चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसानों ने बीजेपी के सरकार में लौटने की हैट्रिक पर पानी फेरने की तैयारी कर ली है. ये विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल चुनाव है. 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद पार्टी को सरकार विरोधी लहर ले जूझना पड़ रहा है. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल किसान बने हुए हैं. तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों की नाराजगी और लगातार चल रहे उनके आंदोलन से बीजेपी अभी तक नहीं उबर पाई है. हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच भी किसानों बीजेपी के खिलाफ आंदोलन का ऐलान करके उसकी मुश्किल बढ़ा दी है.
वोटिंग से पहले रेल ट्रैक जाम करने का ऐलान
हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का मतदान है. किसान संगठनों ने उससे पहले 3 अक्टूबर को बीजेपी के खिलाफ पूरे देश में रेल ट्रैक जाम करने की घोषणा कर दी है. 22 सितंबर को कुरुक्षेत्र की पीपली अनाजमंडी में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) गैर राजनीतिक की महापंचायत हुई. इसी महापंचायत में बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का ऐलान किया गया. महापंचायत में सरवन सिंह पंढेर, जगजीत सिंह दल्लेवाल, अमरजीत सिंह मोहड़ी सहित बड़ी संख्या में हरियाणा और पंजाब के किसान शामिल हुए थे. चुनाव के बीच किसानों का ऐलान बीजेपी के लिए मुसीबत साबित हो सकता है. बीजेपी नेता किसानों के गुस्से का पहले ही सामना कर रहे हैं. 3 अक्टूबर को हरियाणा में चुनाव प्रचार खत्म हो जायेगा और 5 को वोटिंग होगी.
सरकार से बदला लेने का समय- पंढेर
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा की हरियाणा भर में किसानों की महापंचायत की जा रही है. भाजपा सरकार ने जिस प्रकार से अत्याचार किसानों पर किए हैं, अब हरियाणा में इसका बदला लेने का समय आ गया है. हम पूरे हरियाणा में पंचायत करके हरियाणा के किसानों को याद दिला रहे हैं किस प्रकार से किसानों पर बल का प्रयोग किया गया और किस तरह से किसान शहीद हुए.
3 अक्टूबर को 2 घंटे करेंगे रेलवे ट्रैक जाम
पंढेर ने कहा कि किसान आंदोलन को और ज्यादा तेज करने के लिए महापंचायत में आए हुए सभी किसान नेताओं ने फैसला किया है कि 3 अक्टूबर को भारत भर में 2 घंटे के लिए रेलवे ट्रैक जाम किए जाएंगे. आने वाले समय में आंदोलन को और भी गति दी जाएगी.
हरियाणा में किसानों का न्याय मार्च
एसकेएम के रेल ट्रैक जाम करने के अलावा बीजेपी के खिलाफ पूरे हरियाणा में किसान न्याय मार्च कर रहे हैं. भारतीय किसान एकता संघ ने 18 सितंबर से सिरसा के डबवाली से इसका ऐलान कर दिया है. किसान पूरे प्रदेश में बीजेपी सरकार के खिलाफ अभियान चलायेंगे उनके खिलाफ वोट की अपील करेंगे. हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर अभी किसान बैठे हैं. दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए सरकार बॉर्डर को दीवार उठाकर सील कर दिया है.
किसान आंदोलन से निपटने के लिए बीजेपी की रणनीति
बीजेपी ने किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए विशेष मुहिम भी चलाने की रणनीति बनाई है. बताया जा रहा है कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए घर-घर जाकर किसानों को सरकार के काम के बारे में बतायेंगे. हरियाणा में किसान बहुत बड़ा वोट बैंक है. लोकसभा चुनाव में भी उनकी नाराजगी से पार्टी को 5 सीटों का नुकसान हुआ था. वहीं दो सीटों बहुत कम अंतर से जीत पाई थी. इसी के चलते पार्टी अब किसानों को लुभाने के लिए खास रणनीति पर काम कर रही है ताकि हरियाणा में सत्ता की हैट्रिक लगाई जा सके.
किसानों को लेकर पीएम मोदी ने हरियाणा में क्या कहा?
हरियाणा में पीएम मोदी समेत बीजेपी के दिग्गज नेता किसानों को लुभाने के लिए तमाम दावे और वादे कर रहे हैं. पीएम ने अपनी रैलियों में कहा कि हम किसानों के हक में बड़े फैसले ले रहे हैं. तीसरी पारी के सौ दिनों में ही हमारी सरकार ने किसानों के लिए अनेक बड़े फैसले किए हैं. हमारी भाजपा सरकार ने हरियाणा में 24 फसलें एमएसपी पर खरीदने का फैसला किया है. मोदी ने आगे कहा कि उद्योगों के विस्तार से किसानों का जीवन भी बेहतर होता है. किसान के परिवार में भी अच्छी नौकरियां मिलती हैं. औद्योगीकरण का सबसे ज्यादा फायदा गरीब, किसान, दलित को होता है.
- इसमें कोई शक नहीं है कि इसका हरियाणा विधानसभा चुनाव में असर पड़ेगा. हो सकता है इस बीच किसानों के साथ सरकार कोई बातचीत भी कर ले. शायद उससे मसले का कोी समाधान भी निकल आए. बीजेपी का किसान लगातार विरोध कर रहे हैं. इसका प्रभाव चुनाव पर काफी हद तक देखने को मिल सकता है. खासतौर से ग्रामीण इलाकों में इसका ज्यादा असर देखने को मिल सकता है. हलांकि इसका कितना असर होगा इसका आंकलन तो चुनावी नतीजे के बाद ही हो पाएगा. राजेश मोदगिल, वरिष्ठ पत्रकार