर पहुंचे. किसानों से बातचीत कर समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसानों ने उनकी बात नहीं मानी. धरना-प्रदर्शन जारी रहा. किसानों ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन यदि चाहे तो उनको इंसाफ मिल सकता है, लेकिन वह एयरपोर्ट प्रशासन के साथ मिला हुआ है, जिसकी वजह से किसानों को न्याय नहीं मिल पा रहा है.

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