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नई पेंशन स्कीम के खिलाफ राजस्थान के कर्मचारी, भजनलाल सरकार को दी ये बड़ी चेतावनी - Warns Bhajanlal Government

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 28, 2024, 10:24 AM IST

Warns Bhajanlal Government, केंद्र सरकार की ओर से नई पेंशन स्कीम यूपीएस लागू करने के फैसले के खिलाफ अब राजस्थान के कर्मचारी खड़े हो गए हैं. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए भजनलाल सरकार को चेतावनी दी है.

Warns Bhajanlal Government
Etv Bharat (FILE PHOTO Etv Bharat)
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : लंबे समय से देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर चल रही कर्मचारियों के आंदोलन के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने नई पेंशन स्कीम एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) लागू करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अब राजस्थान में कर्मचारी संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. साथ ही राज्य कर्मचारियों पर इसे लागू नहीं करने को लेकर दबाव बनाने की कवायद तेज हो गई है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए भजनलाल सरकार को चेतावनी दी है कि वो इस फैसले को राजस्थान में लागू करने पर विचार न करें, वरना उन्हें 8 लाख कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ेगा. कर्मचारियों की मांग है कि प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम को ही लागू रखा जाए.

यूपीएस लागू हुई तो होगा आंदोलन : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो नई पेंशन स्कीम की जगह यूपीएस लागू की है, उसको लेकर केंद्र सरकार से ये मांग है कि इस फैसले को राज्यों पर न थोपे. केंद्रीय कर्मचारियों की बात अलग है, लेकिन जो ओल्ड पेंशन स्कीम है उसका मुकाबला यूपीएस से कहीं नहीं हो सकता है. ऐसे में राजस्थान के कर्मचारियों की ओर से महासंघ मांग करता है कि राज्य सरकार केंद्र के दबाव में न आए. ओल्ड पेंशन स्कीम जो राज्य की कर्मचारियों के लिए लागू है, अगर इसके ओल्ड पेंशन स्कीम के साथ छेड़छाड़ की गई या राजस्थान में यूपीएस के तर्ज पर पेंशन योजना के प्रस्ताव लाए गए तो राजस्थान का कर्मचारी इसके विरोध में खड़ा होगा और आंदोलन करेगा.

इसे भी पढ़ें - भजनलाल सरकार की अहम कैबिनेट बैठक आज, UPS सहित इन योजनाओं को लेकर हो सकते हैं बड़े ऐलान - Bhajanlal Govt Cabinet Meeting

राठौड़ ने कहा कि हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार भी ओल्ड पेंशन स्कीम लाए न कि यूपीएस. कर्मचारियों के हित में अगर सरकार को कोई फैसला लेना है तो वो सिर्फ और सिर्फ ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के साथ ही किया जा सकता है. इसके अलावा कोई भी फैसला चाहे केंद्र सरकार का हो या राज्य सरकार का उसे राजस्थान का कर्मचारी स्वीकार नहीं करेगा.

क्या है यूपीएस : बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 24 अगस्त को सरकारी कर्मचारियों को यूनीफाइड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने का ऐलान किया था. इस फैसले से सिर्फ रेल कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि 23 केंद्रीय कर्मचारियों को यूपीएस का लाभ मिलेगा. इसमें आठ लाख रेल कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार भी इस स्कीम को लागू कर सकती है. इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के बीच चयन करने का विकल्प दिया जाएगा. केंद्र सरकार के एनपीएस चुनने वाले कर्मचारियों को यूपीएस पर स्विच करने का विकल्प भी दिया जाएगा.

इस स्कीम का मकसद रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारियों को एक तयशुदा पेंशन रकम तय करना है. UPS के तहत, कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक न्यूनतम पेंशन दी जाएगी, जो उनके सेवा के वर्षों और उनके औसत वेतन पर आधारित होगी. ये स्कीम महंगाई भत्ते से जुड़ी हुई है, यानी जैसे ही महंगाई बढ़ेगी तो पेंशन की रकम में भी इजाफा की होगा. UPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 18.5% होगा, जो NPS के 14% के मुकाबले ज्यादा है.

