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वरुणावत पर्वत के बफर जोन में रहने वाले परिवारों के छूटेंगे आशियानें, दूसरी जगह होंगे विस्थापित - varunavat Mountain Uttarkashi

varunavat Mountain Buffer Zone उत्तरकाशी अंतर्गत आने वाले वरुणावत पर्वत के बफर जोन में रहने वाले परिवारों से उनका घर छूटने वाला है, क्योंकि उन्हें जल्द ही दूसरी जगह विस्थापित किया जाएगा. डीएम डॉ. मेहरबान सिंह के अनुसार यह काम दीर्घकालीन सुरक्षा उपाय के लिए जरूरी है.

varunavat Mountain Buffer Zone
वरुणावत पर्वत (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 6, 2024, 3:16 PM IST

उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत के बफर जोन में रहने वाले परिवार विस्थापित होंगे. जिला प्रशासन ने वरुणावत पर्वत पर हुए भूस्खलन के बाद बफर जोन को सुनिश्चित करने के लिए यहां रहने वाले परिवारों को विस्थापित करने की योजना प्रस्तावित की है. अधिकारियों ने इसे दीर्घकालीन सुरक्षा उपाय के लिए जरूरी बताया है.

साल 2003 में वरुणावत पर्वत से हुआ था भूस्खलन: साल 2003 में वरुणावत पर्वत से भारी भूस्खलन हुआ था, जिससे लगभग 70 हजार घनमीटर मलबा शहर में फैल गया था. उसके बाद भूस्खलन क्षेत्र के उपचार के लिए इसकी तलहटी में तांबाखाणी से लेकर गोफियारा तक के क्षेत्र को संवेदनशील बताते हुए बफर जोन घोषित किया गया. इस जोन में किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन इसकी निगरानी नहीं किए जाने से बफर जोन में कच्चा व पक्का निर्माण जारी रहा. जिसका परिणाम है कि आज इस क्षेत्र में बहुमंजिला भवन खड़े हो गए हैं.

गोफियारा क्षेत्र में निर्माण और अतिक्रमण बढ़ा: वर्तमान में भूस्खलन से खतरे की जद में आए गोफियारा क्षेत्र में भी निर्माण और अतिक्रमण बढ़ा. अब भूस्खलन के बाद जिला प्रशासन यहां पूर्व में घोषित बफर जोन को लेकर गंभीर हुआ है, जिसके बाद यहां दीर्घकालीन सुरक्षा उपायों को लेकर बफर जोन में आने वाले परिवारों को विस्थापित करने की योजना प्रस्तावित की गई है.

डीएम बोले 30 से 40 परिवारों को किया जाएगा विस्थापित: डीएम डॉ. मेहरबान सिंह ने बताया कि वरुणावत पर्वत के बफर जोन में चिन्हीकरण करके करीब 30 से 40 परिवारों के विस्थापन की योजना है. यह काम दीर्घकालीन सुरक्षा उपाय के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि नो कंस्ट्रक्शन के साथ बफर जोन सुनिश्चित कराया जाएगा.

पूर्व में हुआ था विरोध: 21 साल पूर्व जब वरुणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ था, तो बफर जोन में रहने वाले परिवारों को हटाने की योजना बनाई गई थी. तब उस दौरान गठित गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग आपदा पीड़ित समिति ने इसका कड़ा विरोध किया था. लोगों का कहना था कि बफर जोन की आड़ में उन्हें हटाने का प्रयास किया गया, तो वह इसका विरोध करेंगे. हालांकि उस समय निरीक्षण करने वाले भू-वैज्ञानिकों ने बफर जोन बरकरार रखने की बात कही थी.

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उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत के बफर जोन में रहने वाले परिवार विस्थापित होंगे. जिला प्रशासन ने वरुणावत पर्वत पर हुए भूस्खलन के बाद बफर जोन को सुनिश्चित करने के लिए यहां रहने वाले परिवारों को विस्थापित करने की योजना प्रस्तावित की है. अधिकारियों ने इसे दीर्घकालीन सुरक्षा उपाय के लिए जरूरी बताया है.

साल 2003 में वरुणावत पर्वत से हुआ था भूस्खलन: साल 2003 में वरुणावत पर्वत से भारी भूस्खलन हुआ था, जिससे लगभग 70 हजार घनमीटर मलबा शहर में फैल गया था. उसके बाद भूस्खलन क्षेत्र के उपचार के लिए इसकी तलहटी में तांबाखाणी से लेकर गोफियारा तक के क्षेत्र को संवेदनशील बताते हुए बफर जोन घोषित किया गया. इस जोन में किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन इसकी निगरानी नहीं किए जाने से बफर जोन में कच्चा व पक्का निर्माण जारी रहा. जिसका परिणाम है कि आज इस क्षेत्र में बहुमंजिला भवन खड़े हो गए हैं.

गोफियारा क्षेत्र में निर्माण और अतिक्रमण बढ़ा: वर्तमान में भूस्खलन से खतरे की जद में आए गोफियारा क्षेत्र में भी निर्माण और अतिक्रमण बढ़ा. अब भूस्खलन के बाद जिला प्रशासन यहां पूर्व में घोषित बफर जोन को लेकर गंभीर हुआ है, जिसके बाद यहां दीर्घकालीन सुरक्षा उपायों को लेकर बफर जोन में आने वाले परिवारों को विस्थापित करने की योजना प्रस्तावित की गई है.

डीएम बोले 30 से 40 परिवारों को किया जाएगा विस्थापित: डीएम डॉ. मेहरबान सिंह ने बताया कि वरुणावत पर्वत के बफर जोन में चिन्हीकरण करके करीब 30 से 40 परिवारों के विस्थापन की योजना है. यह काम दीर्घकालीन सुरक्षा उपाय के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि नो कंस्ट्रक्शन के साथ बफर जोन सुनिश्चित कराया जाएगा.

पूर्व में हुआ था विरोध: 21 साल पूर्व जब वरुणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ था, तो बफर जोन में रहने वाले परिवारों को हटाने की योजना बनाई गई थी. तब उस दौरान गठित गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग आपदा पीड़ित समिति ने इसका कड़ा विरोध किया था. लोगों का कहना था कि बफर जोन की आड़ में उन्हें हटाने का प्रयास किया गया, तो वह इसका विरोध करेंगे. हालांकि उस समय निरीक्षण करने वाले भू-वैज्ञानिकों ने बफर जोन बरकरार रखने की बात कही थी.

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