मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए समर्थन नूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत कर दी है. लेकिन कई जिलों के उपार्जन केंद्रों में भारी अव्यवस्थाएं नजर आ रही हैं. दूरस्थ गांवों के किसान जैसे पैरेवाडोल, जुइली, करवा, देवगढ़ खोह, रुसनी, ढाबतुमाड़ी, बघेल, बड़गांवकला, मनियारी और सादन टोला के किसान अब तक टोकन के अभाव में धान बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
किसानों पर दोहरी मेहनत का बोझ : जिले के ढाबतुमाड़ी निवासी किसान छोटेलाल सिंह का कहना है कि धान की कटाई और कुटाई अभी जारी है. इसे पूरा करने में कम से कम 15 दिन लगेंगे. बावजूद इसके उन्हें धान बेचने का टोकन नहीं मिल रहा है. रांपा उपार्जन केंद्र में टोकन काटने के लिए आए किसान सुबह ले लाइन में लगे हैं, लेकिन अब तक उन्हें टोकन नहीं मिला है.
मैं सुबह से यहां खड़ा हूं, लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर की कमी के चलते टोकन नहीं कट सका है. : चंद्र प्रताप, किसान
टोकन न मिलने से किसानों में नाराजगी : भरतपुर और मैनपुर जैसे वनांचल क्षेत्रों के उपार्जन केंद्रों में व्यवस्थाओं की कमी का सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है. मनियारी और घधरा के किसानों का कहना है कि कई किसान यहां घंटों से लाइन में खड़े हैं, लेकिन ऑपरेटर न होने की वजह से उनका टोकन कट नहीं पा रहा हैं.
हमें धान बेचने के लिए टोकन मुश्किल से मिल रहा है. केंद्रों में अव्यवस्था के चलते हमारी फसल की कीमत समय पर मिलना मुश्किल हो गया है. : बृजेश कुमार, किसान
"अधिकारियों ने नहीं किया निरीक्षण" : समिति प्रबंधक अरविंद कुमार पांडे ने बताया कि वे हाल ही में यहां नियुक्त हुए हैं. लेकिन आवश्यक मजदूर और ऑपरेटर की कमी के कारण टोकन कटाई और अन्य प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि अधिकारियों ने उपार्जन केंद्रों का वास्तविक निरीक्षण नहीं किया, जिसकी वजह से यहां किसानों को समस्याओं का सामाना करना पड़ रहा है.
धान उपार्जन केंद्रों में टोकन लेने के लिए किसान अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि क्या जिला प्रशासन जल्द ही इन अव्यवस्थाओं को दूर कर पाता है या फिर किसानों को धान बेचने के लिए ऐसे ही जूझना पड़ेगा.