हजारीबाग: झारखंड में लोकतंत्र का महापर्व आगाज हो चुका है. महापर्व की शक्ति मतदाताओं में होता है. बरकट्ठा विधानसभा क्षेत्र इन दिनों पूरे झारखंड भर में सुर्खियों में हैं, क्योंकि यहां से भाजपा के चार बागी नेता चुनावी मैदान में हैं. वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी से वर्तमान विधायक अमित यादव और झारखंड मुक्ति मोर्चा से जानकी प्रसाद यादव चुनावी मैदान में हैं.
बरकट्ठा के मतदाता इस बात को लेकर मंथन कर रहे हैं कि कौन सा नेता उनकी समस्याओं को दूर करेगा. ऐसे ही मतदाताओं के मन को टटोलने के लिए ईटीवी भारत की टीम बरकट्ठा विधानसभा के इचाक प्रखंड पहुंची. जहां पर आम लोगों के साथ साथ मतदाताओं से राजनीति माहौल जानने की कोशिश की.
बरकट्ठा विधानसभा की जनता इस बार वैसे उम्मीदवार को सदन में भेजने की मूड में है जो स्थानीय हो और उनके बीच का हो. हजारीबाग जिला के बरकट्ठा विधानसभा का इचाक प्रखंड के मतदाता चाहते हैं कि वह वैसे उम्मीदवार को सदन में भेजें जो स्थानीय मुद्दों से वाकिफ हो और जन समस्याओं को दूर करें. मतदाताओं का कहना है कि वर्तमान विधायक अमित यादव कभी भी इचाक प्रखंड की जनता के बारे में नहीं सोचा और न ही उनके पहले के विधायक जानकी प्रसाद यादव ने सोचा है. इस बार इचाक की जनता तीसरे विकल्प की तलाश में है.
वहीं बरकट्ठा के युवा वर्ग की चाहत है कि वैसा उम्मीदवार सदन में जाए जो रोजगार पर कम करें. यवाओं का कहना है कि सभी को सरकारी नौकरी मिलना मुमकिन नहीं है, इचाक कृषि प्रधान क्षेत्र है अगर क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग लगाया जाए तो यहां के सैकड़ो युवाओं को नौकरी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है. वहीं छात्रों का कहना है कि उच्च शिक्षा के लिए युवा वर्ग को पलायन करना पड़ रहा है. हजारीबाग या फिर दूसरा जिला पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है. इचाक प्रखंड में डिग्री कॉलेज खुले तो समस्या का समाधान हो सकता है.
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि नेता लोक लुभावन वादे करते हैं और 5 साल में जब चुनाव आता है तो उनके पास हाथ जोड़कर पहुंच जाते हैं. यहां के ग्रामीणों ने इस बार मन बना लिया है कि जो भी उम्मीदवार आएंगे, उनसे बैठकर चर्चा करेंगे कि आखिर उम्मीदवार का एजेंडा क्या है. लोगों का उनका यह भी कहना है कि विधानसभा में व्यक्ति विशेष के आधार पर मतदान होता है. निर्दलीय प्रत्याशी भी अगर क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं तो उसे सदन तक भेजना चाहिए. इचाक प्रखंड के मतदाता इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि उम्मीदवार उनके पास पहुंचे ताकि उनकी बातों को सुनकर, समझकर मतदान कर सकें.
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