लखनऊ : बीते दिनों राजधानी में जेईई मेंस में नंबर कम आने के चलते एक जज के बेटे ने आत्महत्या कर ली. यह कोई पहला मामला नहीं था, जब किसी छात्र ने अपने जीवन में मिली पहली ठोकर के बाद मौत को गले लगा लिया हो. बीते एक वर्षों में प्रदेश भर में 1000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की है. इनके पीछे की अधिकतर वजह पढ़ाई का प्रेशर या फिर पैरेंट्स की डांट फटकार है.
50 से अधिक मामले आए सामने: पुलिस आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ में वर्ष 2023 से लेकर अब तक 50 से अधिक छात्रों ने अलग-अलग कारणों से आत्महत्या की है. इनमें कृष्णानगर, मड़ियांव, अलीगंज, हजरतगंज, ठाकुरगंज, चौक, गोमतीनगर, बालागंज, विभूतिखंड, गौतमपल्ली, समेत अन्य कई थाना क्षेत्र में छात्रों के आत्महत्या करने का मामला सामने आ चुका है. इन ज्यादातर सुसाइड केस में मौत को गले लगाने का कारण पढ़ाई में प्रेशर या फिर फटकार की बात सामने आई है. इसके अलावा कई ऐसे केस भी सामने आए हैं, जिनमें लव अफेयर का कारण शामिल है.
लड़कों की तुलना में लड़कियां ज्यादा मजबूत : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, छात्रों की सुसाइड से होने वाली मौतों की संख्या में वर्ष 2022 में 2.3 फीसदी का इजाफा हुआ है. 5 वर्षों में लगातार सुसाइड के मामले बढ़ रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार, लड़कियों की तुलना में लड़कों ने लगभग दोगुनी संख्या में सुसाइड किया है, जो आसानी से अपनी जिंदगी खत्म कर रहे हैं. जबकि महिलाओं के मामले में लड़कियों की संख्या ज्यादा है.
प्रदेश का भी जानिए सच : एनसीआरबी के आंकड़ों में प्रदेश की बात करें तो अलग-अलग जिलों में 1060 छात्रों ने सुसाइड किया है. जबकि, 1631 गृहणियों ने मौत को गले लगाया गया है. इसके अलावा बेरोजगार 1541, छात्र 1060, रोजगार वाले 1011, नौकरी वाले 708, व्यवसाय करने वाले 653, मजदूरी करने वाले 490, इसके अलावा 413 अन्य तरह के लोगों ने सुसाइड किया है.
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केस-1 सितंबर 2023 को गोमती नगर रिवर फ्रंट में 12वीं की छात्रा ने सुसाइड कर लिया था. वह बाराबंकी के एक स्कूल में पढ़ती थी. पुलिस जांच में उसके पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ. जिसमें लिखा था कि ‘अरुण तुम मेरी जिंदगी में न होते तो मैं मरती नहीं, मैं मर रही हूं इसके जिम्मेदार तुम नहीं हो’.
केस-2 सितम्बर 2023 को ठाकुरगंज के हुसैनाबाद शिवपुरी में डीएलएड के छात्र शाहरुख ने घर में सुसाइड कर लिया. परिजनों का आरोप था कि कॉलेज के टीचर वाइवा और प्रोजेक्ट फाइल बनाने का दबाव बना रहे थे. इसकी वजह से बेटे ने यह कदम उठाया है.
केस-3 नवंबर 2022 को गोमती नगर विस्तार सीएमएस के 9वीं का छात्र रेलवे लाइन पर लहूलुहान मिला, छात्र के सिर व पैर पर गंभीर चोट आई थी. छात्र के पास से एक माफीनामा मिला था, जिसमें लिखा था कि मैम, मैं... कक्षा नौ का छात्र हूं, मैं माफी मांगता हूं, जो कुछ भी गलती मैंने की, मैंने जो किया वह बहुत गलत था.
आत्महत्या के 5 कारण : वरिष्ठ मनोचिकित्सक देवाशीष शुक्ला आत्महत्याओं के पांच कारण बताते हैं, जिसमें जेनेटिक, मनोवैज्ञानिक, बायोलॉजिकल, सामाजिक और वातावरण शामिल है.
1 सामाजिक : सामाजिक कुरीतियों से तंग आकर अक्सर लोग जान देते हैं.
2 मनोवैज्ञानिक : सुसाइड करने वाला किसी मानसिक रोग से ग्रसित होता है.
3 जेनेटिक : सुसाइड करने वालों की रिसर्च में सामने आया है कि इसमें कई ऐसे लोग होते हैं, जिनके वंश में किसी ने सुसाइड किया हो.
4 बायोलॉजिकल : किसी परेशानी के कारण आत्महत्या कर लेते हैं.
5 वातावरण : घर का वातावरण भी एक आत्महत्या करने का कारण है.
परिवर्तन पर रखें नजर : बच्चा अचानक निराश दिखने लगा हो, खामोश हो गया हो तो अभिभावकों को सचेत हो जाना चाहिए. किसी प्रकार की भावना शून्य की अवस्था, यानी कि न खुश माहौल में खुश दिखे और न ही कोई भाव चहरे पर दिखे. परिवार और दोस्तों से दूर रहने लगना भी एक बड़ा कारण है कि वह आत्महत्या कर सकता है. परीक्षा में अच्छे परिणाम के दबाव के बावजूद बेहतर रिजल्ट का न आना. शराब और अन्य नशा लेना शुरू कर देना, या पहले से अधिक सेवन करना.
फेल होने पर तिरस्कार का रहता है डर : मनोवैज्ञानिक अभय सिंह कहते हैं कि छात्र जब एग्जाम में फेल हो जाते हैं तो उन्हें तिरस्कार का डर होता है. उन्हें डर सताता है कि उनके दोस्त, परिवार और आसपास के लोग क्या कहेंगे? इतना ही नहीं उन्हें लगता है फेल होने पर सिर्फ साल ही नहीं पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी. ऐसे वक्त में उन्हें अपने परिवार के भावनात्मक सपोर्ट की आवश्यकता होती है. यहां थोड़ी भी चूक हुई, तो दुर्घटना घट सकती है.