इसे भी पढ़ें - इस नई पेंशन स्कीम ने कर्मचारियों की टेंशन खत्म कर दी, जानें पुरानी से कैसे है बेहतर - OPS Vs NPS Vs UPS

एक नजर ओल्ड पेंशन स्कीम पर : ओल्ड पेंशन स्कीम जिसे OPS बी के नाम से भी जाता है, जो पुराना सिस्टम था. इसमें कर्मचारियों को उनके आखिर वेतन के आधार पर एक फिक्स पेंशन मिलती थी. इस स्कीम में कर्मचारियों को किसी तरह के कंट्रीब्यूशन की जरूरत नहीं थी, जिससे सरकार पर ज्यादा वित्तीय बोझ पड़ता था. OPS में कर्मचारियों को उनके आखिरी मूल वेतन + महंगाई भत्ते का 50% पेंशन के रूप में मिलता था. इसके अलावा OPS के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद महंगाई भत्ते में होने वाली बढ़ोतरी का भी पेंशन में इजाफे के तौर पर फायदा मिलता था, लेकिन 2004 में तत्कालीन केंद्र की सरकार ने इस OPS को बंद करते हुए NPS न्यू पेंशन स्कीम लागू की, जिसे कमोबेश सभी राज्यों ने लागू किया.

क्या है नेशनल पेंशन सिस्टम : न्यू पेंशन स्कीम को NPS के नाम से जाना जाता है. ये एक निवेश-आधारित पेंशन स्कीम है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों का कंट्रीब्यूशन होता है. इसमें पेंशन की रकम बाजार में निवेश किए गए फंड्स की परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है यानी इसमें निश्चित पेंशन नहीं होती है. NPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 14% और कर्मचारी का 10% होता है. इस योजना में टैक्स छूट के फायदे भी मिलते हैं. जैसे कि दो लाख रुपए तक की टैक्स छूट और 60% रकम निकालने पर टैक्स में छूट शामिल है. राजस्थान में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने NPS को बंद करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम OPS को फिर से लागू किया था, लेकिन सरकार बदलने के साथ कर्मचारियों को इस बात का डर है कि प्रदेश की नई सरकार OPS के साथ छेड़छाड़ कर सकती है. खास तौर पर जब केंद्र में भाजपा की सरकार है और प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है. ऐसे में केंद्र सरकार के फैसले को राज्य सरकार लागू कर सकती है.

UPS, OPS और NPS में अंतर

पेंशन की गारंटी : UPS और OPS दोनों में ही निश्चित पेंशन दी जाती है, जबकि NPS में पेंशन रकम बाजार की परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है.

कंट्रीब्यूशन : OPS में कोई कंट्रीब्यूशन नहीं होता था, जबकि UPS और NPS में कर्मचारी और सरकार दोनों का कंट्रीब्यूशन होता है. UPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 18.5% है, जो NPS के 14% से ज्यादा है.

महंगाई राहत : OPS और UPS दोनों में ही महंगाई भत्ते के हिसाब से पेंशन में बढ़ोतरी होती है, जबकि NPS में ये सुविधा नहीं है.

टैक्स में छूट : NPS में टैक्स छूट के कई फायदे मिलते हैं, जबकि UPS में टैक्स छूट के बारे में अभी कुछ साफ नहीं किया गया है.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : लंबे समय से देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर चल रही कर्मचारियों के आंदोलन के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने नई पेंशन स्कीम एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) लागू करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अब राजस्थान में कर्मचारी संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. साथ ही राज्य कर्मचारियों पर इसे लागू नहीं करने को लेकर दबाव बनाने की कवायद तेज हो गई है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए भजनलाल सरकार को चेतावनी दी है कि वो इस फैसले को राजस्थान में लागू करने पर विचार न करें, वरना उन्हें 8 लाख कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ेगा. कर्मचारियों की मांग है कि प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम को ही लागू रखा जाए.

यूपीएस लागू हुई तो होगा आंदोलन : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो नई पेंशन स्कीम की जगह यूपीएस लागू की है, उसको लेकर केंद्र सरकार से ये मांग है कि इस फैसले को राज्यों पर न थोपे. केंद्रीय कर्मचारियों की बात अलग है, लेकिन जो ओल्ड पेंशन स्कीम है उसका मुकाबला यूपीएस से कहीं नहीं हो सकता है. ऐसे में राजस्थान के कर्मचारियों की ओर से महासंघ मांग करता है कि राज्य सरकार केंद्र के दबाव में न आए. ओल्ड पेंशन स्कीम जो राज्य की कर्मचारियों के लिए लागू है, अगर इसके ओल्ड पेंशन स्कीम के साथ छेड़छाड़ की गई या राजस्थान में यूपीएस के तर्ज पर पेंशन योजना के प्रस्ताव लाए गए तो राजस्थान का कर्मचारी इसके विरोध में खड़ा होगा और आंदोलन करेगा.

इसे भी पढ़ें - भजनलाल सरकार की अहम कैबिनेट बैठक आज, UPS सहित इन योजनाओं को लेकर हो सकते हैं बड़े ऐलान - Bhajanlal Govt Cabinet Meeting

राठौड़ ने कहा कि हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार भी ओल्ड पेंशन स्कीम लाए न कि यूपीएस. कर्मचारियों के हित में अगर सरकार को कोई फैसला लेना है तो वो सिर्फ और सिर्फ ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के साथ ही किया जा सकता है. इसके अलावा कोई भी फैसला चाहे केंद्र सरकार का हो या राज्य सरकार का उसे राजस्थान का कर्मचारी स्वीकार नहीं करेगा.

