नई दिल्ली/नोएडा : नोएडा में क्राइम रिस्पांस टीम और सेक्टर-49 थाने की पुलिस ने भोले-भाले लोगों को लोन और बीमा पॉलिसी दिलाने के नाम पर अपने जाल में फंसा कर ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने मामले में सरगना सहित 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों में नौ महिलाएं शामिल हैं. महिला आरोपियों को थाने से जमानत मिल गई. आरोपियों के पास से 25 मोबाइल, 81 डाटा शीट, एक रजिस्टर, एक काली डायरी और दो फर्जी आधार कार्ड बरामद हुए हैं. होशियारपुर गांव में ठगी का कॉल सेंटर संचालित हो रहा था. आरोपियों का आपराधिक इतिहास का पता लगाया जा रहा है.
होशियापुर गांव की शर्मा मार्केट में फर्जी कॉल सेंटर पर छापा
डीसीपी क्राइम शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि थाना सेक्टर 49 प्रभारी व क्राइम रिस्पांस टीम को सूचना मिली कि होशियापुर गांव की शर्मा मार्केट में फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा है. इस कॉल सेंटर के जरिए लोन और बीमा पॉलिसी के नाम पर एनसीआर से बाहर के भोलेभाले लोगों के साथ ठगी की जा रही है. सूचना के आधार पर पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए कॉल सेंटर पर छापा मारा.
9 महिलाओं सहित 11 आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने यहां से बिसरख निवासी आशीष कुमार उर्फ अमित, फरीदाबाद निवासी जितेंद्र कुमार वर्मा, बिहार के छपरा निवासी निशा उर्फ स्नेहा, भदोही निवासी रेजू उर्फ दिव्या, फिरोजाबाद निवासी लवली यादव उर्फ स्वेता, छलेरा निवासी पूनम उर्फ पूजा,आजमगढ़ निवासी आरती कुमारी उर्फ अनन्या, दिल्ली के सरिता विहार निवासी काजल कुमारी उर्फ श्रुति, बदरपुर निवासी सरिता उर्फ सुमन, न्यू अशोक नगर निवासी बबीता पटेल उर्फ माही और सर्फाबाद निवासी गरिमा चौहान उर्फ सोनिया को गिरफ्तार कर लिया.
अबतक 200 से अधिक लोगों के साथ करोड़ों रुपये की ठगी
गिरोह का सरगना आशीष कुमार और जितेंद्र कुमार है. दोनों कॉल सेंटर खोलकर झारखंड, बिहार, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों के लोगों को लोन व बीमा पॉलिसी दिलाने के नाम पर अपने जाल में फंसा कर ठगी करते थे. आरोपियों ने अबतक 200 से अधिक लोगों के साथ करोड़ों रुपये की ठगी की है. फर्जी कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी धोखाधड़ी से मिलने वाली रकम में से अपने काम के हिसाब से कमीशन लेते थे.
कॉल सेंटर में कार्य करने वाले को कमीशन के रूप में कैश का भुगतान
पूछताछ में पकड़े गए आशीष कुमार उर्फ अमित ने बताया कि वह इस कॉल सेंटर का संचालन कर रहा था. उसने बताया कि वह एनसीआर क्षेत्र के बाहर कई राज्य के लोगों को मोटी कमाई के लालच में लोन व बीमा पॉलिसी के नाम पर धोखाधड़ी करता था. उसके यहां काम करने वाले कमीशन लेकर उसकी मदद करते थे. कॉल सेंटर में कार्य करने वाले कर्मचारियों का जितना कार्य होता था, उतना ही उसे कमीशन के रूप में कैश का भुगतान किया जाता था.
कर्नाटक में रहने वाले अरविंद नाम के व्यक्ति का बैंक अकाउंट दस हजार रुपये महीने किराए पर लिया
आशीष कुमार ने बताया कि उसने कर्नाटक में रहने वाले अरविंद नाम के व्यक्ति का बैंक अकाउंट दस हजार रुपये महीने किराए पर लिया हुआ है, उसका डेबिट कार्ड और एटीएम कार्ड भी उसके पास है. जैसे ही ठगी के शिकार हुए लोगों के पैसे इसमें आते हैं, सरगना एटीएम से जाकर पैसे निकाल लेता है. पूछताछ में पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वह कई राज्यों के भोलेभाले लोगों को बीमा पॉलिसी में लोन दिलाने के नाम पर अपने जाल में फंसाते थे और उनसे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करा लेते थे.
