फरीदाबाद: अरावली पहाड़ियों के खूबसूरत वादियों के बीच 7 फरवरी से चल रहे अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले का रविवार को विधिवत समापन हो गया. अंतिम दिन विभिन्न वर्ग के विजेताओं को मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के हाथों पुरस्कार मिला. 38 सालों से आयोजित होने वाले इस मेले में 2025 में रिकार्ड 18 लाख पर्यटक शामिल हुए. समापन समारोह में हरियाणा के टूरिज्म मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल और राज्य मंत्री राजेश नागर मुख्य रूप से उपस्थित थे.
हर कलाकार को मेले में मिलता है एक नया मंच: मेले में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि "मैं इस मेले में 11 सालों से शिरकत कर रहा हूं. अब यह मेला भव्य रूप ले चुका है. देश-विदेश में इस मेले को लोग जानते हैं. इस मेले की खासियत है कि इसमें हर कलाकार को एक नया मंच मिलता है. देश दुनिया तक अपनी कला को पहुंचाने का मौका मिलता है और मुझे इस बात की खुशी है कि इस मेले में इस बार दो राज्य स्टेट पार्टनर के तौर पर शिरकत की, जिसमें ओडिशा और मध्य प्रदेश शामिल रहा."
इस बार ज्यादा पर्यटक हुए शामिल : केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि इस मेले में बिम्सटेक जो एक सात देशों का आर्थिक सहयोग संगठन है, उसने कंट्री पार्टनर के तौर पर मेले में शिरकत की. इस बार बीते सालों के मुकाबले काफी ज्यादा पर्यटक शामिल हुए. हालांकि हर बार 1 तारीख से इस मेले की शुरुआत होती थी लेकिन इस बार इसके तारीखों में बदलाव किया गया, ताकि मेले के दौरान ज्यादा वीकेंड पर लोग इस मेले में घूमने आ सकें.
18 लाख पर्यटक आए मेले में : कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टूरिज्म मंत्री डॉ. रविंद्र शर्मा ने कहा कि यह सूरजकुंड मेला किसी परिचय का मोहताज नहीं है. ये एक ऐसा संगम है, जहां पर हस्तशिल्प कलाकारों को एक नया मंच मिलता है. इस मेले में देश ही नहीं विदेशों से कलाकार शामिल होते हैं, जो अपनी कला से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. डॉ. रविंद्र शर्मा ने कहा कि 2024 में लगे इस मेले में लगभग 13 लाख पर्यटक शामिल हुए थे. वहीं, इस बार 18 लाख पर्यटक मेले में शामिल हुए हैं.
38 सालों से लग रहा है सूरजकुंड मेला: डॉ. रविंद्र शर्मा ने कहा कि ये इस बात को दर्शाता है कि देश और विदेश में सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेले की एक अलग पहचान है. आने वाले समय में इस मेल को और भव्य रूप से मनाया जाएगा. इस मेले में देश और विदेश के संस्कृति कला विरासत को हमें नजदीकी से देखने को मौका मिलता है. ये एक ऐसा मंच है जिसने कलाकारों को एक नई पहचान दी. पिछले 38 सालों से लग रहे इस मेले ने एक अलग पहचान बनाई है.
1987 में पहली बार लगा था मेला: बता दें इस मेले का शुभारंभ 7 फरवरी को केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया था. पहली बार इस मेले का आयोजन 1987 में किया गया था. तब से प्रत्येक साल ये मेला फरवरी के महीने में लगता आ रहा है. इस बार भी मेले की शुरुआत 7 फरवरी को हुई थी, जो आज 23 फरवरी को संपन्न हो गया. इस दौरान इस मेले में 42 देशों के 648 प्रतिभागियों ने भाग लिया. वहीं, सुरक्षा के लिहाज से 2000 के करीब पुलिसकर्मी तैनात रहे.