क्या है यूपीएस : बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 24 अगस्त को सरकारी कर्मचारियों को यूनीफाइड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने का ऐलान किया था. इस फैसले से सिर्फ रेल कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि 23 केंद्रीय कर्मचारियों को यूपीएस का लाभ मिलेगा. इसमें आठ लाख रेल कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार भी इस स्कीम को लागू कर सकती है. इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के बीच चयन करने का विकल्प दिया जाएगा. केंद्र सरकार के एनपीएस चुनने वाले कर्मचारियों को यूपीएस पर स्विच करने का विकल्प भी दिया जाएगा.

इस स्कीम का मकसद रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारियों को एक तयशुदा पेंशन रकम तय करना है. UPS के तहत, कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक न्यूनतम पेंशन दी जाएगी, जो उनके सेवा के वर्षों और उनके औसत वेतन पर आधारित होगी. ये स्कीम महंगाई भत्ते से जुड़ी हुई है, यानी जैसे ही महंगाई बढ़ेगी तो पेंशन की रकम में भी इजाफा की होगा. UPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 18.5% होगा, जो NPS के 14% के मुकाबले ज्यादा है.

इसे भी पढ़ें - इस नई पेंशन स्कीम ने कर्मचारियों की टेंशन खत्म कर दी, जानें पुरानी से कैसे है बेहतर - OPS Vs NPS Vs UPS

एक नजर ओल्ड पेंशन स्कीम पर : ओल्ड पेंशन स्कीम जिसे OPS बी के नाम से भी जाता है, जो पुराना सिस्टम था. इसमें कर्मचारियों को उनके आखिर वेतन के आधार पर एक फिक्स पेंशन मिलती थी. इस स्कीम में कर्मचारियों को किसी तरह के कंट्रीब्यूशन की जरूरत नहीं थी, जिससे सरकार पर ज्यादा वित्तीय बोझ पड़ता था. OPS में कर्मचारियों को उनके आखिरी मूल वेतन + महंगाई भत्ते का 50% पेंशन के रूप में मिलता था. इसके अलावा OPS के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद महंगाई भत्ते में होने वाली बढ़ोतरी का भी पेंशन में इजाफे के तौर पर फायदा मिलता था, लेकिन 2004 में तत्कालीन केंद्र की सरकार ने इस OPS को बंद करते हुए NPS न्यू पेंशन स्कीम लागू की, जिसे कमोबेश सभी राज्यों ने लागू किया.

क्या है नेशनल पेंशन सिस्टम : न्यू पेंशन स्कीम को NPS के नाम से जाना जाता है. ये एक निवेश-आधारित पेंशन स्कीम है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों का कंट्रीब्यूशन होता है. इसमें पेंशन की रकम बाजार में निवेश किए गए फंड्स की परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है यानी इसमें निश्चित पेंशन नहीं होती है. NPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 14% और कर्मचारी का 10% होता है. इस योजना में टैक्स छूट के फायदे भी मिलते हैं. जैसे कि दो लाख रुपए तक की टैक्स छूट और 60% रकम निकालने पर टैक्स में छूट शामिल है. राजस्थान में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने NPS को बंद करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम OPS को फिर से लागू किया था, लेकिन सरकार बदलने के साथ कर्मचारियों को इस बात का डर है कि प्रदेश की नई सरकार OPS के साथ छेड़छाड़ कर सकती है. खास तौर पर जब केंद्र में भाजपा की सरकार है और प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है. ऐसे में केंद्र सरकार के फैसले को राज्य सरकार लागू कर सकती है.

UPS, OPS और NPS में अंतर

पेंशन की गारंटी : UPS और OPS दोनों में ही निश्चित पेंशन दी जाती है, जबकि NPS में पेंशन रकम बाजार की परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है.

कंट्रीब्यूशन : OPS में कोई कंट्रीब्यूशन नहीं होता था, जबकि UPS और NPS में कर्मचारी और सरकार दोनों का कंट्रीब्यूशन होता है. UPS में सरकार का कंट्रीब्यूशन 18.5% है, जो NPS के 14% से ज्यादा है.

महंगाई राहत : OPS और UPS दोनों में ही महंगाई भत्ते के हिसाब से पेंशन में बढ़ोतरी होती है, जबकि NPS में ये सुविधा नहीं है.

टैक्स में छूट : NPS में टैक्स छूट के कई फायदे मिलते हैं, जबकि UPS में टैक्स छूट के बारे में अभी कुछ साफ नहीं किया गया है.

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