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दिल्ली में मिट्टी की कलाकृतियों की प्रदर्शनी, ब्लैक पॉटरी उत्पाद की जमकर खरीदारी कर रहीं महिलाएं

दिल्ली के मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम में दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट की तरफ से मिट्टी से निर्मित कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई.

दिल्ली में मिट्टी की कलाकृतियों की प्रदर्शनी
दिल्ली में मिट्टी की कलाकृतियों की प्रदर्शनी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 16, 2024, 3:55 PM IST

नई दिल्ली: मिट्टी से अनेक तरह की आकर्षक और मनमोहक कलाकृतियां बनाई जा सकती हैं. ऐसी ही कलाकृतियों की प्रदर्शनी का आयोजन मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम में किया गया है. अगर आप मिट्टी से बनी कलाकृतियों का आनंद उठाना चाहते हैं तो 19 अक्टूबर तक उठा सकते हैं. यह दिल्ली मेट्रो के ब्लू लाइन रूट पर मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन से महज 150 मीटर की दूरी पर है. आयोजन दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट ने किया है.

दरअसल, दिवाली का त्योहार कुम्हारों के लिए एक नई उपलब्धियां और उम्मीदें लेकर आता है. वैसे तो सालभर मिट्टी से बनी आकर्षक वस्तुएं बाजार में मौजूद रहती है. इसको बनाने में काफी मेहनत लगता है. साधारण तौर पर चाक की मदद से कई प्रकार के बर्तन, आभूषण, दिए, सुराही आदि बनाए जाते हैं. वहीं बाजार में अब ब्लैक पॉटरी की काफी डिमांड गई है.

मिट्टी से तैयार कई बड़े और आकर्षक सामान बाजार में हैं. लेकिन 1 रुपए के सिक्के और माचिस की तिल्ली पर 16 छोटे-छोटे बर्तनों और मिट्टी की कलाकृतियों को जगह देना बेहद मुश्किल है. ऐसे ही एक होनहार पॉटरी आर्टिस्ट हैं शिवरतन प्रजापति. इन्होंने पिता राजेंद्र प्रसाद प्रजापति से इस हुनर को सीखा है. उनके पिता को ब्लैक पॉटरी के लिए 1984 में नेशनल अवॉर्ड मिला था. ब्लैक पॉटरी निजामाबाद की एक ऐतिहासिक कला है, जिसमें मिट्टी से बने वाली कलाकृतियों को कार्बन के साथ पकाया जाता है. फिर उस पर चांदी से नक्काशी की जाती है.

यह विशेष रूप से गुजरात की कला है. 1636 में कुछ लोग अपनी इस कला का प्रचार प्रसार करने के लिए उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ पहुंचे थे. जिनका संपर्क प्रजापति फेमिली से हुआ था. इसके बाद उन्होंने इस हुनर को सीखा और इस कला को विश्व भर में पहचान दी. वर्तमान में ब्लैक पॉटरी की कई वस्तुएं बाजारों में मौजूद है. वहीं, अब त्योहारों के मद्देनजर किचन, बागवानी और सजावट के कई सुंदर आइटम बनने लगे हैं. यहां तक की ज्वेलरी भी बनने लगी है.

दिल्ली में मिट्टी की कलाकृतियों की प्रदर्शनी (etv bharat)

ब्लैक पॉटरी बनाने की प्रक्रिया: शिव रतन ने बताया कि ब्लैक पॉटरी के किसी भी साइज के सामान को बनाने में 8 से 10 दिन का समय लगता है. सबसे पहले पॉट को 50 फीसदी पकाया जाता है. इसके बाद उस पर कार्बनिंग का काम होता है. फिनिशिंग के बाद उसको दोबारा पकाया जाता है. इसे फायरिंग के लिए 24 घंटे का समय लगता है. इसके बाद ऊपर आकर्षक आकृतियां उभारी जाती है. इनके अंदर चांदी को भरा जाता है.

दरअसल, राजधानी के मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम में दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट द्वारा 6 दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. जहां शिवरतन ने भी अपने ब्लैक पॉटरी के सामानों की प्रदर्शनी लगाई है. वह बीते 10 वर्षों से लगातार इस प्रदर्शनी का हिस्सा हैं. उनके पास मौजूद ब्लैक पॉटरी के सामान की कीमत 50 रुपए से 10 लाख रुपए तक की है. उन्होंने इस बार कुछ विशेष वस्तुओं को इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया है.

शिवरतन ने बताया कि उन्होंने 1 रुपए की सिक्के और माचिस की तिल्ली पर 16 छोटे छोटे बर्तनों और मिट्टी कलाकृतियों को बनाया है. बड़े चाक पर ऐसा करना काफी मुश्किल होता है. लेकिन उनको खुशी है कि वह ऐसा करने में सफल रहे. शिव रतन का मानना है कि किसी भी आर्ट की कोई कीमत नहीं होती. वह अपनी मेहनत के आधार पर ही उसका मूल्य रखते हैं.

दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट के सदस्य कृष्ण कुमार शर्मा ने बताया कि दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट हर वर्ष टेराफेस्ट का आयोजन करता है. प्रदर्शनी में देश के टेराकॉट आर्टिस्टों द्वारा मिट्टी से निर्मित कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है. उन्होंने बताया कि हर वर्ष इसका आयोजन दशहरे के आस पास छह दिनों के लिए किया जाता है. इस बार दिल्ली वालों के लिए 19 अक्टूबर तक यह आयोजन किया गया है.

