जयपुर: राजस्थान में करीब चार साल पहले के सियासी संकट के दौर में चर्चा में आए ऑडियो क्लिप और फोन टैपिंग का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा सोमवार को दिल्ली में गिरफ्तार हुए और उन्हें तुरंत जमानत मिल गई. अब मंगलवार को उन्होंने खुद अपनी गिरफ्तारी और तुरंत जमानत मिलने की पूरी कहानी बताई.
उन्होंने भरोसा जताया है कि अब इस मामले में जांच आगे बढ़ेगी और उन लोगों तक भी जांच पहुंचेगी, जो इसके (फोन टैपिंग) लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि फोन टैपिंग में उनकी कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने इस मामले में बड़े नेताओं और उस समय के सरकारी तंत्र पर भी आरोप लगाए हैं.
लोकेश शर्मा नामजद, बाकि अन्य आरोपी ? : लोके शर्मा ने कहा कि मार्च 2021 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टैपिंग मामले को लेकर दिल्ली क्राइम ब्रांच में एक एफआईआर दर्ज करवाई थी. इसमें मुख्य अभियुक्त उन्हें (लोकेश शर्मा) को बनाया गया. एफआईआर में वे नामजद हैं, जबकि अन्य आरोपियों के नाम नहीं हैं. उन्होंने इस एफआईआर को निरस्त करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसे 14 नवंबर, 2024 को उन्होंने वापस ले लिया. याचिका वापस लेने से हाईकोर्ट के आदेश पर उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक भी हट गई.
21 नवंबर को कोर्ट से ली अग्रिम जमानत : उन्होंने बताया कि 14 नवंबर को याचिका वापस लेने के बाद उनकी गिरफ्तारी की संभावना बनी हुई थी. ऐसे में 21 नवंबर को उन्होंने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट से अग्रिम जमानत ली. क्राइम ब्रांच ने सोमवार (25 नवंबर) को उन्हें बुलाया और गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी मेमो बनाया गया. हालांकि, कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी थी, इसलिए उन्हें क्राइम ब्रांच से मुचलका भरवाकर जमानत पर रिहा कर दिया गया. वहीं से उन्हें जमानत दे दी गई. जमानत देने के लिए यह जरूरी था कि उनकी गिरफ्तारी हो.
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सच्चाई कहीं भी, किसी भी रूप में कहने को तैयार : सरकारी गवाह बनने के सवाल पर लोकेश शर्मा ने कहा, जो सच था, वह तीन महीने पहले सार्वजनिक तौर पर बता दिया था. जांच एजेंसी को भी स्पष्ट कर दिया कि फोन टैपिंग मामले में सीधे तौर पर उनकी कोई भूमिका नहीं है. इस दौरान उन्होंने बड़े नेताओं और उस समय के सरकारी तंत्र पर भी सवाल उठाए हैं.
जिम्मेदार अधिकारियों से भी हो पूछताछ : उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति का फोन सर्विलांस पर लिया जाता है या इंटरसेप्ट किया जाता है तो बहुत से नियम-कायदों का ध्यान रखा जाता है. इस संबंध में उस समय के अधिकारियों और नेताओं से भी पूछताछ होनी चाहिए.
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दिल्ली क्राइम ब्रांच से मिले 11 नोटिस : उन्होंने कहा कि जांच में पूरा सहयोग कर रहा हूं. जब भी बुलाया गया, मैं हर बार खुद उपस्थित हुआ. उन्हें दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच से 11 नोटिस मिले, जिनमें से सात बार व्यक्तिगत रूप से पहुंचे और चार बार किसी कारण से नहीं जा पाए तो उसका लिखित में जवाब दिया है. जांच एजेंसी को हर तरह से सहयोग कर रहे हैं और आगे भी करेंगे. यह सच वे कोर्ट के सामने भी बोलेंगे. यही तथ्य रहेंगे और यही सत्य रहेगा. जो सबूत क्राइम ब्रांच को दिए हैं, उन सबूतों के आधार पर चाहता हूं कि कार्रवाई आगे बढ़े. यकीन है कि जांच आगे बढ़ेगी. जो लोग भी इस पूरे घटनाक्रम में शामिल हैं, उनके खिलाफ भी आगे कार्रवाई होगी.