रायपुर: भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराध पर नकेल कसने वाली एजेंसी EOW ने पिछले 3 सालों में एक भी मामला दर्ज नहीं किया है. बीते तीन सालों में कई बार ऐसे मौके आए जब भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराध की शिकायत जांच एजेंसी के पास पहुंची. विधानसभा के पटल पर रखी गई जानकारी के मुताबिक हाल ही में कुछ मामलों को लेकर जरुर जांच शुरु की गई. बड़ी कार्रवाई EOW की ओर से लेकिन नहीं की गई.
क्या कांग्रेस की सरकार में नहीं हुए भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराध: ईओडब्ल्यू में अप्रैल 2018 से लेकर 9 फरवरी 2024 तक 19 मामले दर्ज किए गए. दर्ज मामलों में अप्रैल 2018 से लेकर दिसंबर 2020 तक कुल 18 मामले दर्ज किए गए. आंकड़े बताते हैं कि 2023 तक केवल 1 मामला दर्ज किया गया. जिसका सीधा अर्थ ये हुआ कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में EOW को आर्थिक अपराध से जुड़ा कोई मामला नहीं मिला. शिकायत नहीं मिला लिहाजा एजेंसी ने कोई एफआईआर भी दर्ज नहीं की.
2018 से 2023 के बीच 19 मामले दर्ज: विधानसभा में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने 1 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2023 तक धारा 420 भारतीय दंड विधान के तहत कुल 19 मामले दर्ज किए गए. दर्ज किए गए मामलों में सिर्फ दो ऐसे मामले रहे जिनमें कोर्ट में चालान पेश किया गया. एक प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिए संबंधित विभाग को भेजा गया. दूसरे प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय से विवेचना पर रोक लगाई गई है. बाकी बचे 15 प्रकरण विवेचना के अधीन हैं. लो
बीजेपी सरकार में ED, EOW में दर्ज कराए मामले: विधानसभा चुनाव जीतते ही बीजेपी जैसे ही सत्ता में आई दो ही महीनें में ईडी ने उस चारों मामलों में जो पेंडिंग थे उनपर EOW ने FIR दर्ज कराई, जिन मामलों में एफआईआर दर्ज कराई उन मामलों में पहले से जांच की जा रही थी. शराब घोटाला, कोल लेवी वसूली, कस्टम मिलिंग और डीएमएफ घोटाला इस फेरिश्त में शामिल है. सदन में दी गई जानकारी के मुताबिक आखिरी के चार मामले ईओडब्ल्यू ने खुद दर्ज नहीं किए बल्कि दूसरी एजेंसी की ओर से मामले दर्ज कराए गए.
38 महीनों में दर्ज हुआ सिर्फ 1 मामला: विधानसभा से मिले आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो आखरी के एक प्रकरण को छोड़कर पिछले 38 महीने में कोई और मामला दर्ज नहीं किया गया. EOW ने 9 दिसंबर 2020 के बाद एक बैंक प्रबंधन की ओर से की गई शिकायत पर न्यायालय के आदेश पर एफआईआर दर्ज की. इस मामले को छोड़ दिया जाए तो 38 महीने में कोई और प्रकरण ईओडब्लू में नहीं आया है.
पूर्व की सरकार का दबाव या अधिकारियों की बेरुखी: भूपेश बघेल सरकार के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब केंद्र की एजेंसी ईडी ने प्रदेश में धड़ाधड़ रेड की कार्रवाई की. ईडी की ओर से लगातार कोल लेवी वसूली, नान घोटाला सहित कई मामलों में कार्रवाई की गई. जांच एजेंसी ने इन मामलों में कई रसूखदारों को भी गिरफ्तार किया. केंद्र की एजेंसी जब काम कर रही थी तब राज्य की एजेंसी ईओडब्ल्यू और एसीबी पूरी तरह से तटस्थ रही, किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की. जांच एजेंसियों पर किसका दबाव था या एजेंसी ने ही खुद संज्ञान मामले में नहीं लिया ये सवाल जरूर खड़ा होता है.
अधिकांश मामले लंबित: विधानसभा में ईओडब्लू ने जितने भी मामलों की जानकारी दी उनमें अधिकांश मामले लंबित पड़े हैं. एक प्रकरण ऐसा भी है जो अभियोजन की स्वीकृति के लिए संबंधित विभाग को भेजा गया है. केवल दो प्रकरणों में ही चालान प्रस्तुत किया गया है. एक प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच पर रोक लगाई गई है. सदन में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक ये कहा जा सकता है कि पूर्व की सरकार के वक्त ईओडब्लू में सालों से लंबित कई मामलों पर ध्यान नहीं दिया गया और ना ही कोई कार्रवाई की गई.
शिकायत और ज्ञापन को किया नजरअंदाज: शासकीय विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार की गहन जांच के लिए राज्य सरकार की दोनों एजेंसियां EOW और एसीबी काम करती है. सूत्रों की माने तो पिछले 38 महीने में यहां कई शिकायतें की गई. फरियादियों ने ज्ञापन भी दिया लेकिन FIR दोनों में से किसी भी एजेंसी ने दर्ज नहीं की. आंकड़ों के हिसाब से ईडी की ओर से दर्ज मामलों को छोड़ दिया जाए तो बाकी के प्रकरणों में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई धीमी ही रही.