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IMPCL निजीकरण का विरोध तेज, सरकार की सद्बुद्धि के लिए केदारनाथ में अर्जी लगाएंगे कर्मचारी - IMPCL DRUG FACTORY

अल्मोड़ा आईएमपीसीएल दवा फैक्ट्री के निजीकरण का विरोध, 25 अक्टूबर को सरकार की सद्बुद्धि के लिए बाबा केदार के दर अर्जी लगाएंगे कांग्रेसी और कर्मचारी

IMPCL PRIVATIZATION PROTEST MOHAN
आईएमपीसीएल निजीकरण का विरोध (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 24, 2024, 3:44 PM IST

रामनगर: अल्मोड़ा जिले के मोहन क्षेत्र में स्थित आईएमपीसीएल यानी इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के दवा फैक्ट्री के निजीकरण का मामला गर्म है. निजीकरण के विरोध में कर्मचारी सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्मचारियों के समर्थन में कांग्रेस नेता हरीश रावत भी पद यात्रा में शामिल हो चुके हैं. वहीं, अब आईएमपीसीएल के कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में 25 अक्टूबर को सरकार की सद्बुद्धि के लिए बाबा केदार के दरबार में अर्जी लगाने का ऐलान किया है.

बता दें कि अल्मोड़ा के मोहन क्षेत्र में आईएमपीसीएल ( Indian Medicines Pharmaceutical Corporation Limited) नाम की कंपनी है. इसकी स्थापना साल 1978 में केंद्र सरकार ने की थी. आईएमपीसीएल आयुष मंत्रालय के अधीन आता है. आईएमपीसीएल भारत सरकार का आयुर्वेदिक और यूनानी दवा निर्माण का एकमात्र संस्थान है. अब इसे को निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी की जा रही है, जिसका यहां के कर्मचारी लंबे समय से विरोध कर रहे हैं.

कल केदारनाथ में लगाएंगे अर्जी: वहीं, अब रामनगर से कर्मचारियों के मांग पत्र को लेकर कांग्रेस के पूर्व दर्जा राज्यमंत्री पुष्कर दुर्गापाल अन्य लोगों के साथ केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो चुके हैं. जो कल यानी 25 अक्टूबर को बाबा केदार के चरणों में माथा टेक कर सरकार को सद्बुद्धि देने का आग्रह करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी 14 नवंबर को आईएमपीसीएल मोहान में एकदिवसीय उपवास कार्यक्रम रखा गया है. जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी वर्तमान और पूर्व विधायकों के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी मौन व्रत रखेंगे.

पूर्व दर्जा राज्यमंत्री पुष्कर दुर्गापाल ने दी चेतावनी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व दर्जा राज्यमंत्री पुष्कर दुर्गापाल ने कहा कि हर साल सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाली इस फैक्ट्री को सरकार क्यों बंद कर निजीकरण करना चाहती है? इसका जवाब सरकार दें. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करती है तो वहीं इस कारखाने से जुड़े हजारों लोगों को बेरोजगार करने पर तुली है. उन्होंने चेतावनी दी है यदि सरकार ने इसका निजीकरण किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

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रामनगर: अल्मोड़ा जिले के मोहन क्षेत्र में स्थित आईएमपीसीएल यानी इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के दवा फैक्ट्री के निजीकरण का मामला गर्म है. निजीकरण के विरोध में कर्मचारी सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्मचारियों के समर्थन में कांग्रेस नेता हरीश रावत भी पद यात्रा में शामिल हो चुके हैं. वहीं, अब आईएमपीसीएल के कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में 25 अक्टूबर को सरकार की सद्बुद्धि के लिए बाबा केदार के दरबार में अर्जी लगाने का ऐलान किया है.

बता दें कि अल्मोड़ा के मोहन क्षेत्र में आईएमपीसीएल ( Indian Medicines Pharmaceutical Corporation Limited) नाम की कंपनी है. इसकी स्थापना साल 1978 में केंद्र सरकार ने की थी. आईएमपीसीएल आयुष मंत्रालय के अधीन आता है. आईएमपीसीएल भारत सरकार का आयुर्वेदिक और यूनानी दवा निर्माण का एकमात्र संस्थान है. अब इसे को निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी की जा रही है, जिसका यहां के कर्मचारी लंबे समय से विरोध कर रहे हैं.

कल केदारनाथ में लगाएंगे अर्जी: वहीं, अब रामनगर से कर्मचारियों के मांग पत्र को लेकर कांग्रेस के पूर्व दर्जा राज्यमंत्री पुष्कर दुर्गापाल अन्य लोगों के साथ केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो चुके हैं. जो कल यानी 25 अक्टूबर को बाबा केदार के चरणों में माथा टेक कर सरकार को सद्बुद्धि देने का आग्रह करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी 14 नवंबर को आईएमपीसीएल मोहान में एकदिवसीय उपवास कार्यक्रम रखा गया है. जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी वर्तमान और पूर्व विधायकों के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी मौन व्रत रखेंगे.

पूर्व दर्जा राज्यमंत्री पुष्कर दुर्गापाल ने दी चेतावनी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व दर्जा राज्यमंत्री पुष्कर दुर्गापाल ने कहा कि हर साल सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाली इस फैक्ट्री को सरकार क्यों बंद कर निजीकरण करना चाहती है? इसका जवाब सरकार दें. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करती है तो वहीं इस कारखाने से जुड़े हजारों लोगों को बेरोजगार करने पर तुली है. उन्होंने चेतावनी दी है यदि सरकार ने इसका निजीकरण किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

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