रांची झारखंड निवासी से पांच लाख 20 हजार रुपये ठगे
आशीष व जितेंद्र पैसे निकाल कर सबको उनका हिस्सा दे देते थे. पकड़ी गई महिलाओं ने बताया कि काम करने के दौरान उन्हें जानकारी हुई कि यहां पर बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है, लेकिन अच्छे वेतन और कमीशन को देखते हुए वह चुपचाप इस काम को करती रहीं. कॉल सेंटर सुबह 8 बजे से लेकर रात 8 बजे तक चलता था. पकड़े गए आशीष और जितेंद्र ने बताया कि उन्होंने अपनी पहचान छुपाने के लिए फर्जी आधार कार्ड बना रखा था. हाल ही में उन्होंने रांची झारखंड निवासी अखिलेश नामक व्यक्ति से पांच लाख 20 हजार रुपये ठगे थे.
टेंट से खरीदे सिम का करते थे प्रयोग
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी सड़क किनारे लगने वाले टेंट से मोबाइल सिम खरीदते थे. उनको एक्टिव करने के बाद लोगों को कॉल करते और उनको लैप्स पॉलिसी को दोबारा एक्टिव कराने और कम ब्याज पर लोन दिलाने का ऑफर देते थे. एक बार ग्राहक फंस जाए इसके बाद प्रोसेसिंग फीस के नाम पर ये लोग उनसे पैसे ट्रांसफर कराते थे. पैसे ट्रांसफर होते ही सिम बंद कर फेंक देते थे. मिले पैसों के बंटवारे में बड़ी हिस्सेदारी जितेन्द्र और आशीष की होती है.
ऐसे बनाया फर्जी कॉल सेंटर
एसीपी शैव्या गोयल ने बताया कि गिरोह का सरगना आशीष दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकाम का छात्र रहा है. साल 2019 में उसकी मुलाकात जितेंद्र से हुई . दोनों ही एसबीआई लाइफ इन्श्योंरेंस में पॉलिसी बेचने का काम करते थे. कुछ बड़ा काम किया जाए, इस उद्देश्य से दोनों ने कुछ लड़कियों को अपने साथ जोड़कर फर्जी कालिंग करके बीमा और लोन देने के नाम पर इंडिया मार्ट की साइट से 2500 रुपए में करीब 10 हजार लोगों का डेटा खरीदा. होशियारपुर में किराये के जिस कमरे में कॉल सेंटर संचालित हो रहा था, उसका किराया दस हजार रुपये प्रतिमाह था.
ये भी पढ़ें : गोल्ड चेन स्नेचिंग की वारदातों में शतक लगा चुका कुख्यात क्रिमिनल गिरफ्तार, दिल्ली क्राइम ब्रांच ने दबोचा
बरामद डायरी में है लेखाजोखा
जो युवतियां यहां काम करती थीं, वह सोशल मीडिया पर नौकरी का विज्ञापन देखने के बाद आरोपियों के संपर्क में आईं. ठगी कर आरोपियों ने करोड़ों रूपये कमाएं, जिसका हिसाब बरामद डायरी में लिखा है. आरोपी बीते दो साल से फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे. जो महिलाएं गिरोह में शामिल थीं सभी ने अपने दो-दो नाम रखे हुए थे. कॉल करने पर युवतियां ग्राहकों को फंसाने के लिए अपना फर्जी नाम बताती थीं. सभी महिलाओं को सरगना द्वारा सात से दस हजार रुपये प्रतिमाह सैलरी दी जाती थी. कमीशन से महिलाओं को अच्छी कमाई होती थी.
ये भी पढ़ें : वेस्ट जिला पुलिस ने पिछले 6 महीने में एक हजार से अधिक अपराधियों को किया गिरफ्तार