ये भी पढ़ें:

  1. दिल्ली बीजेपी ने कनॉट प्लेस में लगाई केजरीवाल के सरकारी आवास की प्रदर्शनी, मांगा भ्रष्टाचार का हिसाब
  2. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर DMRC और गाजियाबाद प्रशासन ने लगाई प्रदर्शनी

नई दिल्ली: मिट्टी से अनेक तरह की आकर्षक और मनमोहक कलाकृतियां बनाई जा सकती हैं. ऐसी ही कलाकृतियों की प्रदर्शनी का आयोजन मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम में किया गया है. अगर आप मिट्टी से बनी कलाकृतियों का आनंद उठाना चाहते हैं तो 19 अक्टूबर तक उठा सकते हैं. यह दिल्ली मेट्रो के ब्लू लाइन रूट पर मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन से महज 150 मीटर की दूरी पर है. आयोजन दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट ने किया है.

दरअसल, दिवाली का त्योहार कुम्हारों के लिए एक नई उपलब्धियां और उम्मीदें लेकर आता है. वैसे तो सालभर मिट्टी से बनी आकर्षक वस्तुएं बाजार में मौजूद रहती है. इसको बनाने में काफी मेहनत लगता है. साधारण तौर पर चाक की मदद से कई प्रकार के बर्तन, आभूषण, दिए, सुराही आदि बनाए जाते हैं. वहीं बाजार में अब ब्लैक पॉटरी की काफी डिमांड गई है.

मिट्टी से तैयार कई बड़े और आकर्षक सामान बाजार में हैं. लेकिन 1 रुपए के सिक्के और माचिस की तिल्ली पर 16 छोटे-छोटे बर्तनों और मिट्टी की कलाकृतियों को जगह देना बेहद मुश्किल है. ऐसे ही एक होनहार पॉटरी आर्टिस्ट हैं शिवरतन प्रजापति. इन्होंने पिता राजेंद्र प्रसाद प्रजापति से इस हुनर को सीखा है. उनके पिता को ब्लैक पॉटरी के लिए 1984 में नेशनल अवॉर्ड मिला था. ब्लैक पॉटरी निजामाबाद की एक ऐतिहासिक कला है, जिसमें मिट्टी से बने वाली कलाकृतियों को कार्बन के साथ पकाया जाता है. फिर उस पर चांदी से नक्काशी की जाती है.

यह विशेष रूप से गुजरात की कला है. 1636 में कुछ लोग अपनी इस कला का प्रचार प्रसार करने के लिए उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ पहुंचे थे. जिनका संपर्क प्रजापति फेमिली से हुआ था. इसके बाद उन्होंने इस हुनर को सीखा और इस कला को विश्व भर में पहचान दी. वर्तमान में ब्लैक पॉटरी की कई वस्तुएं बाजारों में मौजूद है. वहीं, अब त्योहारों के मद्देनजर किचन, बागवानी और सजावट के कई सुंदर आइटम बनने लगे हैं. यहां तक की ज्वेलरी भी बनने लगी है.

दिल्ली में मिट्टी की कलाकृतियों की प्रदर्शनी (etv bharat)

ब्लैक पॉटरी बनाने की प्रक्रिया: शिव रतन ने बताया कि ब्लैक पॉटरी के किसी भी साइज के सामान को बनाने में 8 से 10 दिन का समय लगता है. सबसे पहले पॉट को 50 फीसदी पकाया जाता है. इसके बाद उस पर कार्बनिंग का काम होता है. फिनिशिंग के बाद उसको दोबारा पकाया जाता है. इसे फायरिंग के लिए 24 घंटे का समय लगता है. इसके बाद ऊपर आकर्षक आकृतियां उभारी जाती है. इनके अंदर चांदी को भरा जाता है.

दरअसल, राजधानी के मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम में दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट द्वारा 6 दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. जहां शिवरतन ने भी अपने ब्लैक पॉटरी के सामानों की प्रदर्शनी लगाई है. वह बीते 10 वर्षों से लगातार इस प्रदर्शनी का हिस्सा हैं. उनके पास मौजूद ब्लैक पॉटरी के सामान की कीमत 50 रुपए से 10 लाख रुपए तक की है. उन्होंने इस बार कुछ विशेष वस्तुओं को इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया है.

शिवरतन ने बताया कि उन्होंने 1 रुपए की सिक्के और माचिस की तिल्ली पर 16 छोटे छोटे बर्तनों और मिट्टी कलाकृतियों को बनाया है. बड़े चाक पर ऐसा करना काफी मुश्किल होता है. लेकिन उनको खुशी है कि वह ऐसा करने में सफल रहे. शिव रतन का मानना है कि किसी भी आर्ट की कोई कीमत नहीं होती. वह अपनी मेहनत के आधार पर ही उसका मूल्य रखते हैं.

दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट के सदस्य कृष्ण कुमार शर्मा ने बताया कि दिल्ली ब्लू पॉटरी ट्रस्ट हर वर्ष टेराफेस्ट का आयोजन करता है. प्रदर्शनी में देश के टेराकॉट आर्टिस्टों द्वारा मिट्टी से निर्मित कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है. उन्होंने बताया कि हर वर्ष इसका आयोजन दशहरे के आस पास छह दिनों के लिए किया जाता है. इस बार दिल्ली वालों के लिए 19 अक्टूबर तक यह आयोजन किया गया है.

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