कोटा : राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी और भारतीय रेलवे के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग हुआ है. इसके तहत अब आरटीयू के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स रेलवे के सिग्नलिंग और कवच प्रणाली का अध्ययन कर सकेंगे. साथ इस पर रिसर्च भी कर सकेंगे. वहीं, उन्हें ट्रेनिंग की सुविधा भी मिलेगी. यहां तक कि आरटीयू अब इसके लिए नया कोर्स भी शुरू करने जा रहा है. गुरुवार को राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी कोटा के कुलपति प्रो. एसके सिंह और भारतीय रेलवे के सिग्नल इंजीनियरिंग व दूरसंचार संस्थान (इरिसेट सिकंदराबाद) के महानिदेशक शरद श्रीवास्तव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए.
एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद प्रो. एसके सिंह ने कहा कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में स्टूडेंट और फैकल्टी को भी रेलवे प्रशिक्षण व शोध के अवसर मिलेंगे. यहां तक कि विश्वविद्यालय अपने इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को भारतीय रेलवे के अत्याधुनिक पीजी डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स और प्रशिक्षण के नवीन कोर्स भी मुहैया कराएगा. उन्होंने कहा कि बीटेक कोर्स में रेलवे सिग्नलिंग और स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) कवच प्रणाली पर कोर्स शुरू करने के लिए आपसी सहमति जताई गई है. इसके तहत इंजीनियरिंग स्टूडेंट को वैकल्पिक विषय के रूप में रेलवे एडवांस सिंग्नलिंग और कवच पर कोर्स उपलब्ध होगा.
इसे भी पढ़ें - RTU 66 कॉलेजों के हजारों इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का करवाएगा ऑनलाइन एग्जाम
उन्होंने कहा कि इस एमओयू का फायदा कंप्यूटर साइंस, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स इन आईओटी, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल के स्टूडेंट्स को होगा. उनके लिए रेलवे के एडवांस सिग्नलिंग और कवच पर ऑप्शनल कोर्स शुरू किए जाएंगे. यह कोर्स छह माह से दो साल तक का होगा. 'कवच' प्रणाली में रिसर्च और डेवलपमेंट में भी सहयोग करेंगे. साथ ही कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स इस प्रणाली की जानकारी ले सकेंगे.
इसे भी पढ़ें - RTU का रोबोटिक क्लब भी लो कॉस्ट वेंटिलेटर तैयार करने में जुटा
इरिसेट अपने अत्याधुनिक क्लासेज और लैब में सिग्नलिंग, दूरसंचार और स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) कवच पर स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग करवाता है. ऐसे में राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट और फैकल्टी को हॉस्टल-मेस सुविधा सहित रिसर्च और डेवलपमेंट में रेलवे सिग्नलिंग और कवच पर ट्रेनिंग दी जाएगी. जोनल रेलवे डिवीजनों में वोकेशनल ट्रेनिंग और साइट विजिट्स भी कराए जाएंगे. इसके अलावा दोनों संस्थान रिसर्च और डेवलपमेंट में एक-दूसरे की मदद करेंगे और अपने महत्वपूर्ण रिसर्च को साझा करेंगे.